Uttarakhand: पहाड़ के लोगों को बड़ी राहत! 220 डॉक्टरों की नियुक्ति
- ANH News
- 5 सित॰
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अपडेट करने की तारीख: 6 सित॰

उत्तराखंड के दूरस्थ और दुर्गम पहाड़ी इलाकों में लंबे समय से खाली पड़े अस्पतालों को आखिरकार डॉक्टर मिल गए हैं। सरकार द्वारा 220 नए चिकित्सकों की नियुक्ति कर उन्हें इन अति-पहाड़ी क्षेत्रों में तैनात किया गया है। इससे जहां एक ओर इन क्षेत्रों की जर्जर स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूती मिलने की उम्मीद है, वहीं स्थानीय लोगों को भी इलाज के लिए अब मीलों दूर नहीं भटकना पड़ेगा।
राज्य के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने जानकारी दी कि उत्तराखंड चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड द्वारा चयनित 220 डॉक्टरों को तैनाती पत्र जारी कर दिए गए हैं। खास बात यह है कि दिव्यांग श्रेणी को छोड़कर शेष सभी डॉक्टरों को दूरस्थ क्षेत्रों में भेजा गया है, जिससे राज्य सरकार के ‘पर्वतीय प्राथमिकता’ अभियान को भी गति मिलेगी।
स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि लंबे समय से राज्य के दुर्गम क्षेत्रों के अस्पताल चिकित्सकों के अभाव में केवल ‘ढांचा’ बने हुए थे। इन अस्पतालों में वर्षों से डॉक्टरों की तैनाती नहीं हो पाई थी, जिसके चलते न सिर्फ स्थानीय लोगों को बल्कि इन इलाकों में आने वाले पर्यटकों और तीर्थयात्रियों को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ता था।
तैनात किए गए डॉक्टरों को देवाल, ग्वालदम, थराली, गैरसैंण, मेहलचौरी, जोशीमठ, माईथान, हर्षिल, गंगोत्री, टिकोची, मोरी, बलडोगी सहित अन्य दूरस्थ स्थानों पर भेजा गया है। इन क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं वर्षों से ठप थीं, जहां अब डॉक्टरों की मौजूदगी से चिकित्सा सेवाएं फिर से चालू हो सकेंगी।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि यह कदम राज्य सरकार की उस नीति का हिस्सा है, जिसके तहत स्वास्थ्य सेवाओं को अंतिम छोर तक पहुंचाना लक्ष्य बनाया गया है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि आने वाले समय में और भी रिक्त पदों पर नियुक्तियां की जाएंगी और टेलीमेडिसिन, मोबाइल मेडिकल यूनिट जैसी सेवाओं को भी इन इलाकों में और मजबूत किया जाएगा।
राज्य सरकार के इस फैसले से न केवल पहाड़ के गांवों को राहत मिलेगी, बल्कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरकार की प्रतिबद्धता का भी संदेश जाएगा कि अब ‘पहाड़ चढ़ने’ नहीं, ‘पहाड़ पर रुकने’ वाले डॉक्टरों की नीति पर अमल शुरू हो चुका है।




