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उत्तरकाशी के वीरान जादुंग गांव को मिलेगी पहचान, पर्यटन गाँव के रूप में होगा विकसित

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 26 फ़र॰
  • 2 मिनट पठन


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उत्तराखंड: भारत-चीन युद्ध (1962) के बाद वीरान पड़ चुका उत्तरकाशी जिले का सीमांत गांव जादुंग को अब पर्यटन ग्राम के रूप में पहचान मिलने जा रही है। प्रदेश सरकार ने पर्यटन विकास की योजना पर काम शुरू कर दिया है, जबकि शीतकाल के कारण स्थगित निर्माण कार्यों को अप्रैल या मई महीने से फिर से शुरू करने की तैयारी की जा रही है।


पर्यटन विकास की दिशा में पहला कदम


1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद से जादुंग गांव वीरान था। पिछले वर्ष से यहां एक नई उम्मीद की किरण दिखाई देने लगी है। प्रदेश सरकार ने इस क्षेत्र को पर्यटन ग्राम के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया है। गढ़वाल मंडल विकास निगम (जीएमवीएन) को इस परियोजना की कार्यदायी संस्था नियुक्त किया गया है। जीएमवीएन के प्रबंध निदेशक विशाल मिश्रा के अनुसार, शीतकाल के कारण अस्थायी रूप से रोके गए निर्माण कार्य दो महीने बाद पुनः शुरू किए जाएंगे।


पुनर्निर्माण कार्य में तेजी


पहले चरण में, जीएमवीएन ने गांव के छह जीर्ण-शीर्ण घरों के पुनर्निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया है। 19 सितंबर 2024 से चल रहे इस कार्य में चार घरों को पूरी तरह ध्वस्त कर पुनर्निर्माण के लिए जरूरी कदम उठाए गए हैं। इस परियोजना के लिए कुल 365.33 लाख रुपये की धनराशि स्वीकृत की गई है, जिसमें से 146 लाख रुपये शासन स्तर पर जारी कर दिए गए हैं। इसके अतिरिक्त, आठ अन्य भवनों के पुनर्निर्माण हेतु 493.36 लाख रुपये का अनुमान तैयार किया गया है।


आगे का रास्ता


जादुंग गांव का यह विकास न केवल क्षेत्र के पुनरुत्थान का प्रतीक बनेगा, बल्कि उत्तरकाशी जिले में पर्यटन को भी नई दिशा देगा। प्रदेश सरकार और जीएमवीएन इस परियोजना को सफल बनाने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं, जिससे स्थानीय समुदाय को आर्थिक और सामाजिक लाभ मिलने की संभावना है।

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