उत्तराखंड को पहली योग नीति की सौगात, मुख्यमंत्री ने दो योग नगर और आध्यात्मिक आर्थिक क्षेत्र बसाने की घोषणा की
- ANH News
- 22 जून
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देहरादून। उत्तराखंड ने 11वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के ऐतिहासिक अवसर पर न केवल प्रदेश को, बल्कि देश को पहली बार एक समर्पित योग नीति की सौगात दी है। इस महत्वपूर्ण अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गैरसैंण के भराड़ीसैंण विधानसभा परिसर में आयोजित भव्य समारोह के दौरान योग नीति का विधिवत शुभारंभ किया।
इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कई दूरगामी घोषणाएं भी कीं, जिनमें पर्वतीय क्षेत्रों में दो नए ‘योग नगर’ बसाने और प्रदेश में दो आध्यात्मिक आर्थिक क्षेत्र (Spiritual Economic Zones) की स्थापना शामिल है। इन सभी पहलों का उद्देश्य उत्तराखंड को योग, आयुर्वेद और अध्यात्म का वैश्विक केंद्र बनाना है।
योग नीति के साथ ऐतिहासिक योग दिवस समारोह
यह योग दिवस कई मायनों में ऐतिहासिक रहा।
पहली बार उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में योग दिवस का आयोजन हुआ।
कार्यक्रम में आठ मित्र देशों के राजदूत, उच्चायुक्त और अन्य अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधि शामिल हुए।
इसी मौके पर मुख्यमंत्री ने राज्य की पहली योग नीति का लोकार्पण कर इसे "आध्यात्मिक उत्तराखंड" की दिशा में महत्वपूर्ण मील का पत्थर बताया।
दो नए योग नगर: योग, आयुर्वेद और अध्यात्म के वैश्विक केंद्र
सीएम धामी ने घोषणा की कि राज्य सरकार पर्वतीय क्षेत्रों में दो ‘योग नगर’ विकसित करेगी। ये नगर:
योग, आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा और आध्यात्मिक साधना के अंतरराष्ट्रीय केंद्र होंगे।
यहाँ दुनियाभर के योगाचार्यों, आध्यात्मिक गुरुओं और वेलनेस संगठनों को आमंत्रित किया जाएगा।
इनकी अवधारणा स्वस्थ जीवनशैली और वैश्विक आध्यात्मिक नेतृत्व पर आधारित होगी।
गढ़वाल और कुमाऊं में आध्यात्मिक आर्थिक क्षेत्र बनेंगे
प्रदेश सरकार शीघ्र ही गढ़वाल और कुमाऊं मंडल में एक-एक Spiritual Economic Zone की स्थापना करेगी:
ये क्षेत्र योग, अध्यात्म, आयुर्वेद और पर्यटन के एकीकृत विकास के लिए समर्पित होंगे।
इससे न केवल स्थानीय रोजगार को बल मिलेगा, बल्कि राज्य को वैश्विक आध्यात्मिक निवेश का केंद्र बनाने में भी सहायता मिलेगी।
वर्ष 2030 तक पांच योग हब और 2026 तक हर हेल्थ सेंटर में योग सेवा का लक्ष्य
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि:
वर्ष 2030 तक राज्य में 5 नए ‘योग हब’ स्थापित किए जाएंगे।
मार्च 2026 तक राज्य के सभी आयुष हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों में योग सेवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।
यह नीति राज्य के नागरिकों के लिए सुलभ, सस्ती और प्रभावी योग आधारित स्वास्थ्य सेवाओं का रास्ता खोलेगी।
उत्तराखंड को योग और अध्यात्म की वैश्विक राजधानी बनाने की दिशा में कदम
मुख्यमंत्री ने कहा कि "उत्तराखंड को प्रकृति ने योग और ध्यान के लिए आदर्श वातावरण दिया है। यह हमारी सांस्कृतिक विरासत है और हम इसे वैश्विक मानवता के लाभ के लिए उपलब्ध कराएंगे।"
उन्होंने इसे "पर्वतीय राज्य की संजीवनी" करार देते हुए कहा कि इससे पर्यटन, अर्थव्यवस्था और स्वास्थ्य—तीनों क्षेत्रों में क्रांतिकारी परिवर्तन आएंगे।
उत्तराखंड की पहली योग नीति और इसके अंतर्गत घोषित नवाचार – योग नगर और स्पिरिचुअल इकोनॉमिक ज़ोन – न केवल राज्य की पहचान को मजबूत करेंगे, बल्कि भारत के योग नेतृत्व को भी नई ऊंचाइयों तक पहुंचाएंगे। यह पहल उत्तराखंड को “योग की स्थायी राजधानी” बनाने की दिशा में एक मजबूत कदम है।





