कभी साधु बनने के लिए ऋषिकेश आए थे कैलाश खेर, डिप्रेशन, दर-दर की ठोकरें और फिर ‘तेरी दीवानी’ पूरी कहानी...
- ANH News
- 7 जुल॰
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मथुरा की पावन धरती पर 7 जुलाई 1973 को जन्मे कैलाश खेर, भारतीय संगीत जगत का वह चमकता सितारा हैं जिनकी जिंदगी किसी फ़िल्मी कहानी से कम नहीं। एक ऐसे गायक, जिन्होंने 14 साल की कच्ची उम्र में ही अपने सपनों को पूरा करने के लिए घर छोड़ दिया, लेकिन उन्हें क्या पता था कि किस्मत उन्हें कहाँ-कहाँ खींचकर ले जाएगी – कभी साधु बनने की राह पर, तो कभी गंगा की लहरों में अपनी जिंदगी खत्म करने की कोशिश तक।
सपनों की तलाश में बचपन का घर छोड़ा-
कैलाश के पिता एक लोक गायक थे और संगीत उन्हें विरासत में मिला था। बचपन से ही उन्होंने अपने पिता से गायन की बारीकियां सीखीं और तभी से उनके दिल में एक महान गायक बनने का सपना पलने लगा। इस सपने को पूरा करने के लिए एक अच्छे गुरु की तलाश में, सिर्फ 14 साल की उम्र में कैलाश खेर अपने घर, मेरठ से भाग निकले। लेकिन, उनकी यह तलाश आसान नहीं थी। उन्हें कोई ऐसा गुरु नहीं मिला जो उन्हें संगीत की दुनिया में सही राह दिखा सके।

जब ज़िंदगी ने ली कठिन परीक्षा: साधु से लेकर आत्महत्या के प्रयास तक-
थक-हारकर कैलाश ने व्यवसाय में हाथ आजमाने का फैसला किया। उन्होंने एक्सपोर्ट का बिजनेस शुरू किया, लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। यह व्यापार बुरी तरह डूब गया और कैलाश पूरी तरह टूट गए। इस निराशा ने उन्हें इतना घेर लिया कि उन्होंने अपनी जान तक देने की कोशिश की। एक समय ऐसा भी आया जब वे साधु बनने के लिए ऋषिकेश चले गए थे। हिंदुस्तान टाइम्स को दिए एक पुराने इंटरव्यू में कैलाश ने अपने उस दौर का जिक्र करते हुए बताया था:

"बिजनेस डूबने के बाद मैं साधु बनने के लिए ऋषिकेश चला गया था। हालांकि, मुझे लगा कि मैं वहां फिट नहीं बैठूंगा क्योंकि मेरे साथी मुझसे उम्र में बहुत छोटे थे और मेरे विचार उनसे कभी मेल नहीं खाते थे। मैं इतना निराश था कि हर चीज में असफल हो रहा था। इसलिए एक दिन मैंने गंगा नदी में कूदकर आत्महत्या करने की कोशिश की।"
लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। उसी वक्त घाट पर मौजूद एक शख्स ने कैलाश खेर की जान बचा ली। यह घटना उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई।
"अल्लाह के बंदे" और किस्मत का यू-टर्न-
अपनी जिंदगी से निराश हो चुके कैलाश ने एक रोज मुंबई जाने का फैसला किया। उनका एक दोस्त मुंबई में था जो फिल्मी दुनिया से जुड़ा हुआ था। कैलाश अपने दोस्त के पास गए और यहीं से उनके करियर की नई शुरुआत हुई। उन्होंने छोटे-मोटे जिंगल्स से अपने करियर की नींव रखी। लेकिन उन्हें असली पहचान और बड़ा ब्रेक 'अल्लाह के बंदे' गाने से मिला। इस गाने ने उनकी किस्मत को ऐसा पलटा कि आज वह भारतीय सिनेमा के सबसे प्रतिष्ठित और दिग्गज गायकों में से एक बन गए हैं।
पद्म श्री से सम्मानित कैलाश खेर: एक बेमिसाल सफर-
दो दशक से अधिक के अपने शानदार करियर में पद्म श्री से सम्मानित कैलाश खेर ने कई दिल छू लेने वाले और यादगार गाने गाए हैं। उनकी आवाज में एक अनूठी रूहानियत और ऊर्जा है जो सीधे श्रोताओं के दिलों में उतर जाती है।
यहां उनके कुछ बेहतरीन गानों की सूची दी गई है जिन्होंने लाखों दिलों पर राज किया:
सैयां
तेरी दीवानी
पिया घर आवेंगे
तेरे नैना
यूं ही चला चल
करले जुगाड़ करले
अर्जियां
जय जयकारा
तेरी मर्जी ऐ खुदा
चांदन में
बम लहरी
छाप तिलक
कैलाश खेर की कहानी सिर्फ एक गायक के संघर्ष की नहीं, बल्कि अदम्य साहस, हार न मानने की ज़िद और अपनी कला के प्रति पूर्ण समर्पण की कहानी है। यह हमें सिखाती है कि चाहे कितनी भी मुश्किलें आएं, अपने सपनों पर विश्वास रखने वाला कभी हार नहीं मानता।




