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उत्तराखंड में वैवाहिक विवादों पर सेतु आयोग की खास योजना, शादी से पहले यहाँ से ले मशवरा

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 27 मई
  • 2 मिनट पठन
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उत्तराखंड में लगातार बढ़ रहे वैवाहिक तनाव, टूटते रिश्ते और तलाक के मामलों को देखते हुए सेतु आयोग ने एक दूरदर्शी और संवेदनशील पहल की है। आयोग ने महिला सशक्तीकरण विभाग को निर्देशित किया है कि नवविवाहित जोड़ों के लिए विशेषज्ञ काउंसलिंग सुनिश्चित की जाए, ताकि वैवाहिक जीवन की शुरुआत में ही संभावित तनावों से निपटने का मार्ग प्रशस्त हो सके।


इस पहल का मूल उद्देश्य विवाह संस्था को मजबूत करना, आपसी समझ और भावनात्मक सामंजस्य को बढ़ावा देना तथा वैवाहिक जीवन को स्थायित्व देना है।


काउंसलिंग से होगा रिश्तों का संरक्षण

सेतु आयोग का मानना है कि आज के बदलते सामाजिक परिवेश में, शादी केवल दो व्यक्तियों का नहीं, दो विचारों और संस्कृतियों का भी मेल है। ऐसे में विवाह के तुरंत बाद या पहले काउंसलिंग देना न केवल उपयोगी, बल्कि आवश्यक बन गया है।


काउंसलिंग के माध्यम से जोड़ों को:


एक-दूसरे की अपेक्षाएं और प्राथमिकताएं समझने में मदद मिलेगी,


भावनात्मक और मानसिक संतुलन बनाए रखने के तरीके बताए जाएंगे,


और उन्हें उनके कानूनी अधिकारों व दायित्वों की भी जानकारी दी जाएगी।


सेतु आयोग निभाएगा अहम भूमिका

इस पूरी पहल में सेतु आयोग न केवल मार्गदर्शक की भूमिका निभाएगा, बल्कि:


विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों (मनोवैज्ञानिक, परिवार सलाहकार, समाजशास्त्री, कानूनी विशेषज्ञ) की सूची तैयार करेगा,


और महिला सशक्तीकरण विभाग को सुनियोजित परामर्श प्रणाली विकसित करने में सहयोग देगा।


आयोग इस बात पर विशेष ज़ोर दे रहा है कि यह काउंसलिंग महज़ औपचारिकता न हो, बल्कि गुणवत्ता, गोपनीयता और संवेदनशीलता के मानकों पर खरी उतरे।


नीति निर्माण की दिशा में निर्णायक कदम

सेतु आयोग के सुझावों के बाद, महिला सशक्तीकरण विभाग ने इस दिशा में कार्य आरंभ कर दिया है। निदेशक प्रशांत आर्या के नेतृत्व में विभाग एक विस्तृत और व्यावहारिक प्रस्ताव तैयार कर रहा है। उन्होंने बताया कि,


"हम इस प्रस्ताव को बेहद गंभीरता से ले रहे हैं। विशेषज्ञों के साथ परामर्श कर एक ऐसा मॉडल विकसित कर रहे हैं, जो व्यवहारिक और प्रभावी हो। हमारा लक्ष्य केवल विवादों को टालना नहीं, बल्कि रिश्तों को संवारना है।"


समाजशास्त्रीय संकट से उबरने की कोशिश

राज्य में वैवाहिक विवादों और तलाक के बढ़ते मामलों ने नीति निर्माताओं, समाजशास्त्रियों और प्रशासन को गहरी चिंता में डाल दिया है। यह पहल इस व्यापक सामाजिक संकट को एक संरचनात्मक समाधान देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण और सकारात्मक कदम मानी जा रही है।


शादी से पहले और बाद की काउंसलिंग को वैवाहिक जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाने की दिशा में उत्तराखंड एक मिसाल कायम करने की ओर बढ़ रहा है। यदि यह योजना सफल होती है, तो इससे सिर्फ तलाक के आंकड़े कम नहीं होंगे, बल्कि रिश्तों में नई ऊर्जा और समझ भी आएगी।

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