Uttarkashi Flood: 3 जख्मी AIIMS में भर्ती, घायलों से मिलने पहुंचे पूर्व कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल
- ANH News
- 8 अग॰
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उत्तरकाशी जिले के धराली क्षेत्र में हाल ही में आई भीषण प्राकृतिक आपदा में घायल हुए तीन व्यक्तियों का इलाज ऋषिकेश स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के ट्रॉमा सेंटर में किया जा रहा है। चिकित्सकों के अनुसार तीनों की स्थिति में लगातार सुधार हो रहा है।
रातोंरात लाए गए घायल, एम्स में चल रहा उपचार
बुधवार देर रात, धराली से गंभीर रूप से घायल तीन व्यक्तियों को सड़क मार्ग से ऋषिकेश लाकर एम्स ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया। इन घायलों में सेना के दो जवान – राम प्रताप और शिवांशु शामिल हैं, जबकि तीसरे घायल वीरेंद्र, नेपाली मूल के हैं।
एम्स के जनसंपर्क अधिकारी संदीप कुमार सिंह ने जानकारी दी कि तीनों घायलों का उपचार विशेषज्ञ चिकित्सकों की देखरेख में किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि वीरेंद्र और शिवांशु को ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया है, जबकि राम प्रताप की स्थिति अपेक्षाकृत स्थिर है और वे रूम एयर (सामान्य ऑक्सीजन) पर हैं।
एम्स निदेशक ने दिए चिकित्सकीय निर्देश
संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर मीनू सिंह ने गुरुवार को ट्रॉमा सेंटर पहुंचकर घायलों का हालचाल जाना। उन्होंने अधीनस्थ चिकित्सकों को निर्देश दिए कि घायलों को हर संभव चिकित्सकीय सुविधा और बेहतर देखभाल प्रदान की जाए।
प्रो. मीनू सिंह ने कहा कि संस्थान आपदा के इस कठिन समय में पूरी तरह तत्पर है और आवश्यकता पड़ने पर अतिरिक्त संसाधन भी उपलब्ध कराए जाएंगे।
विधायक प्रेमचंद अग्रवाल ने जताई संवेदना
विधानसभा अध्यक्ष और स्थानीय विधायक प्रेमचंद अग्रवाल भी एम्स पहुंचे और घायलों से मुलाकात की। उन्होंने चिकित्सकों से घायलों के समुचित इलाज की व्यवस्था सुनिश्चित करने का अनुरोध किया। इस दौरान उन्होंने कहा,
“धराली आपदा से प्रभावित सभी लोगों की मदद के लिए सरकार और स्थानीय प्रशासन पूरी तरह प्रतिबद्ध है। घायलों के इलाज में कोई कमी नहीं आने दी जाएगी।”
उनके साथ सुरेंद्र कुमार सुमन, सुमित पंवार, संजीव पाल, सुयश मिश्रा सहित कई अन्य लोग भी मौजूद रहे।
एम्स प्रशासन और सरकार की समन्वित कोशिशें
धराली आपदा के बाद से घायलों की चिकित्सा व्यवस्था को प्राथमिकता पर रखा गया है। एम्स प्रशासन और राज्य सरकार के प्रतिनिधि लगातार समन्वय में हैं ताकि घायलों को शीघ्र स्वास्थ्य लाभ मिल सके।
इस त्रासदी में घायल हुए लोग सिर्फ मलबे के नीचे से निकाले गए शरीर नहीं हैं, वे संघर्ष, उम्मीद और पुनर्निर्माण की कहानियां हैं, जिन्हें इस वक्त पूरे समाज की संवेदनशीलता और सहारे की ज़रूरत है।




