उत्तराखंड में सौर ऊर्जा को मिलेगा बल, 100 मेगावाट बैटरी स्टोरेज सिस्टम स्वीकृत
- ANH News
- 6 जुल॰
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उत्तराखण्ड सरकार ने हरित ऊर्जा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए सौर ऊर्जा को और अधिक प्रभावी व सतत् बनाने के लिए बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (बीईएसएस) स्थापित करने का प्रस्ताव मंजूर किया है। इससे न केवल प्रदेश में विद्युत की उपलब्धता बढ़ेगी, बल्कि रात्रि और पीक आवर्स में भी सौर ऊर्जा का समुचित उपयोग सुनिश्चित होगा।
मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन की अध्यक्षता में शनिवार को ऊर्जा निगम के निदेशक मंडल की बैठक में 100 मेगावाट क्षमता के बीईएसएस परियोजना को हरी झंडी दी गई। यह परियोजना प्रदेश में नवीकरणीय ऊर्जा के समेकन को सशक्त करने और सौर ऊर्जा से उत्पादित विद्युत को बेहतर ढंग से स्टोर कर आवश्यकता के समय उपयोग में लाने में सहायक होगी।
सौर ऊर्जा उत्पादन के लक्ष्य और वर्तमान स्थिति
उत्तराखण्ड सरकार ने वर्ष 2027 तक 2500 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। फिलहाल प्रदेश में 250 मेगावाट से अधिक क्षमता वाले सौर संयंत्र स्थापित हो चुके हैं, जो दिन के समय विद्युत उत्पादन करते हैं। लेकिन सायंकाल और रात्रि में बिजली की मांग अधिक होने के कारण सौर ऊर्जा का निरंतर उपयोग कठिन होता है। बैटरी स्टोरेज सिस्टम के माध्यम से इस समस्या का समाधान संभव हो सकेगा, जिससे ऊर्जा की आपूर्ति निर्बाध बनी रहेगी।
धन एवं वित्तीय प्रबंधन पर विशेष ध्यान
मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने निर्देश दिए हैं कि इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए आवश्यक धनराशि सस्ती ब्याज दरों पर उपलब्ध हो, इसके लिए विभिन्न वित्तीय संस्थानों से प्रतिस्पर्धात्मक ब्याज दरों का आकलन करते हुए निर्णय लिया जाए। इससे परियोजना की लागत कम होगी और निवेश अधिक आकर्षक बनेगा।
सीमांत गांवों को ग्रिड से जोड़ने का निर्देश
बैठक में प्रदेश के दूर-दराज और सीमांत गांवों, जो अभी सौर ऊर्जा से आच्छादित हैं, उन्हें स्थायी और विश्वसनीय ग्रिड आधारित विद्युत आपूर्ति से जोड़ने का भी निर्देश दिया गया। इससे वहां के ग्रामीणों को बेहतर और नियमित विद्युत सेवा मिल सकेगी।
ट्रांसफार्मर में कैपेसिटर बैंक लगाकर वोल्टेज सुधार
प्रदेश के ऊर्जा आपूर्ति और वोल्टेज गुणवत्ता सुधार हेतु 76 हजार से अधिक कैपेसिटर बैंक ट्रांसफार्मर में लगाने की मंजूरी भी दी गई। यह कदम विद्युत की गुणवत्ता को बेहतर बनाने और वितरण में हो रहे नुकसान को कम करने में मदद करेगा।
निदेशक मंडल में तकनीकी सदस्य की नियुक्ति
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि विभिन्न ऊर्जा परियोजनाओं के तकनीकी पहलुओं के समुचित अध्ययन के लिए निदेशक मंडल में एक तकनीकी सदस्य नियुक्त किया जाएगा। साथ ही, सितंबर 2025 तक एंटरप्राइज रिसोर्स प्लान (ERP) को पूरी तरह स्थिर करने के निर्देश दिए गए हैं, जो निगम के कामकाज को और अधिक सुचारु और पारदर्शी बनाएगा।
निदेशक मंडल की बैठक में शामिल प्रमुख अधिकारी
बैठक में मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन के अलावा ऊर्जा प्रमुख सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम, वित्त सचिव दिलीप जावलकर, निदेशक मंडल सदस्य बीपी पांडेय और पराग गुप्ता, ऊर्जा निगम के प्रबंध निदेशक अनिल कुमार, पिटकुल के प्रबंध निदेशक पीसी ध्यानी तथा जलविद्युत निगम के प्रबंध निदेशक संदीप सिंघल उपस्थित रहे।
यह पहल उत्तराखण्ड में नवीकरणीय ऊर्जा के समग्र विकास और ऊर्जा सुरक्षा के लिए मील का पत्थर साबित होगी। बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम से सौर ऊर्जा को अधिक प्रभावी, भरोसेमंद और सतत् बनाया जा सकेगा, जो प्रदेश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान देगा।





