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सड़कों और सार्वजनिक स्थानों से हटाए जाएं सभी आवारा पशु और कुत्ते...सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 15 घंटे पहले
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सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में आवारा पशुओं और कुत्तों की बढ़ती समस्या पर गंभीर रुख अपनाते हुए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को व्यापक दिशा-निर्देश जारी किए हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि सड़कों, राज्य मार्गों और राष्ट्रीय राजमार्गों पर घूमने वाले सभी आवारा पशुओं को तत्काल प्रभाव से हटाया जाए, ताकि यात्रियों और वाहन चालकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। इस आदेश के दायरे में न केवल राज्य सरकारें आती हैं, बल्कि राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) और सभी नगरपालिकाएं भी शामिल हैं।


कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि प्रत्येक राज्य में विशेष हाईवे निगरानी टीमें (Highway Surveillance Teams) गठित की जाएं। इन टीमों की जिम्मेदारी होगी कि वे सड़कों और राजमार्गों पर मौजूद आवारा पशुओं को पकड़कर सुरक्षित रूप से हटाएं और उन्हें निर्धारित शेल्टर होम्स (Shelter Homes) में रखा जाए। इन शेल्टरों में पशुओं के लिए उचित देखभाल, भोजन और स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं की व्यवस्था की जानी चाहिए।

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सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने आवारा कुत्तों के मामलों पर भी विशेष चिंता व्यक्त की। अदालत ने आदेश दिया कि शिक्षण संस्थानों, अस्पतालों, बस अड्डों और रेलवे स्टेशनों जैसे सार्वजनिक स्थलों से आवारा कुत्तों को तत्काल हटाया जाए। पकड़े गए कुत्तों को शेल्टर होम में ले जाकर उनका टीकाकरण (Vaccination) कराया जाए, लेकिन टीका लगने के बाद उन्हें उसी इलाके में वापस न छोड़ा जाए। कोर्ट ने यह भी कहा कि स्थानीय प्रशासन इस बात का पुख्ता इंतजाम करे कि इन कुत्तों को दोबारा सार्वजनिक जगहों पर आने से रोका जा सके।


तीन न्यायाधीशों- जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एन. वी. अंजारिया- की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी की कि देशभर में कुत्तों के काटने की घटनाओं में चिंताजनक बढ़ोतरी हुई है, जिससे आम नागरिकों की सुरक्षा खतरे में पड़ रही है। अदालत ने कहा कि अब यह राज्यों और प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वे इस दिशा में ठोस कदम उठाएं और अदालत के निर्देशों का सख्ती से पालन सुनिश्चित करें।

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सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि इस विषय पर उसकी निगरानी जारी रहेगी और अगली सुनवाई 13 जनवरी को होगी, जिसमें अदालत यह समीक्षा करेगी कि राज्यों और संबंधित एजेंसियों ने अब तक क्या कदम उठाए हैं और आदेशों का पालन किस हद तक हुआ है।


यह फैसला न केवल पशु नियंत्रण के प्रशासनिक ढांचे में बड़ा बदलाव ला सकता है, बल्कि नागरिक सुरक्षा, जनस्वास्थ्य और सड़कों पर यातायात की सुगमता से जुड़े कई पहलुओं पर भी व्यापक प्रभाव डालने वाला साबित हो सकता है।

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