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RRTS को हरिद्वार-ऋषिकेश तक बढ़ाने की मांग, उत्तराखंड के मुख्य सचिव ने दिल्ली में रखा प्रस्ताव

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 11 जून
  • 2 मिनट पठन

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उत्तराखंड में बढ़ते ट्रैफिक दबाव और जाम की समस्या के स्थायी समाधान की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए प्रदेश के मुख्य सचिव श्री आनंद बर्द्धन ने रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) को हरिद्वार और ऋषिकेश तक विस्तारित करने का आग्रह केंद्र सरकार से किया है।


मंगलवार को दिल्ली दौरे के दौरान उन्होंने आवास और शहरी कार्य मंत्रालय के सचिव श्री श्रीनिवास कटिकिथला से भेंट कर दिल्ली–मेरठ RRTS कॉरिडोर को हरिद्वार और ऋषिकेश तक ले जाने का प्रस्ताव पेश किया। सचिव कटिकिथला ने इस प्रस्ताव की जांच और परीक्षण कराने का आश्वासन दिया है।


यात्रियों को मिलेगी बड़ी राहत, धार्मिक पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा

मुख्य सचिव बर्द्धन ने कहा कि चारधाम यात्रा, कुंभ जैसे बड़े आयोजनों और पर्यटकों की लगातार बढ़ती संख्या के कारण हरिद्वार और ऋषिकेश जैसे शहरों में वाहनों का दबाव बहुत अधिक बढ़ गया है। इससे जाम की समस्या आम हो गई है, जिसका असर राज्य की अर्थव्यवस्था और पर्यटकों के अनुभव पर भी पड़ता है।

उन्होंने तर्क दिया कि अगर दिल्ली–मेरठ कॉरिडोर को हरिद्वार और ऋषिकेश तक विस्तारित किया जाए, तो इससे न केवल परिवहन सुविधाओं में क्रांतिकारी बदलाव आएगा, बल्कि राज्य में धार्मिक पर्यटन, रोज़गार और निवेश के नए अवसर भी खुलेंगे।


क्या है RRTS?

रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) एक आधुनिक, तेज़ और आरामदायक सेमी-हाई स्पीड रेल नेटवर्क है, जिसे NCR क्षेत्र में ट्रैफिक की समस्या का समाधान करने और यात्रा को सुविधाजनक बनाने के लिए विकसित किया गया है।

यह प्रणाली 180 किमी/घंटा की डिजाइन गति और 160 किमी/घंटा की परिचालन गति से दौड़ने में सक्षम है। वर्तमान में इसका पहला कॉरिडोर दिल्ली–गाजियाबाद–मेरठ के बीच बनाया जा रहा है, जिससे दिल्ली से मेरठ की दूरी महज 55 मिनट में तय की जा सकेगी।


दिल्ली में की कई मंत्रालयों से अहम बैठकें

मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने इस दौरे के दौरान केवल RRTS विस्तार ही नहीं, बल्कि उत्तराखंड के लिए कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की। उन्होंने नागरिक उड्डयन, ग्रामीण विकास, पर्यावरण, पेयजल, रक्षा, MSME, सूचना एवं प्रसारण आदि मंत्रालयों के सचिवों से मुलाकात की और विभिन्न योजनाओं व परियोजनाओं को लेकर राज्य की ज़रूरतें रखीं।


इलेक्ट्रिक वाहन नीति पर भी हुई चर्चा

मुख्य सचिव ने दिल्ली में टाटा मोटर्स, महिंद्रा, हुंडई, किया मोटर्स और JSW जैसे प्रमुख वाहन निर्माताओं के प्रतिनिधियों से भी बैठक की, जिसमें उत्तराखंड में इलेक्ट्रिक वाहन (EV) सेक्टर को बढ़ावा देने की संभावनाओं पर गहन विचार-विमर्श किया गया। उन्होंने राज्य की ईवी नीति को प्रस्तुत किया और निवेशकों को उत्तराखंड में उत्पादन इकाइयाँ स्थापित करने के लिए आमंत्रित किया।

 
 
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