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राज्य की विकास यात्रा, महिला शक्ति और UCC पर खुलकर बोलीं राष्ट्रपति मुर्मू

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    ANH News
  • 3 दिन पहले
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उत्तराखंड के तीन दिवसीय दौरे के दूसरे दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राज्य विधानसभा के विशेष सत्र को संबोधित किया। सुबह 11 बजे जैसे ही वह विधानसभा कक्ष में पहुंचीं, पूरा सदन उनके स्वागत में खड़ा हो गया। विधानसभा अध्यक्ष ने राष्ट्रपति के आगमन पर हार्दिक स्वागत करते हुए कहा कि यह उत्तराखंड के लिए अत्यंत गौरव का क्षण है। मंच पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी उपस्थित रहे, जिन्होंने राष्ट्रपति के प्रति आभार और सम्मान व्यक्त किया।


अपने संबोधन में राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि बीते 25 वर्षों की विकास यात्रा में उत्तराखंड ने पर्यावरण, ऊर्जा, पर्यटन, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे अनेक क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति की है। उन्होंने कहा कि राज्य के लोग मेहनती, समर्पित और दृढ़ निश्चयी हैं, जिनकी कर्मनिष्ठा ने उत्तराखंड को निरंतर विकास के नए पथ पर अग्रसर किया है।


राष्ट्रपति ने भावुकता के साथ याद किया कि श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री कार्यकाल में जनभावनाओं के अनुरूप वर्ष 2000 में उत्तराखंड राज्य का गठन किया गया था। तब से लेकर अब तक राज्य ने संतुलित और सतत विकास की दिशा में अनेक ऐतिहासिक कार्य किए हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड ने डिजिटल और भौतिक- दोनों प्रकार की कनेक्टिविटी के क्षेत्र में तेजी से प्रगति की है, जिससे दूरस्थ क्षेत्रों में भी विकास की रोशनी पहुंची है।

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महिला सशक्तिकरण पर बात करते हुए राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि उत्तराखंड की महिलाएं सदैव प्रेरणा का स्रोत रही हैं। उन्होंने सुशीला बलूनी, बछेंद्री पाल, गौरा देवी, राधा भट्ट और वंदना कटारिया जैसी विभूतियों का उल्लेख करते हुए कहा कि इन महिलाओं ने अपनी प्रतिभा, साहस और समर्पण से राज्य का मान-सम्मान बढ़ाया है। उन्होंने यह भी कहा कि उत्तराखंड विधानसभा की पहली महिला अध्यक्ष श्रीमती ऋतु खंडूरी भूषण की नियुक्ति से राज्य ने एक नई मिसाल कायम की है।


समान नागरिक संहिता विधेयक पर बोलते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि इसे लागू करने का निर्णय उत्तराखंड विधानसभा का एक ऐतिहासिक कदम है, जिसने संविधान के अनुच्छेद 44 में निहित समान नागरिक संहिता की भावना को सशक्त किया है। उन्होंने कहा कि पारदर्शिता, नैतिकता और सामाजिक न्याय की भावना से प्रेरित ऐसे विधेयकों को पारित करने के लिए वर्तमान और पूर्व विधायकों की सराहना की जानी चाहिए।

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अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने उत्तराखंड की धरती को अध्यात्म और शौर्य की भूमि बताया। उन्होंने कहा कि कुमाऊं और गढ़वाल रेजीमेंट की वीरता पूरे देश में प्रसिद्ध है। राज्य के युवाओं में आज भी सेना में सेवा करने का वही जुनून और जोश देखने को मिलता है, जो पीढ़ियों से इस भूमि की पहचान रहा है।

उन्होंने विधायकों से आह्वान किया कि वे जनकल्याण और विकास के कार्यों को पूरी निष्ठा, संवेदनशीलता और सेवा-भाव से आगे बढ़ाएं। उन्होंने कहा कि विधायक जनता और शासन के बीच की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी हैं, और जब वे सेवा-भाव से जनता की समस्याओं के समाधान में लगे रहते हैं, तब लोकतंत्र की जड़ें और भी मजबूत होती हैं।


राष्ट्रपति मुर्मू ने यह भी कहा कि विधानसभाएं लोकतंत्र की आधारशिला हैं। उन्होंने डॉ. भीमराव आंबेडकर के विचारों का उल्लेख करते हुए कहा कि संसदीय प्रणाली में निरंतर उत्तरदायित्व ही उसका सबसे बड़ा गुण है। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि उत्तराखंड विधानसभा ने नेशनल इलेक्ट्रॉनिक विधान एप्लिकेशन (NeVA) के माध्यम से डिजिटल विधायी कार्यों की दिशा में एक उल्लेखनीय और आधुनिक कदम बढ़ाया है।

अपने संबोधन के अंत में राष्ट्रपति ने कहा कि उत्तराखंड को अपनी अनुपम प्राकृतिक संपदा, जैव विविधता और हिमालय की पवित्रता की रक्षा करते हुए ही विकास के पथ पर आगे बढ़ना होगा। उन्होंने विश्वास जताया कि “राष्ट्र सर्वोपरि” की भावना के साथ यह राज्य आने वाले वर्षों में स्वर्णिम विकास युग की ओर अग्रसर होगा।


विशेष सत्र में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि यह राज्य के लिए गौरवशाली क्षण है कि राष्ट्रपति स्वयं विधानसभा के विशेष सत्र को संबोधित कर रही हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का जीवन संघर्ष, समर्पण और संकल्प की मिसाल है, और उनका व्यक्तित्व देश की प्रत्येक महिला के लिए प्रेरणास्रोत है।

नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने भी राष्ट्रपति का स्वागत करते हुए कहा कि यह उनका सौभाग्य है कि उन्हें इस ऐतिहासिक सत्र में भाग लेने का अवसर मिला। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की भौगोलिक परिस्थितियां विशिष्ट हैं- यहां एक ओर चीन और नेपाल की सीमाएं हैं, तो दूसरी ओर गंगा और यमुना जैसी नदियाँ हमारी सभ्यता और संस्कृति से गहराई से जुड़ी हैं। उन्होंने राज्य में बार-बार आने वाली प्राकृतिक आपदाओं की चुनौती पर चिंता व्यक्त की और उनसे निपटने के लिए ठोस प्रबंधन की आवश्यकता बताई।


यशपाल आर्य ने आगे कहा कि राज्य के जल, जंगल और जमीन की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्होंने मैदानों में रोजगार सृजन, स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार और शिक्षा प्रणाली को सुदृढ़ बनाने पर बल दिया।


इस प्रकार, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का उत्तराखंड विधानसभा में संबोधन न केवल राज्य की उपलब्धियों की सराहना था, बल्कि भविष्य की दिशा के लिए प्रेरणा भी थी—एक ऐसा संदेश जिसमें विकास, संवेदनशीलता, निष्ठा और राष्ट्रभाव का समन्वय झलकता है।

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