राष्ट्रपति आशियाना में युवाओं को 'स्कॉलर गाइड' बनने का मौका, 30 अप्रैल तक करें आवेदन, जानें प्रक्रिया
- ANH News
- 9 अप्रैल
- 2 मिनट पठन

देहरादून: राष्ट्रपति आशियाना में अब युवाओं को एक नया अवसर मिल रहा है। राष्ट्रपति भवन ने युवाओं के लिए 'स्कॉलर गाइड' बनने के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं। यह पहल राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की ओर से की जा रही है, जिसके तहत युवा अपनी पढ़ाई के साथ-साथ राष्ट्रपति आशियाना में चयनित दिनों में स्कॉलर गाइड के रूप में सेवाएं दे सकते हैं।
राष्ट्रपति भवन में 'स्कॉलर गाइड' बनने के लिए क्या होंगे योग्यताएं?
राष्ट्रपति भवन द्वारा जारी की गई विज्ञप्ति के अनुसार, 'स्कॉलर गाइड' बनने के लिए उम्मीदवारों में कुछ विशेष योग्यताएं होनी चाहिए। केवल भारतीय नागरिक ही इस पद के लिए आवेदन कर सकते हैं। आवेदक को प्रथम श्रेणी में ग्रेजुएशन पूरा करना अनिवार्य है। इसके अलावा, सार्वजनिक रूप से बोलने में सहजता, कहानी सुनाने की कला में माहिर होना, और हिंदी व अंग्रेजी दोनों भाषाओं में माहिर होना आवश्यक है। साथ ही, गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी बोलियों का ज्ञान भी लाभकारी होगा।
युवाओं को प्राथमिकता दी जाएगी जिनके पास पर्यटन स्थलों, म्यूज़ियम, धरोहरों या कार्यक्रमों के क्षेत्र में अनुभव हो। साथ ही, जिनके पास टूरिज्म में डिप्लोमा सर्टिफिकेट हो, उन्हें भी विशेष प्राथमिकता दी जाएगी। अतिरिक्त योग्यता के रूप में श्रवणबाधित पर्यटकों के लिए साइन लैंग्वेज की जानकारी भी जरूरी होगी।
सेवाओं का विवरण और वेतन
चुने गए युवाओं को चुनिंदा दिनों में राष्ट्रपति आशियाना में सेवा देने का अवसर मिलेगा। इसके बदले में उन्हें प्रतिदिन ₹1200 का भुगतान किया जाएगा। इच्छुक युवा अपना हस्ताक्षर किया हुआ रिज़्यूम और स्वप्रमाणित प्रमाणपत्रों की कॉपी 30 अप्रैल तक manager.ashiana@rb.nic.in पर भेज सकते हैं।
राष्ट्रपति आशियाना का ऐतिहासिक महत्व
राष्ट्रपति आशियाना का इतिहास बहुत ही समृद्ध और ऐतिहासिक है। इसकी स्थापना 1838 में गवर्नर जनरल के अंगरक्षक के घोड़ों और सवारों के ग्रीष्मकालीन शिविर के रूप में की गई थी। उस समय यह स्थान मई से जुलाई के महीनों में दिल्ली की गर्मी से बचने के लिए घोड़ों के लिए ठहरने का स्थान था। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद यह प्रथा राष्ट्रपति के अंगरक्षकों द्वारा जारी रखी गई थी। 1920 में इसे अंगरक्षक के कमांडेंट के बंगले के रूप में पुनर्निर्मित किया गया और 1975-76 में राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद के लिए शिमला के वैकल्पिक ग्रीष्मकालीन निवास के रूप में इसे राष्ट्रपति निवास के रूप में बदल दिया गया। 1976 में इस बंगले का नाम बदलकर 'राष्ट्रपति आशियाना' रखा गया था, जो कि प्रथम महिला बेगम आबिदा अहमद की सलाह पर किया गया।
राष्ट्रपति आशियाना में राष्ट्रपति अहमद, नीलम संजीव रेड्डी, जैल सिंह और केआर नारायणन जैसे राष्ट्रपति भी ठहरे थे। इसके बाद, 2016 में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इस एस्टेट का जीर्णोद्धार कर इसका उद्घाटन किया था। अब, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इसे आम जनता के लिए खोलने की पहल की है, जिससे यह स्थान एक प्रमुख पर्यटन स्थल बन सकता है।
राष्ट्रपति आशियाना का विस्तार
राष्ट्रपति आशियाना का परिसर 237 एकड़ में फैला हुआ है, जिसमें आशियाना बिल्डिंग, एनेक्सी कॉम्प्लेक्स, स्विमिंग पूल और अस्तबल शामिल हैं। यहां लीची और आम के बाग भी हैं, जो इस स्थल को और भी आकर्षक बनाते हैं। राष्ट्रपति भवन का यह ऐतिहासिक स्थल अब न केवल राष्ट्रपतियों के निवास के रूप में प्रसिद्ध है, बल्कि आने वाले समय में यह एक प्रमुख पर्यटन स्थल भी बन सकता है।





