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सरकारी भूमि पर अतिक्रमण के खिलाफ सख्त रुख, मुख्यमंत्री धामी ने दिए व्यापक अभियान के निर्देश

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 28 जून
  • 2 मिनट पठन

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Dehradun: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि राज्य की अमूल्य सरकारी भूमि, विशेष रूप से गंगा और अन्य नदियों के किनारों पर हो रहे अवैध अतिक्रमण को किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने सभी जिलों में प्रभावी और समन्वित अभियान चलाने के निर्देश देते हुए कहा कि यह कार्य स्थायी समाधान और कानूनी प्रक्रिया के तहत हो।


मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री आवास में आयोजित उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक में यह निर्देश दिए, जिसमें सरकारी भूमि पर अतिक्रमण से जुड़ी पूर्व में जारी कार्ययोजना की प्रगति का भी विश्लेषण किया गया।


नदी किनारों और सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण हटाने को बनेगी संयुक्त जिला टीम

मुख्यमंत्री धामी ने निर्देश दिए कि जिला स्तर पर सिंचाई विभाग, लोक निर्माण विभाग (PWD), वन विभाग और राजस्व विभाग की संयुक्त टीमें गठित की जाएं। ये टीमें न केवल अतिक्रमण चिन्हित करेंगी, बल्कि नियोजित तरीके से उसे हटाने का अभियान भी चलाएंगी।


उन्होंने हरिद्वार में गंगा, रुद्रपुर में कल्याणी नदी, तथा नैनीताल जिले में कोसी नदी जैसे संवेदनशील क्षेत्रों का विशेष रूप से उल्लेख करते हुए इन स्थलों पर सघन और सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए।


राज्य स्तर पर नियुक्त होगा अतिक्रमण मामलों का नोडल अधिकारी

मुख्यमंत्री ने यह भी घोषणा की कि मैदानी क्षेत्रों में हो रहे अतिक्रमण की निगरानी और समन्वयन के लिए शासन स्तर पर एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाएगा। यह अधिकारी जिला प्रशासन, पुलिस और संबंधित विभागों के साथ तालमेल कर समयबद्ध कार्रवाई और नियमित रिपोर्टिंग सुनिश्चित करेगा।


बाहरी लोगों के सत्यापन की प्रक्रिया होगी और अधिक कड़ी

बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने राज्य में भूमि अतिक्रमण से जुड़े आपराधिक तत्वों पर अंकुश लगाने के लिए बाहरी लोगों के सत्यापन को और अधिक कठोर बनाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि:


“राज्य की सरकारी भूमि पर कूट रचना और फर्जी दस्तावेजों के ज़रिये कब्जा करने वालों के खिलाफ कठोरतम कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।”


एडीजीपी एपी अंशुमान ने मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि पुलिस विभाग द्वारा 18 बिंदुओं पर आधारित सत्यापन प्रक्रिया को लागू किया गया है, जिसका डिजिटल डेटा संकलन राज्य स्तरीय निगरानी प्रणाली में किया जा रहा है।


संवेदनशीलता, समर्पण और सख्ती – अतिक्रमण के विरुद्ध सरकार का स्पष्ट संदेश

मुख्यमंत्री ने यह दोहराया कि उत्तराखंड की भूमि राज्य की धरोहर है और इस पर किसी भी प्रकार का अतिक्रमण सामाजिक, पर्यावरणीय और कानूनी दृष्टि से अस्वीकार्य है। उन्होंने सभी संबंधित अधिकारियों से अपेक्षा जताई कि वे इस अभियान को सामूहिक उत्तरदायित्व और संवेदनशीलता के साथ अंजाम दें।


बैठक में उपस्थित वरिष्ठ अधिकारी

बैठक में प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु, सचिव एस.एन. पांडेय, एडीजीपी ए.पी. अंशुमान, विशेष सचिव डॉ. पराग मधुकर धकाते, और अपर सचिव बंशीधर तिवारी सहित कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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