सचिव वित्त द्वारा वित्तीय वर्ष के लिए दिशानिर्देश, नई योजनाओं पर केवल 20 फीसदी धनराशि खर्च हो सकेगी
- ANH News
- 2 अप्रैल
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उत्तराखंड: प्रदेश में मंगलवार से 2025-26 के वित्तीय वर्ष की शुरुआत हो चुकी है। इस अवसर पर वित्त विभाग ने सभी प्रशासनिक विभागों के लिए बजट आय और व्यय के दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। इस वित्तीय वर्ष से, कैंपा की धनराशि का उपयोग अब केंद्र पोषित योजना की तर्ज पर किया जाएगा, जो एक महत्वपूर्ण बदलाव है।
मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित उच्च अधिकार प्राप्त समिति द्वारा यह निर्णय लिया गया था, जिसे अब वित्त विभाग ने अपने दिशा-निर्देशों में शामिल किया है। सचिव वित्त, दिलीप जावलकर ने बताया कि इस वर्ष के पूंजीगत परिव्यय में से 80 प्रतिशत राशि चालू योजनाओं पर खर्च की जाएगी, जबकि नई योजनाओं के लिए केवल 20 प्रतिशत धनराशि ही निर्धारित की गई है।
वित्तीय किफायत और नई स्वीकृतियों के लिए नए दिशा-निर्देश
हर वर्ष की तरह, वित्त विभाग ने सभी विभागों को किफायत बरतने के लिए निर्देशित किया है। विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि एक करोड़ रुपये से अधिक के नए कार्यों की स्वीकृति तभी दी जाएगी जब उस पर गति शक्ति पोर्टल से जनरेटेड यूनिक आईडी का उल्लेख किया जाएगा। इसके साथ ही, विभागों को 30 अप्रैल तक योजनावार कार्यों की रिपोर्ट वित्त विभाग को भेजने का निर्देश दिया गया है।
वित्त विभाग ने यह भी कहा कि नई वित्तीय स्वीकृति के लिए आखिरी तिमाही में पूंजीगत कार्यों को स्वीकृति देना उचित नहीं होगा। विभागाध्यक्षों और प्रशासनिक विभागों के साथ मिलकर वित्त व्यय नियंत्रण विभाग को इस प्रक्रिया के लिए जवाबदेह ठहराया गया है। इसके अलावा, प्रतीक (टोकन) धनराशि के आधार पर योजनाओं को स्वीकृति देने की परंपरा को विभाग ने अव्यावहारिक मानते हुए इसे बदलने का प्रस्ताव रखा है, ताकि समय और लागत में वृद्धि को रोका जा सके।
योजनाओं की समीक्षा और स्वीकृति प्रक्रिया में सुधार
वित्त विभाग ने यह भी सुझाव दिया है कि ऐसी योजनाओं की समीक्षा की जाए जिन पर काम शुरू नहीं हुआ है और उन योजनाओं को निरस्त किया जाए। बाद में, बजट की उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए इन योजनाओं की पुनः स्वीकृति दी जाए। विभाग ने यह निर्देश भी दिया है कि राज्य आकस्मिता निधि से निकाली गई धनराशि की प्रतिपूर्ति पहले की जाए। इसके अतिरिक्त, राज्य सेक्टर से दो करोड़ रुपये से अधिक खर्च वाली पूंजीगत योजनाओं को एसएएसीआई के तहत अनिवार्य रूप से प्रस्तावित करने का निर्देश दिया गया है।





