उत्तराखंड में अब बाहरी माफियाओं का खेल होगा खत्म, भू-कानून से होगी कड़ी निगरानी, नियम होंगे और सख्त
- ANH News
- 23 फ़र॰
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उत्तराखंड सरकार ने सशक्त भू-कानून को लागू करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में यह महत्वपूर्ण विधेयक उत्तराखंड विधानसभा में पारित किया गया, जिसे राज्य में जमीनों के संरक्षण और उनके दुरुपयोग को रोकने के उद्देश्य से तैयार किया गया था। यह विधेयक राज्य में भू-माफियाओं द्वारा जमीनों के गलत इस्तेमाल को नियंत्रित करेगा और सही निवेशकों के लिए रास्ते खोलेगा।
मुख्यमंत्री ने इस संशोधन विधेयक के तहत कई महत्वपूर्ण बदलावों का उल्लेख किया। उनका कहना था कि पिछले कुछ वर्षों में भूमि का उपयोग कृषि और औद्योगिक उद्देश्यों के लिए नहीं, बल्कि अन्य प्रयोजनों के लिए किया जा रहा था, जिससे स्थानीय निवासियों के हितों को नुकसान हो रहा था। इस बदलाव के बाद अब भूमि के दुरुपयोग पर रोक लगेगी और असल निवेशकों और भू-माफियाओं के बीच का अंतर स्पष्ट होगा।
धामी सरकार ने लगभग तीन वर्षों तक इस सशक्त भू-कानून पर काम किया था। 2022 में, मुख्यमंत्री ने पूर्व मुख्य सचिव सुभाष कुमार की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था, जिसने अपनी रिपोर्ट 5 सितंबर 2022 को सरकार को सौंप दी थी। समिति ने इस कानून को लेकर 23 सिफारिशें की थीं, जिनका अध्ययन करने के लिए उच्च स्तरीय प्रवर समिति का गठन भी किया गया था।
भू-कानून में प्रमुख बदलाव:
1.हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर को छोड़कर अन्य 11 जिलों में राज्य के बाहर के लोग कृषि और बागवानी के लिए भूमि नहीं खरीद सकेंगे।
2.नगर निकाय क्षेत्र से बाहर, बाहरी राज्य के लोग आवासीय प्रयोजन के लिए 250 वर्ग मीटर तक भूमि खरीद सकते हैं, इसके लिए उन्हें शपथपत्र देना होगा।
3.औद्योगिक प्रयोजनों के लिए भूमि खरीदने के नियम में कोई बदलाव नहीं किया गया।
4.हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर में कृषि-औद्यानिकी भूमि खरीदने के लिए शासन स्तर से अनुमति प्राप्त करनी होगी।
5.12.5 एकड़ भूमि खरीद पर लगी सीलिंग को खत्म कर दिया गया है। अब भूमि खरीदने के लिए संबंधित विभाग से प्रमाणपत्र लेना अनिवार्य होगा।
6.भूमि के दुरुपयोग को रोकने के लिए क्रेताओं को रजिस्ट्रार के पास शपथपत्र देना होगा, और उल्लंघन की स्थिति में भूमि सरकार के पास चली जाएगी।
इसके अलावा, भूमि खरीद प्रक्रिया की निगरानी के लिए एक पोर्टल विकसित किया गया है, और सभी जिलाधिकारियों को राजस्व परिषद और शासन को नियमित रिपोर्ट भेजने के निर्देश दिए गए हैं। नगर निकाय सीमा के भीतर भूमि का उपयोग केवल निर्धारित भू-उपयोग के अनुसार ही किया जाएगा।
भू-कानून उल्लंघन के मामलों में वृद्धि: मुख्यमंत्री ने सदन में यह भी बताया कि राज्य में पिछले कुछ वर्षों में भू-कानून उल्लंघन के 599 मामले सामने आए हैं, जिनमें से 572 मामलों में न्यायालय में वाद चल रहे हैं, जबकि अन्य निस्तारित हो चुके हैं। इस अभियान के दौरान 9.47 एकड़ भूमि भी सरकार के नियंत्रण में आई है।
उत्तराखंड का भू-कानून: एक ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य: उत्तराखंड में भू-कानून कई बदलावों से गुजर चुका है। 2002 में राज्य गठन के बाद, एनडी तिवारी सरकार ने भू-कानून बनाया और फिर 2004 में उसे सख्त किया। 2018 में त्रिवेंद्र सरकार ने इस कानून में छूट दी थी, लेकिन अब धामी सरकार ने इसे फिर से कड़ा किया है ताकि भूमि का सही उपयोग सुनिश्चित किया जा सके और बाहरी लोगों द्वारा जमीनों का दुरुपयोग रोका जा सके।
इस संशोधन के साथ राज्य में भूमि खरीद और उपयोग के नियमों में पारदर्शिता और कठोरता लाने का प्रयास किया गया है, जिससे न केवल स्थानीय लोगों के हितों की रक्षा होगी, बल्कि राज्य में निवेश और रोजगार के अवसरों को भी बढ़ावा मिलेगा।





