धराली में न पुल, न रास्ता, फिर भी हिम्मत बरकरार, वाहनों की आवाजाही और हेली से रेस्क्यू फिर से शुरू
- ANH News
- 17 अग॰
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उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में आई प्राकृतिक आपदा के 12 दिन बीत जाने के बावजूद धराली और आसपास के क्षेत्रों में हालात अब भी गंभीर बने हुए हैं। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने कड़ी मेहनत के बाद धराली में मलबे के बीच से वाहनों की आवाजाही बहाल कर दी है, लेकिन इससे आगे हर्षिल क्षेत्र में बनी झील और हाईवे के डूबे हिस्से को फिर से चालू करना अब भी एक बड़ी चुनौती बना हुआ है।
मौसम के कारण राहत कार्य प्रभावित
शनिवार सुबह खराब मौसम के चलते हेलीकॉप्टर रेस्क्यू अभियान अस्थायी रूप से रोकना पड़ा था, लेकिन दोपहर बाद मौसम साफ होने के बाद हेलीकॉप्टर से राहत एवं बचाव कार्य दोबारा शुरू कर दिया गया। प्रभावित गांवों में लगातार खाद्य सामग्री, दवाइयां और अन्य जरूरी सामान पहुंचाया जा रहा है।
धराली के हालात अब भी चिंताजनक
धराली गांव में आपदा के 12 दिन बाद भी जनजीवन सामान्य नहीं हो पाया है। अब भी कई गांव बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। खासकर मुखबा-धराली को जोड़ने वाला पुल पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है, जिससे आवागमन ठप हो गया है। स्थानीय मजदूर जान जोखिम में डालकर रस्सियों के सहारे भागीरथी नदी पार कर रहे हैं और पीठ पर रसोई गैस सिलिंडर, अनाज और अन्य जरूरी सामान ढोकर गांव तक पहुंचा रहे हैं।
ग्रामीणों में भय और पीड़ा का माहौल
धराली गांव में अभी भी आपदा के मंजर की गूंज सुनाई देती है। ग्रामीण गहरे सदमे में हैं और अपनी दिनचर्या मंदिरों के आंगन या मलबे के किनारे बैठकर गुजार रहे हैं। महिलाएं घटनाओं को याद कर भावुक हो जाती हैं। प्रशासन की ओर से प्रभावित लोगों को लगातार राहत सामग्री, खाद्य पैकेट और चिकित्सा सहायता पहुंचाई जा रही है, लेकिन मनोवैज्ञानिक राहत की अब भी जरूरत महसूस की जा रही है।
खीरगंगा में दबे लोगों की तलाश जारी
अब तक सबसे दर्दनाक पहलू यह है कि खीरगंगा क्षेत्र के मलबे में दबे लोगों का अभी तक कोई सुराग नहीं मिल पाया है। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें, आधुनिक उपकरणों और स्निफर डॉग्स की मदद से लगातार सर्च ऑपरेशन चला रही हैं। लेकिन लगातार बारिश और खीरगंगा नदी का बढ़ता जलस्तर इस अभियान में लगातार बाधा बन रहा है।
बीआरओ का प्रयास: गंगोत्री हाईवे बहाली में जुटे कर्मी
सीमा सड़क संगठन गंगोत्री हाईवे को फिर से खोलने के लिए दिन-रात प्रयासरत है, लेकिन हर रात होने वाली बारिश से हालात बिगड़ जाते हैं। पानी का बहाव तेज होने के कारण मरम्मत कार्यों में लगातार रुकावट आ रही है।
धराली और आसपास के आपदा प्रभावित क्षेत्र आज भी राहत, पुनर्वास और भरोसे की प्रतीक्षा में हैं। प्रशासन और राहत एजेंसियां अपनी पूरी ताकत के साथ कार्य कर रही हैं, लेकिन प्राकृतिक परिस्थितियां, टूटी हुई कनेक्टिविटी और जलस्तर में उतार-चढ़ाव के कारण यह कार्य बेहद चुनौतीपूर्ण बन गया है। ऐसे समय में स्थानीय निवासियों का धैर्य और साहस इस त्रासदी को सहन करने में बड़ी भूमिका निभा रहा है।





