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Uttarakhand: 5 लाख पौधों के साथ हरेला पर्व मनाने की तैयारी, जनता से भी बढ़-चढ़कर भागीदारी का आह्वान

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 13 जुल॰
  • 3 मिनट पठन
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उत्तराखंड राज्य में 16 जुलाई को मनाए जाने वाले हरेला पर्व पर इस बार पांच लाख पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है, जो एक नए कीर्तिमान की ओर बड़ा कदम साबित होगा। इससे पहले वर्ष 2016 में हरेला के अवसर पर दो लाख पौधे रोपे गए थे, लेकिन इस बार पौधरोपण की संख्या को दोगुना से अधिक बढ़ाकर पांच लाख करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इनमें से तीन लाख पौधे गढ़वाल मंडल और दो लाख पौधे कुमाऊं मंडल के विभिन्न क्षेत्रों में लगाए जाएंगे।


शासन स्तर पर पूरी तैयारी, ‘हरेला का त्योहार मनाओ, धरती मां का ऋण चुकाओ’ थीम पर आधारित होगा आयोजन

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशानुसार इस वर्ष हरेला पर्व “हरेला का त्योहार मनाओ, धरती मां का ऋण चुकाओ, और एक पेड़ मां के नाम” की थीम पर मनाया जाएगा। पूरे जुलाई माह में हरेला पर्व के तहत विभिन्न पर्यावरणीय और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जिनका उद्देश्य न सिर्फ पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना है, बल्कि स्थानीय समुदायों में प्रकृति के प्रति कृतज्ञता का भाव भी जगाना है।


प्रमुख सचिव वन विभाग आरके सुधांशु ने इस अभियान को लेकर जिलाधिकारियों को विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं। हर जिले में संबंधित जिलाधिकारी नोडल अधिकारी होंगे, जिनकी अध्यक्षता में एक समिति गठित की जाएगी जो सार्वजनिक स्थानों व अन्य उपयुक्त स्थलों पर पौधरोपण के लिए स्थान चयन करेगी। साथ ही, अभियान में स्थानीय लोगों, वन पंचायतों, महिला एवं युवा मंगल दलों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने के प्रयास किए जाएंगे। जिला स्तर पर नामित डीएफओ पौध की निशुल्क व्यवस्था के लिए नोडल अधिकारी होंगे।


पौधरोपण में 50 प्रतिशत फलदार पौध होंगे शामिल

इस बार के अभियान में कुल पौधरोपण का 50 प्रतिशत हिस्सा फलदार प्रजाति के पौधों को दिया जाएगा। इन पौधों का रखरखाव संबंधित विभागों के साथ-साथ स्थानीय ग्रामीण, लाभार्थी, वन पंचायत, महिला और युवा मंगल दल मिलकर करेंगे। हरेला पर्व के दौरान प्रत्येक परिवार को दो पौधे निशुल्क उपलब्ध कराए जाएंगे, जिसका क्रियान्वयन जनपद स्तरीय विभागीय अधिकारी करेंगे। साथ ही, आयोजन के पहले तीन दिनों के भीतर कम से कम 50 प्रतिशत पौध रोपित करने का निर्देश भी दिया गया है, ताकि पौधरोपण अभियान तेजी से आगे बढ़ सके।


राजकीय कार्यक्रमों में पंचायत क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों की भागीदारी पर प्रतिबंध

राज्य निर्वाचन आयोग ने हरेला पर्व के आयोजनों में जनप्रतिनिधियों की भागीदारी को लेकर भी स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं। इसके तहत नगर क्षेत्र, वन क्षेत्र तथा हरिद्वार जिले में राजकीय कार्यक्रमों में जनप्रतिनिधि भाग ले सकते हैं, लेकिन ग्रामीण पंचायत निर्वाचन क्षेत्र के राजकीय कार्यक्रमों में जनप्रतिनिधियों के अतिथि के रूप में शामिल होने और निःशुल्क पौध वितरण करने पर प्रतिबंध रहेगा। निःशुल्क पौध वितरण की जिम्मेदारी अधिकारियों और कर्मचारियों को दी गई है, जिन पर कोई प्रतिबंध लागू नहीं होगा।


मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का संदेश: हरेला पर्व है प्रकृति के प्रति कृतज्ञता का प्रतीक

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि देवभूमि उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर में हरेला केवल एक पर्व नहीं बल्कि प्रकृति के प्रति सम्मान और कृतज्ञता प्रकट करने की एक पवित्र परंपरा है। यह पर्व लोकसंस्कृति, आस्था और पर्यावरण संरक्षण के मूल्यों का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि 16 जुलाई को पांच लाख पौधे लगाकर राज्य में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया जाएगा, जो भावी पीढ़ियों के लिए एक हरित और समृद्ध उत्तराखंड की नींव रखेगा।


उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पर्यावरण संरक्षण के आह्वान का भी समर्थन करते हुए कहा कि “हरेला का त्योहार मनाओ, धरती मां का ऋण चुकाओ – एक पेड़ मां के नाम” केवल एक नारा नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश में एक जनआंदोलन का रूप ले रहा है। मुख्यमंत्री ने सभी नागरिकों से अपील की है कि वे इस पर्व को अपनी संस्कृति, प्रकृति और आने वाली पीढ़ियों के लिए समर्पित करते हुए इस हरित अभियान में बढ़-चढ़कर हिस्सा लें और उत्तराखंड को स्वच्छ, सुंदर और हरित बनाएं।

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