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Pahalgam Attack: पाकिस्तान यात्रा रद्द, महाराजा रंजीत सिंह की बरसी पर नहीं जाएगा दून से जत्था

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 26 अप्रैल
  • 2 मिनट पठन

देहरादून। कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद उत्पन्न सुरक्षा स्थिति को देखते हुए महाराजा रंजीत सिंह की बरसी पर इस वर्ष देहरादून से पाकिस्तान स्थित ऐतिहासिक गुरुद्वारों की यात्रा रद्द कर दी गई है। पिछले लगभग 15 वर्षों से लगातार यह यात्रा होती रही है, लेकिन इस बार सुरक्षा कारणों से जत्था नहीं जाएगा।


21 जून को होना था जत्था रवाना, तैयारियां पूरी थीं

इस बार 21 जून को देहरादून से जत्था पाकिस्तान के लिए रवाना होना था। श्रद्धालुओं की ओर से पासपोर्ट जमा कर दिए गए थे, और यात्रा की सभी व्यवस्थाएं लगभग पूरी कर ली गई थीं। श्रद्धालु गुरुद्वारा पंजा साहिब, गुरुद्वारा करतारपुर साहिब, गुरुद्वारा डेरा साहिब (लाहौर), गुरुद्वारा सच्चा सौदा, और गुरुद्वारा रोड़ी साहिब जैसे प्रमुख स्थानों के दर्शन करने वाले थे।


जत्थेदार रंजीत सिंह ने बताया कि, "हालात को देखते हुए और श्रद्धालुओं की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए यात्रा को फिलहाल रद्द करने का निर्णय लिया गया है।" उन्होंने यह भी बताया कि अब तक आए 50 पासपोर्ट श्रद्धालुओं को लौटा दिए गए हैं।


पहलगाम हमला बना यात्रा रद्द होने की वजह

हाल ही में कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में हुआ आतंकी हमला, जिसमें सुरक्षाबलों और नागरिकों को निशाना बनाया गया, उसकी गूंज देहरादून तक पहुंची है। इस घटना के बाद से ही पाकिस्तान से जुड़े धार्मिक यात्राओं को लेकर जनमानस में आक्रोश और चिंता दोनों देखने को मिली।

यात्रा आयोजकों और सिख संगत ने हालात को गंभीरता से लेते हुए श्रद्धालुओं की सुरक्षा को सर्वोपरि मानते हुए यात्रा स्थगित करने का निर्णय लिया।


देहरादून से साल में कई बार जाते हैं श्रद्धालु

देहरादून से पाकिस्तान स्थित ऐतिहासिक गुरुद्वारों की यात्रा का लंबा इतिहास रहा है। श्रद्धालु साल में बैसाखी, गुरुपर्व, और बरसियों जैसे प्रमुख धार्मिक अवसरों पर जत्थों के रूप में पाकिस्तान जाकर सिख विरासत स्थलों के दर्शन करते हैं। 19 जून को भी देहरादून से 72 श्रद्धालुओं का जत्था पाकिस्तान गया था। यही नहीं, बीते वर्षों में सैकड़ों श्रद्धालु करतारपुर कॉरिडोर के माध्यम से भी दर्शन कर चुके हैं।


सिख संगत में मायूसी, लेकिन फैसले को सराहा

हालांकि यात्रा रद्द होने से सिख संगत में भावनात्मक मायूसी है, लेकिन अधिकतर श्रद्धालुओं ने इस निर्णय को व्यावहारिक और ज़रूरी बताया। श्रद्धालुओं का मानना है कि "धार्मिक भावना महत्वपूर्ण है, लेकिन जान की सुरक्षा उससे भी बढ़कर है।"


महाराजा रंजीत सिंह की बरसी पर हर वर्ष आयोजित होने वाली यह धार्मिक यात्रा धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक जुड़ाव का प्रतीक रही है। लेकिन इस बार आतंकी घटनाओं की पृष्ठभूमि में, यात्रा का स्थगन यह दर्शाता है कि प्रशासन और संगठनों ने जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से कार्य किया है, जिससे श्रद्धा के साथ-साथ सुरक्षा का संतुलन बना रहे।

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