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महिला सशक्तिकरण विभाग ने 264 बच्चों का भविष्य संवारने का लिया जिम्मा

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 28 अप्रैल
  • 2 मिनट पठन

देहरादून, उत्तराखंड: राज्य सरकार ने उन बच्चों के भविष्य को संवारने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है, जिन्हें माता-पिता का प्यार और देखभाल नहीं मिल पाई। महिला सशक्तिकरण और बाल विकास विभाग ने एसओएस चिल्ड्रेन विलेज संस्था के साथ साझेदारी की है, जिसके तहत 16 से 21 वर्ष के 264 बच्चों का चयन किया गया है। यह बच्चे वे हैं जिनके माता-पिता का निधन हो चुका है, और इनमें से अधिकांश कोरोना महामारी के दौरान अनाथ हो गए थे।


हालांकि, इन बच्चों को राज्य सरकार की मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना के तहत 21 वर्ष तक तीन हजार रुपये प्रतिमाह की आर्थिक सहायता मिल रही है, लेकिन यह सहायता केवल 21 वर्ष की उम्र तक सीमित है। जैसे ही ये बच्चे वयस्क होते हैं, उन्हें अपनी ज़िंदगी को अपने बलबूते पर खड़ा करना होता है। यही असली चुनौती है, जिसे ध्यान में रखते हुए इस योजना को तैयार किया गया है।


आत्मनिर्भरता की दिशा में उठाया गया कदम

महिला सशक्तिकरण और बाल विकास विभाग ने इन बच्चों को उच्च शिक्षा, कौशल विकास, और आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक ठोस कार्य योजना बनाई है। योजना के अंतर्गत चयनित बच्चों के लिए मेंटरशिप प्रोग्राम शुरू किया जाएगा, जिसमें स्थानीय अनुभवी और सशक्त व्यक्तियों को बच्चों का मेंटर बनाया जाएगा। ये मेंटर्स बच्चों को न केवल उच्च शिक्षा दिलाने में मदद करेंगे, बल्कि उन्हें कौशल विकास के लिए भी प्रशिक्षित करेंगे।


शिक्षा और कौशल विकास के लिए विशेष प्रयास

इस कार्यक्रम के तहत, चयनित बच्चों को इंग्लिश स्पीकिंग, कंप्यूटर कोर्स, और निशुल्क कोचिंग दी जाएगी, जिससे वे आत्मनिर्भर और आर्थिक रूप से सक्षम बन सकें। इसके अलावा, हाल ही में इन बच्चों को टैबलेट भी प्रदान किए गए हैं, ताकि वे अपनी पढ़ाई को और अधिक प्रभावी तरीके से कर सकें।


मुख्य उद्देश्य – इस पहल का मुख्य उद्देश्य इन बच्चों को जीवन के विभिन्न पहलुओं में सक्षम बनाना है, ताकि वे वयस्क होने के बाद अपने पैरों पर खड़े हो सकें और समाज में सकारात्मक योगदान दे सकें।


उत्तराखंड सरकार का यह कदम उन बच्चों के लिए एक नई उम्मीद और आत्मनिर्भरता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित होगा, जो जीवन की कठिनाइयों से जूझ रहे हैं और एक बेहतर भविष्य की तलाश में हैं।

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