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सुगम-दुर्गम के आधार पर तबादलों पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक, 70 हजार शिक्षकों की उम्मीदें टंगीं

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 27 मई
  • 2 मिनट पठन
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उत्तराखंड: प्रदेश के शिक्षा विभाग में इस बार शिक्षकों और कर्मचारियों के तबादलों की प्रक्रिया अचानक ठप हो गई है। यह स्थिति तब उत्पन्न हुई जब उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने बेसिक शिक्षा विभाग के एक मामले में सुगम और दुर्गम क्षेत्रों के आधार पर तबादलों पर अस्थायी रोक लगा दी। शिक्षा सचिव रविनाथ रामन ने बताया कि इस मामले में विभाग ने न्याय विभाग से परामर्श लेना शुरू कर दिया है, ताकि जल्द से जल्द स्थिति का समाधान निकाला जा सके।


प्रदेश में शिक्षकों के तबादले तबादला अधिनियम के तहत होते हैं, जिसके अंतर्गत मार्च 2025 से तबादलों की प्रक्रिया शुरू हुई थी। इस प्रक्रिया के तहत मंडल एवं जिला स्तर पर तबादला समितियों का गठन किया गया, जिन्होंने प्रत्येक संवर्ग के लिए सुगम और दुर्गम क्षेत्र का निर्धारण कर योग्य शिक्षकों तथा खाली पदों की सूची तैयार करनी थी। लेकिन हाईकोर्ट के आदेश के बाद इस प्रक्रिया को फिलहाल रोक दिया गया है।


हाईकोर्ट ने दिया रोक आदेश, वजह हुई स्पष्ट

उत्तरकाशी जिले के दो विद्यालयों—जूनियर हाई स्कूल को दुर्गम और प्राथमिक विद्यालय को सुगम क्षेत्र बताने के विवाद ने मामला गरमाया। इस संदर्भ में हाईकोर्ट ने स्पष्ट आदेश देते हुए कहा कि सुगम-दुर्गम के आधार पर तबादलों पर फिलहाल रोक लगाई जाए, क्योंकि इसी आधार पर तबादलों की प्रक्रिया को चुनौती दी गई है।


शिक्षा सचिव रविनाथ रामन ने बताया कि तबादले हमेशा से सुगम-दुर्गम के मानकों के आधार पर होते रहे हैं, जो कि तबादला अधिनियम की भी आवश्यकता है। अपर सचिव कार्मिक ललित मोहन रयाल ने कहा कि अभी तक तबादलों पर रोक का कोई औपचारिक प्रस्ताव कार्मिक विभाग को प्राप्त नहीं हुआ है। अगर प्रस्ताव आता है, तो इसे सक्षम अधिकारियों के समक्ष रखा जाएगा।


पहली बार हटाई गई तबादलों की सीमा, 70 हजार शिक्षकों की नज़रें लगीं बदलाव पर

इस बार तबादलों की प्रक्रिया में एक बड़ा बदलाव यह हुआ कि प्रदेश सरकार ने लंबे समय से लागू तबादलों की प्रतिशत सीमा को हटा दिया। पहले हर साल लगभग 10-15 फीसदी शिक्षकों के तबादलों की सीमा निर्धारित रहती थी, लेकिन इस बार सीमा हटने से करीब 70 हजार से अधिक शिक्षकों ने सुगम क्षेत्रों में तबादले की उम्मीद जगी थी। यह स्थिति विशेष रूप से उन शिक्षकों के लिए राहत की थी, जो 20-25 वर्षों से दुर्गम और अति-दुर्गम क्षेत्रों में सेवा दे रहे थे।


अब क्या होगा?

शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि न्याय विभाग से आवश्यक सलाह मिलने के बाद ही इस मामले में उचित कार्रवाई की जाएगी और यदि जरूरत पड़ी तो उच्च न्यायालय में पुनः अपील की जाएगी। सुगम-दुर्गम के आधार पर तबादलों की नीति प्रदेश की सरकारी नीति का अभिन्न हिस्सा है और इसे बदले बिना तबादलों की प्रक्रिया जारी रखना संभव नहीं होगा।


रविनाथ रामन, शिक्षा सचिव का कहना है कि “सुगम-दुर्गम के आधार पर ही तबादलों की नीति निर्धारित की गई है, और न्याय विभाग से परामर्श के बाद उचित कदम उठाए जाएंगे।”

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