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दूसरी शादी बनी BJP पूर्व विधायक की राजनीति की सबसे बड़ी भूल, पार्टी ने 6 साल का लगाया बैन

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 29 जून
  • 2 मिनट पठन

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उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने सत्ता में आने पर प्रदेश में समान नागरिक संहिता (UCC) लागू करने का वादा किया था। इस संहिता के अंतर्गत प्रदेश में रहने वाले सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून लागू किया गया, जिसमें धर्म, जाति या अन्य किसी भी आधार पर भेदभाव की अनुमति नहीं होगी। भाजपा की चुनावी जीत के बाद जनवरी 2025 से इस कानून को राज्य में आधिकारिक रूप से लागू कर दिया गया।


समान नागरिक संहिता के प्रमुख प्रावधान और प्रभाव:

इस कानून के तहत सबसे महत्वपूर्ण बदलावों में से एक विवाह संबंधी प्रावधान रहा। राज्य में बहुविवाह (पॉलीगेमी) को पहली पत्नी के रहते हुए दूसरी शादी करना अपराध घोषित किया गया है। इस पर सख्त कानूनी कार्रवाई का प्रावधान किया गया है, जिसमें दोषी पाए जाने पर 6 महीने तक की जेल या ₹50,000 तक जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। यदि जुर्माना नहीं भरा जाता है तो अतिरिक्त एक महीने की जेल की सजा हो सकती है।


सुरेश राठौड़ का मामला:

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हाल ही में भाजपा के पूर्व विधायक और वरिष्ठ नेता सुरेश राठौड़ की पहली पत्नी को तलाक दिए बिना दूसरी शादी करने की बात सामने आई है। सोशल मीडिया पर उनका एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें वह सहारनपुर की अभिनेत्री उर्मिला सनावर को अपनी दूसरी पत्नी के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं। इस विवाद ने भाजपा को अंदर से झकझोर दिया है, क्योंकि यह घटना सीधे तौर पर समान नागरिक संहिता के कानूनों का उल्लंघन है।


भाजपा का कड़ा रुख और निष्कासन:

इस मामले में भाजपा ने तत्काल कदम उठाते हुए सुरेश राठौड़ को पार्टी अनुशासन का उल्लंघन करने पर छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया है। प्रदेश भाजपा महासचिव राजेंद्र बिष्ट के हस्ताक्षरित निष्कासन पत्र में कहा गया है कि पार्टी नेतृत्व उनके स्पष्टीकरण से संतुष्ट नहीं है और उन्होंने लगातार पार्टी अनुशासन एवं सामाजिक आचरण के मानदंडों का उल्लंघन किया है। इस कारण पार्टी अध्यक्ष के निर्देश पर उन्हें पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से छह वर्षों के लिए निष्कासित किया गया है।


आगे की संभावनाएं और कानूनी कार्रवाई:

सिर्फ पार्टी निष्कासन ही नहीं, बल्कि उत्तराखंड की समान नागरिक संहिता के तहत सुरेश राठौड़ के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है। उनकी दूसरी शादी को अवैध माना जा रहा है और यदि इस मामले में उन्हें दोषी पाया गया तो जेल की सजा के साथ भारी जुर्माना भी भुगतना पड़ सकता है। ऐसे में उनकी मुश्किलें और बढ़ सकती हैं।


उत्तराखंड की भाजपा सरकार ने सत्ता में आने के बाद जनता से किए वादे को पूरा करते हुए समान नागरिक संहिता लागू की, जिससे राज्य में एक समान कानून की व्यवस्था सुनिश्चित हुई। लेकिन इस कानून के तहत स्वयं पार्टी के एक दिग्गज नेता का नियमों का उल्लंघन करना न केवल राजनीतिक संकट खड़ा कर गया है, बल्कि कानूनी स्तर पर भी उनकी मुसीबतें बढ़ गई हैं। यह मामला न केवल भाजपा के लिए बल्कि पूरे राज्य की राजनीति के लिए भी एक अहम चुनौती बन गया है।

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