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Uttarakhand: ध्वनि प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर अब सख्त कार्रवाई, ₹10 हजार तक जुर्माना व लाइसेंस निलंबन

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 27 जून
  • 2 मिनट पठन

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उत्तराखंड: ध्वनि प्रदूषण पर नियंत्रण लगाने के लिए परिवहन विभाग ने अब सख्ती बरतने की तैयारी कर ली है। सड़कों पर तेज आवाज करने वाले वाहनों के खिलाफ अब प्रमाण आधारित कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए विभाग ने 47 डेसीबल मीटर खरीदे हैं, जो विशेष प्रवर्तन दस्तों को वितरित किए गए हैं। इससे अब वाहनों की ध्वनि का सटीक मापन कर नियमों के उल्लंघन पर चालान, जुर्माना, लाइसेंस निलंबन और यहां तक कि कारावास तक की कार्रवाई संभव होगी।


10 हजार तक जुर्माना, 3 महीने तक लाइसेंस निलंबन या कारावास

मोटर वाहन नियमावली के तहत यदि कोई वाहन निर्धारित सीमा से अधिक ध्वनि उत्पन्न करता पाया जाता है, तो वाहन चालक पर ₹10,000 तक का जुर्माना, तीन माह तक का लाइसेंस निलंबन और यहां तक कि तीन माह का कारावास भी हो सकता है। अब तक विभाग के पास ऐसे नियमों के अनुपालन हेतु ध्वनि मापन के लिए कोई वैज्ञानिक उपकरण नहीं था। निरीक्षक अक्सर अनुमान के आधार पर चालान करते थे, जिससे पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर सवाल उठते थे।


शोर करते हार्न और साइलेंसर बन रहे मुसीबत, बच्चे और बुजुर्ग परेशान

बड़े शहरों में युवाओं द्वारा वाहनों में अत्यधिक शोर करने वाले हार्न और मॉडिफाइड साइलेंसर लगवाने का चलन बढ़ गया है। इनमें से कुछ हार्न की आवाज पटाखे, गोली या तेज म्यूजिक जैसी होती है। ये शोरगुल विशेष रूप से बच्चों, बुजुर्गों और बीमार व्यक्तियों के लिए परेशानी का कारण बन रहा है।


वाहन शोरूम से बाहर आते समय उनके हार्न निर्धारित मानकों के अनुरूप होते हैं, लेकिन वाहन स्वामी दिखावे और स्टाइल के लिए बाहर से तीव्र ध्वनि वाले हार्न लगवा लेते हैं, जिससे नियमों का उल्लंघन होता है।


ध्वनि सीमा के निर्धारित मानक

नियमों के अनुसार विभिन्न प्रकार के वाहनों के लिए ध्वनि की अधिकतम सीमा इस प्रकार है:


दोपहिया व तिपहिया वाहन: 80 डेसीबल


कारें: 82 डेसीबल


चार मीट्रिक टन तक के वाहन: 85 डेसीबल


चार मीट्रिक टन से अधिक के वाहन: 91 डेसीबल


डेसीबल मीटर से बढ़ेगी पारदर्शिता व दक्षता

अब खरीदे गए डेसीबल मीटर के माध्यम से प्रवर्तन अधिकारी वैज्ञानिक आधार पर ध्वनि की तीव्रता माप सकेंगे, जिससे कार्रवाई में निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित होगी। पहले चरण में प्रदेश के 47 प्रवर्तन दस्तों को ये उपकरण प्रदान किए गए हैं। इन मीटरों को परिवहन मुख्यालय में परीक्षण के बाद वितरित किया गया है।


अधिकारियों की प्रतिक्रिया

सहायक परिवहन आयुक्त शैलेश तिवारी ने बताया कि,

"डेसीबल मीटर परिवहन विभाग के लिए एक बड़ा कदम है। इससे न केवल नियमों के उल्लंघन की वैज्ञानिक पुष्टि संभव होगी, बल्कि प्रवर्तन की गुणवत्ता और पारदर्शिता में भी सुधार आएगा। आने वाले समय में हम इनकी संख्या और भी बढ़ाएंगे।"


राज्य सरकार और परिवहन विभाग की यह पहल ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने, सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा करने, और सड़क सुरक्षा बढ़ाने की दिशा में एक सार्थक व महत्वपूर्ण कदम है। अब नियम तोड़ने वालों को न केवल सबूतों के साथ पकड़ा जाएगा, बल्कि सख्त सजा भी दी जाएगी।

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