महिला सशक्तीकरण में उत्तराखंड की बड़ी छलांग, एक नहीं अब 57 विभाग करेंगे काम
- ANH News
- 24 जून
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उत्तराखंड सरकार ने महिला सशक्तीकरण को लेकर एक ऐतिहासिक और समन्वित पहल की है। अब यह जिम्मेदारी सिर्फ एक विभाग या आयोग तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि राज्य के 57 विभाग मिलकर महिलाओं के समग्र विकास के लिए संयुक्त रूप से काम करेंगे। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए राज्य सरकार ने नई राज्य महिला नीति तैयार की है, जो लागू होते ही उत्तराखंड को महिला सशक्तीकरण की दिशा में देश का अग्रणी राज्य बना सकती है।
नीति का उद्देश्य: समन्वय, प्रभावशीलता और समग्रता
नई राज्य महिला नीति का मूल उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी सरकारी विभागों के बीच समन्वय स्थापित हो, और महिला कल्याण से जुड़ी योजनाओं को समयबद्ध और प्रभावी ढंग से लागू किया जाए।
नई दिल्ली में राष्ट्रीय मंच पर उत्तराखंड की प्रस्तुति
हाल ही में नई दिल्ली में केंद्र सरकार द्वारा आयोजित एक परामर्श सत्र में उत्तराखंड को देश के चुनिंदा पांच राज्यों के साथ राज्य महिला नीति की प्रस्तुति देने का अवसर मिला।
महिला सशक्तीकरण विभाग की टीम ने इस मंच पर राज्य की योजना का दृष्टिकोण और रणनीति साझा करते हुए बताया कि नीति का उद्देश्य ग्रामीण और सुदूरवर्ती क्षेत्रों की महिलाओं के जीवन में ठोस और सकारात्मक परिवर्तन लाना है।
महिला नीति के प्रमुख फोकस क्षेत्र:
शिक्षा: लड़कियों की स्कूली और उच्च शिक्षा में भागीदारी को बढ़ावा देना
स्वास्थ्य: महिलाओं की स्वास्थ्य सेवाओं तक सुगम पहुँच सुनिश्चित करना
रोजगार: महिलाओं के लिए स्थानीय और समान अवसर उपलब्ध कराना
सामाजिक सुरक्षा: महिलाओं को संरक्षण और न्याय प्रदान करना
सुरक्षित वातावरण: महिलाओं के लिए घर से workplace तक सुरक्षा सुनिश्चित करना
महिला सशक्तीकरण एवं बाल कल्याण मंत्री रेखा आर्या ने कहा:
"नई राज्य महिला नीति का उद्देश्य केवल योजनाएं बनाना नहीं, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि जेंडर बजट का अधिकतम और प्रभावी उपयोग हो। यह नीति सभी विभागों के बीच समन्वय स्थापित कर व्यवस्थित और ठोस बदलाव लाने का कार्य करेगी। नीति का ड्राफ्ट तैयार हो चुका है और इसे जल्द अंतिम रूप देकर लागू करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।"
राज्य महिला नीति के लागू होने के बाद उत्तराखंड न केवल महिला सशक्तीकरण के क्षेत्र में एक नई दिशा तय करेगा, बल्कि यह अन्य राज्यों के लिए आदर्श मॉडल भी बन सकता है। यह पहल केवल विकास की नहीं, बल्कि समानता, सम्मान और अवसरों की गारंटी भी है।





