उत्तराखंड में कुओं के पुनर्जीवित करने की मुहिम शुरू, सीएम धामी ने दिए सफाई और सुधार के निर्देश
- ANH News
- 12 अप्रैल
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उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य के दशकों पुराने कुओं का जीर्णोद्धार करने के लिए निर्देश दिए हैं। इन कुओं का विस्तृत सत्यापन अभियान चलाया जाएगा, जिससे इनकी हालत का आकलन किया जाएगा। इसके बाद इन कुओं का रख-रखाव और सुधार किया जाएगा ताकि उन्हें फिर से पुनर्जीवित किया जा सके। मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिया है कि बरसात से पहले इन कुओं की साफ-सफाई की जाए और इन्हें पूरी तरह से कार्यशील बनाया जाए।
कुएं: प्राचीन जल स्रोत और संस्कृति का अभिन्न हिस्सा
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प्राचीन काल से कुएं गांवों और शहरों में मीठे और साफ पानी के स्रोत रहे हैं। इनका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी रहा है, और कई कुएं ऐतिहासिक घटनाओं के गवाह हैं। हालांकि, समय के साथ जलापूर्ति की व्यवस्था में बदलाव के कारण कुओं का उपयोग घटता चला गया है, जिससे कई कुएं अतिक्रमण और उपेक्षा का शिकार हो गए हैं।
कुएं का संरक्षण: मुख्यमंत्री का संकल्प
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अब प्रदेश सरकार इन पुराने कुओं का रख-रखाव करने का संकल्प ले रही है। मुख्यमंत्री धामी ने कहा है कि ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी योजनाओं के जरिए इन कुओं को साफ और फिर से पुनर्जीवित किया जाएगा। यह कदम प्रदेश में जल संरक्षण के प्रयासों को नई दिशा देगा और जल स्रोतों के महत्व को फिर से पहचान दिलाएगा।
जलस्रोतों के संरक्षण के लिए ‘सारा’ योजना
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प्रदेश सरकार ने गेम चेंजर योजना के तहत स्प्रिंग एंड रिवर रिजुविनेशन अथॉरिटी (सारा) की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य जल स्रोतों के संरक्षण की दिशा में कार्य करना है। जल संरक्षण अभियान 2024 के तहत, कुल 6350 सूखे जल स्रोतों की पहचान की गई है, जिनमें से 929 जल स्रोतों का उपचार किया जा चुका है। इसके अतिरिक्त, 297 रिचार्ज शॉफ्ट भी बनाए गए हैं, जो भूजल रिचार्ज की प्रक्रिया को बढ़ावा देंगे।
पिछले वर्ष में, जल संचय और संग्रहण संरचनाओं के निर्माण से 3.21 मिलियन घन मीटर वर्षा जल रिचार्ज किया गया, जो जल संरक्षण में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ है।
प्रधानमंत्री का आग्रह: जल संरक्षण पर जोर
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर अपने भाषण में राज्यवासियों से अपने नौलों और धारों को संरक्षित करने की अपील की थी। उन्होंने कहा था कि उत्तराखंड में नौलों और धारों को पूजने की प्राचीन परंपरा रही है, और इसे फिर से पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री धामी के इस कदम को प्रधानमंत्री के जल संरक्षण के संदेश के अनुरूप माना जा रहा है।
मुख्यमंत्री का बयान
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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, “कुएं हमारी सभ्यता के अहम अंग रहे हैं। शहरों से लेकर गांवों तक कई प्राचीन कुएं हैं। हमारा प्रयास है कि इन्हें फिर से प्रयोग में लाया जाए, इससे जल संरक्षण के प्रयासों को भी बढ़ावा मिलेगा। साथ ही, स्वच्छ जल के प्राकृतिक स्रोतों को संरक्षित किया जा सकेगा।”
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का यह कदम प्रदेश में जल संरक्षण के प्रयासों को सुदृढ़ करने और प्राकृतिक जल स्रोतों को बचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। पुराने कुओं के जीर्णोद्धार से न केवल जलस्रोतों की रक्षा होगी, बल्कि यह समाज की जलवृद्धि और सांस्कृतिक धरोहर को भी सुरक्षित रखने का प्रयास होगा।





