top of page

प्रत्येक आपदा पीड़ित को मिलेगी राहत, बनेगी नई पुनर्वास नीति, मुख्यमंत्री ने दिए प्रस्ताव के आदेश

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 29 अग॰
  • 2 मिनट पठन

अपडेट करने की तारीख: 30 अग॰

ree

उत्तराखंड की विषम भौगोलिक परिस्थितियों में बार-बार आने वाली प्राकृतिक आपदाओं के चलते प्रभावित लोगों के जीवन में जो असहनीय पीड़ा और विस्थापन आया है, उसे ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार अब एक सुनियोजित, व्यावहारिक और संवेदनशील पुनर्वास नीति तैयार करने जा रही है। इस नई नीति के तहत आपदा पीड़ितों को वर्तमान में राष्ट्रीय और राज्य आपदा मोचन निधियों (NDRF/SDRF) के तहत मिलने वाली सहायता राशि से अधिक आर्थिक राहत देने का रास्ता साफ होगा।


मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस दिशा में महत्वपूर्ण पहल करते हुए अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि राज्य की वर्तमान भौगोलिक, सामाजिक और मानवीय परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए एक व्यापक और व्यावहारिक पुनर्वास नीति तैयार की जाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह नीति आपदा के प्रति सिर्फ एक प्रशासनिक प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि संवेदनशीलता और मानवीय करुणा का दर्पण होनी चाहिए।


आपदाओं ने दिए हैं गहरे जख्म

इस वर्ष उत्तरकाशी के धराली, स्यानाचट्टी, चमोली जिले का थराली और पौड़ी जनपद के कई गांव भारी प्राकृतिक आपदाओं की चपेट में आकर बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। धराली का बड़ा हिस्सा खीरगंगा में आई विनाशकारी बाढ़ से नष्ट हो गया, वहीं थराली में भूस्खलन और मलबे के कारण लोगों की रोजी-रोटी और आजीविका पर गहरी चोट पहुंची है।


आपदा प्रबंधन से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, "इस बार आपदा से जो नुकसान सामने आया है, वह राज्य और केंद्र सरकार की मौजूदा राहत-मानकों की सीमाओं को उजागर करता है।" उन्होंने कहा कि मौजूदा सहायता राशि और पुनर्वास के तौर-तरीके इस प्रकार की आपदाओं के दीर्घकालिक असर के लिए पर्याप्त नहीं हैं।


एक समान नीति की जरूरत

इससे पहले जोशीमठ भूधंसाव के दौरान राज्य सरकार ने विशेष पुनर्वास नीति बनाकर प्रभावितों को राहत प्रदान की थी। अब सरकार का मानना है कि बार-बार अलग-अलग क्षेत्रों के लिए नए पैकेज बनाने की बजाय, राज्य के लिए एक समान, व्यापक और दीर्घकालिक पुनर्वास नीति लागू की जाए, जिससे आपदा के समय त्वरित और उपयुक्त राहत सुनिश्चित की जा सके।


मुख्यमंत्री धामी ने कहा "हमारी सरकार का लक्ष्य केवल राहत देना नहीं, बल्कि आपदा प्रभावितों को दोबारा मुख्यधारा से जोड़कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है। इसके लिए पुनर्वास नीति को और अधिक व्यवहारिक, संवेदनशील और समावेशी बनाया जा रहा है।"


नई नीति से क्या होगा लाभ?

-आपदा प्रभावितों को मानकों से अधिक आर्थिक सहायता मिल सकेगी

-राहत कार्यों में तेजी और पारदर्शिता आएगी

-प्रभावित लोगों को स्वास्थ्य, आवास और आजीविका की दिशा में बेहतर सहयोग मिलेगा

-पुनर्वास प्रक्रिया को एक समान दिशा और नीति-आधारित दृष्टिकोण मिलेगा

-राज्य आपदा प्रबंधन तंत्र की प्रभावशीलता में वृद्धि होगी


नई पुनर्वास नीति उत्तराखंड के लिए न केवल आपदा प्रबंधन का नया मॉडल बनेगी, बल्कि यह संवेदनशील शासन की एक मिसाल भी प्रस्तुत करेगी, जिसमें शासन का ध्यान केवल पुनर्निर्माण पर नहीं, बल्कि नव-निर्माण और पुनर्स्थापन पर केंद्रित होगा।

bottom of page