'जहां सुकून मिला, वही वतन बन गया... पाकिस्तानी महिलाएं बोलीं- भारत से है दिल का रिश्ता
- ANH News
- 3 मई
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बरेली, नवाबगंज – कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद पूरे देश में गुस्सा और पीड़ा की लहर है। इसी बीच बरेली के नवाबगंज क्षेत्र के खाता गांव में रह रहीं पाकिस्तानी मूल की तीन महिलाओं ने इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए भारत के प्रति अपनी निष्ठा और भावनात्मक जुड़ाव को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा, "हम भले ही जन्म से पाकिस्तानी हैं, लेकिन हमारा दिल हिंदुस्तान के लिए धड़कता है।"
सरहद पार के रिश्तों की अनकही दास्तान
खाता गांव में तीन पाकिस्तानी महिलाएं ऐसे मुस्लिम परिवारों की बहुएं हैं, जिनके पूर्वज कभी पाकिस्तान से जुड़े थे। इनमें दो सगी बहनें – कुलसुम फात्मा और मरियम फात्मा – वर्ष 2012 में अपने चचेरे-तहेरे भाइयों जाने अली और राशिद अली के साथ विवाह के बंधन में बंधी थीं। दोनों बहनों का निकाह एक ही दिन हुआ था और तब से वे भारत में अपने ससुराल में रह रही हैं।

इन महिलाओं का भारत आगमन दीर्घकालिक वीजा के ज़रिये हुआ, और उन्होंने यहीं अपने परिवार बसाए। राशिद अली की पत्नी मरियम फात्मा ने बताया, "निकाह के बाद दो माह के लिए पाकिस्तान गई थी, लेकिन डेढ़ महीने में ही लौट आना पड़ा। वहां के हालात इतने खराब हैं कि डर के साये में जीना पड़ता है। अब हम कभी वापस नहीं जाना चाहते।"
महताब फातिमा की बंटती पहचान
खाता गांव के लकड़ी के कारीगर अफसार अली ने वर्ष 2007 में कराची (पाकिस्तान) की महताब फातिमा से निकाह किया था। विवाह के बाद पत्नी कुछ समय के लिए पाकिस्तान लौट गईं और वहीं उनकी पहली बेटी जहरा का जन्म हुआ। फिर दीर्घकालिक वीजा लेकर महताब भारत लौटीं। यहां उनके तीन और बेटियां — नजफ, फिजा और अलीजा — पैदा हुईं। तीनों बेटियां भारतीय नागरिक हैं, जबकि जहरा पाकिस्तानी नागरिक है।

अफसार बताते हैं, "हमारा परिवार सरहदों की तरह बंट गया है। मेरी चार बेटियों में से तीन भारतीय हैं और एक पाकिस्तानी। लेकिन हम सब एक हैं – नफरत और भेदभाव की इन दीवारों को हमने अपने जीवन से बाहर कर दिया है।"

"हमें सिर्फ अमन चाहिए, नफरत नहीं"
जाने अली, जिनकी पत्नी कुलसुम फात्मा हैं, कहते हैं, "हम साल 2018 में पत्नी के साथ पाकिस्तान गए थे, पर एक महीने में ही वापसी करनी पड़ी। वहां का माहौल इतना भयावह था कि मेरी मां की मृत्यु की सूचना पाकर तुरंत भारत लौट आया। आज मेरी पत्नी भी यहीं है, हमारे पास संतान नहीं है, लेकिन शांति और सुरक्षा है।"

भावनाओं से जुड़ा यह देश
तीनों पाकिस्तानी बहुएं भारत में शांति और अपनत्व महसूस करती हैं। हाल ही में जब सरकार की ओर से पाकिस्तानियों को देश छोड़ने की संभावित सूचना सामने आई, तो ये परिवार गहरे दुख में डूब गए।

इन महिलाओं ने एक स्वर में कहा, "हमने यहीं अपने रिश्ते बनाए, परिवार बसाया और अपने बच्चों को जन्म दिया। हम केवल कागज़ों पर पाकिस्तानी हो सकती हैं, लेकिन हमारी रगों में अब हिंदुस्तान की मिट्टी का असर है।"



