top of page

पंचायत चुनाव में कांटे की टक्कर, कभी एक वोट से जीत, तो कहीं टॉस और पर्ची से बना प्रधान

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 31 जुल॰
  • 2 मिनट पठन
ree

उत्तराखंड पंचायत चुनावों में इस बार जनता का जनादेश जितना रोचक था, उतना ही अप्रत्याशित भी। कई क्षेत्रों में मुकाबला इतना कांटे का रहा कि एक वोट, पर्ची और टॉस तक से विजेता का फैसला करना पड़ा। भाग्य और लोकतंत्र का यह अनोखा संगम चुनाव को रोमांच के अखाड़े में बदलता नजर आया।


एक वोट बना जीत का आधार: चकराता की अंकिता बनीं प्रधान

चकराता की पेनुवा पंचायत में प्रधान पद पर अंकिता ने अपनी प्रतिद्वंदी राधा देवी को सिर्फ एक वोट से हराकर जीत दर्ज की।


अंकिता को 134 वोट


राधा देवी को 133 वोट


5 वोट हुए रद्द

इस बेहद करीबी मुकाबले में हर वोट का महत्व स्पष्ट रूप से नजर आया, जहां एक-एक मत ने सत्ता की तस्वीर बदल दी।


बराबर वोट, फैसला पर्ची से: रुद्रप्रयाग के कांदी गांव में लक्ष्मी देवी बनीं प्रधान

अगस्त्यमुनि ब्लॉक के कांदी गांव में लक्ष्मी देवी और पूनम देवी को 168-168 वोट मिले। बराबरी के इस स्थिति में निर्णय पर्ची के माध्यम से हुआ, जिसमें लक्ष्मी देवी को प्रधान घोषित किया गया।

निर्णय जिलाधिकारी प्रतीक जैन की मौजूदगी में पारदर्शी ढंग से लिया गया।


पुनर्मतगणना से बदला परिणाम: नारायणबगड़ की रजनी देवी को मिली जीत

नारायणबगड़ ब्लॉक की ग्राम पंचायत कोट में रजनी देवी और कुलदीप सिंह को पहले 72-72 मत मिले।

इसके बाद हुई पुनः मतगणना में रजनी देवी को 73 और कुलदीप सिंह को 72 वोट मिले।

इस तरह, रजनी देवी एक वोट से विजयी घोषित हुईं, जो बताता है कि हर मत लोकतंत्र में कितना निर्णायक हो सकता है।


टॉस से मिला सबसे युवा प्रधान: 23 वर्षीय नितिन को मिली जीत

चमोली जिले के मंडल घाटी स्थित दशौली ब्लॉक के बणद्वारा गांव में चुनाव का सबसे अनोखा दृश्य सामने आया।

23 वर्षीय नितिन और प्रतिद्वंदी रविंद्र दोनों को 138-138 वोट मिले। फिर हुआ टॉस, जिसमें किस्मत ने नितिन का साथ दिया और वे ग्राम प्रधान बने।

इस तरह, वह इस चुनाव में सबसे कम उम्र के निर्वाचित प्रधान बन गए।


चुनाव का सार: मतदाता जागरूक, मुकाबले रोमांचक

उत्तराखंड पंचायत चुनावों में मतदाताओं ने बढ़-चढ़कर भागीदारी निभाई और प्रत्याशियों के बीच मुकाबले इतने तीव्र रहे कि कहीं मतों की बराबरी, कहीं टॉस और कहीं पर्ची से जनता का प्रतिनिधि चुना गया।


इन घटनाओं ने साबित कर दिया कि लोकतंत्र केवल मतों का नहीं, भरोसे, धैर्य और किस्मत का भी खेल है।

bottom of page