top of page

Uttarakhand: धार्मिक स्थलों के पास शराब की दुकानें होगी बंद, आबकारी नीति में बड़ा बदलाव

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 4 मार्च
  • 2 मिनट पठन


ree

उत्तराखंड की नई आबकारी नीति 2025 में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं, जिनका उद्देश्य न केवल राज्य के आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है, बल्कि सामाजिक और धार्मिक संवेदनाओं को भी सम्मानित करना है। नीति के तहत धार्मिक स्थलों के पास मदिरा अनुज्ञापनों को बंद करने का निर्णय लिया गया है, जिससे इन स्थलों की महत्ता और पवित्रता बनी रहे। इसके साथ ही शराब की बिक्री पर सख्त नियंत्रण रखा जाएगा, ताकि जनसामान्य की भावनाओं का सम्मान किया जा सके।


नए फैसले: उप-दुकानों और मैट्रो बिक्री व्यवस्था का समापन


नई नीति में उप-दुकानों और मैट्रो मदिरा बिक्री व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया है। साथ ही, दुकानों पर एमआरपी से अधिक कीमत वसूलने पर लाइसेंस निरस्त करने का प्रावधान भी जोड़ा गया है। इससे उपभोक्ताओं के हितों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी। अब डिपार्टमेंटल स्टोर्स पर भी एमआरपी लागू होगी, जिससे बाजार में मूल्य निर्धारण में पारदर्शिता आएगी और उपभोक्ताओं को बेहतर अनुभव मिलेगा।


आर्थिक लक्ष्यों के लिए राजस्व वृद्धि


वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 5060 करोड़ रुपये के राजस्व लक्ष्य का निर्धारण किया गया है। पिछले दो वर्षों में राज्य में आबकारी राजस्व में काफी वृद्धि हुई है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में 4000 करोड़ रुपये के लक्ष्य के मुकाबले 4038.69 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित हुआ, जबकि 2024-25 में 4439 करोड़ रुपये के लक्ष्य के मुकाबले अब तक लगभग 4000 करोड़ रुपये की प्राप्ति हो चुकी है।


आबकारी शुल्क में छूट: किसानों और बागवानी क्षेत्र को मिलेगा लाभ


नई नीति के तहत स्थानीय निवासियों को प्राथमिकता दी जाएगी, और उन्हें रोजगार के अधिक अवसर मिलेंगे। थोक मदिरा अनुज्ञापनों का वितरण केवल उत्तराखंड के निवासियों को किया जाएगा, जिससे राज्य में आर्थिक अवसरों का विस्तार होगा। पर्वतीय क्षेत्रों में वाइनरी उद्योग को बढ़ावा देने के लिए राज्य में उत्पादित फलों से वाइनरी इकाइयों को अगले 15 वर्षों तक आबकारी शुल्क में छूट दी जाएगी। इससे कृषकों और बागवानी क्षेत्र में कार्यरत लोगों को आर्थिक लाभ होगा।


स्थानीय कृषि उत्पादों को प्रोत्साहन: मदिरा उद्योग में निवेश को बढ़ावा


नई आबकारी नीति के तहत, स्थानीय कृषि उत्पादों को डिस्टिलरी (आसवनी इकाइयों) द्वारा प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इससे किसानों की आय में वृद्धि होगी और उन्हें नए बाजारों में अपनी उत्पादों को बेचने का मौका मिलेगा। इसके साथ ही मदिरा उद्योग में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए निर्यात शुल्क में कटौती की गई है, जबकि माल्ट और स्प्रिट उद्योगों को पर्वतीय क्षेत्रों में विशेष सुविधाएं दी जाएंगी।


पारदर्शी प्रक्रिया और जनजागरूकता अभियान


नई आबकारी नीति में दुकान आवंटन की प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने के लिए नवीनीकरण, लॉटरी और अधिकतम ऑफर जैसी प्रक्रियाओं का पालन किया जाएगा। इसके अलावा, जनसाधारण को मदिरा के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक करने के लिए विशेष अभियान चलाए जाएंगे, ताकि समाज में शराब के दुष्प्रभावों को लेकर सर्तकता पैदा हो।


सामाजिक जिम्मेदारी और पारदर्शिता पर ध्यान


उत्तराखंड की नई आबकारी नीति 2025 प्रदेश में आर्थिक सुदृढ़ीकरण, पारदर्शिता और सामाजिक जिम्मेदारी को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है। इस नीति के जरिए राज्य न केवल राजस्व को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहा है, बल्कि समाज और पर्यावरण की भलाई को भी सुनिश्चित करने की दिशा में कदम उठा रहा है।

bottom of page