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धर्मांतरण अपराध पर उत्तराखंड सरकार का कड़ा रुख, संपत्ति कुर्की और कड़ी सजा का कानून लागू

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 15 अग॰
  • 2 मिनट पठन
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उत्तराखंड सरकार ने धर्मांतरण से जुड़े अपराधों को रोकने के लिए अपने धर्म स्वतंत्रता अधिनियम में अहम और सख्त संशोधन किए हैं। नए संशोधनों के तहत अब धर्मांतरण को संज्ञेय एवं गैर-जमानती अपराध घोषित कर दिया गया है, जिसका निपटारा सत्र न्यायालय में किया जाएगा। साथ ही, अपराधों के लिए निर्धारित अधिकतम सजा भी बढ़ाकर 14 वर्ष से लेकर उम्रकैद तक कर दी गई है। इसके अलावा, दोषियों की संपत्तियों को कुर्क करने का भी कानूनी प्रावधान किया गया है।


संशोधनों में क्या-क्या बदलाव हुए हैं?

उत्तराखंड सरकार ने धर्मांतरण के मामलों में सख्ती बढ़ाते हुए अब सोशल मीडिया और डिजिटल माध्यमों के जरिए धर्म परिवर्तन कराने वाले आरोपियों पर भी कार्रवाई का प्रावधान रखा है। नए कानून के तहत यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य को धर्म परिवर्तन के लिए उत्पीड़न करता है, तो उसे कम से कम 20 साल की सजा का सामना करना पड़ेगा, जो कि आजीवन कारावास तक बढ़ाई जा सकती है।


इसके अतिरिक्त, यदि किसी व्यक्ति को जान से मारने की धमकी, बलात्कार, तस्करी, या शादी का झांसा देकर धर्म परिवर्तन कराया जाता है, तो ऐसे मामलों में भी आरोपी को 20 साल से लेकर उम्रकैद तक की कठोर सजा दी जाएगी।


संपत्ति कुर्की का प्रावधान

धर्मांतरण के अपराध से अर्जित संपत्तियों पर अब जिला मजिस्ट्रेट द्वारा कुर्की की कार्रवाई की जाएगी। दोषी पक्ष को अपनी संपत्ति वैध साबित करनी होगी, अन्यथा वह संपत्ति सरकार जब्त कर सकती है। इस कानून में पीड़ितों को कानूनी सहायता, चिकित्सा और अन्य आवश्यक सुविधाएं प्रदान करने के साथ उनकी पहचान गुप्त रखने का भी प्रावधान है, जिससे उन्हें संरक्षण मिल सके।


सजा एवं जुर्माने की विस्तृत व्यवस्था

सामान्य मामलों में: 3 से 10 वर्ष तक की जेल और 50 हजार रुपये जुर्माना।


महिला, बच्चा, अनुसूचित जाति/जनजाति, या दिव्यांगों के मामलों में: 5 से 14 वर्ष की सजा और 1 लाख रुपये जुर्माना।


सामूहिक धर्मांतरण के मामलों में: 7 से 14 वर्ष की सजा और 1 लाख रुपये जुर्माना।


विदेशी धन के माध्यम से धर्मांतरण कराने के मामले में: 7 से 14 वर्ष की सजा और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना।


धमकी, तस्करी या जबरदस्ती धर्म परिवर्तन कराने के मामलों में: 20 वर्ष से लेकर उम्रकैद तक की सजा।


सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर विशेष प्रावधान

धर्मांतरण मामलों में सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के दुरुपयोग को देखते हुए कानून में अब इन्हें भी इस दायरे में शामिल किया गया है। सोशल मीडिया के जरिए धर्म परिवर्तन कराने या इसके लिए प्रोत्साहित करने वाले अपराधी भी अब सख्त कानूनी कार्रवाई के तहत आएंगे।


सरकार का कड़ा रुख और अपेक्षित प्रभाव

उत्तराखंड सरकार का यह कदम धर्मांतरण के मुद्दे पर सख्त रुख अपनाने के रूप में देखा जा रहा है। सरकार का उद्देश्य राज्य में धर्मांतरण से संबंधित अपराधों पर प्रभावी नियंत्रण रखना और नागरिकों को सुरक्षा तथा न्याय की गारंटी देना है। इस संशोधित कानून के लागू होने से राज्य में धर्मांतरण की घटनाओं में कमी आने और समाज में सामंजस्य बनाए रखने की उम्मीद जताई जा रही है।

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