Uttarkashi Cloudburst: 400 से अधिक लोगों को बचाने में जुटी राहत टीमें, मलबे और बोल्डरों के बीच दबा धराली
- ANH News
- 7 अग॰
- 3 मिनट पठन

Uttarkashi Cloudburst: धराली में आई प्राकृतिक आपदा ने न केवल गांव को मलबे के तह में दफन कर दिया है, बल्कि पूरे उत्तरकाशी क्षेत्र के लिए एक बड़ी चुनौती भी प्रस्तुत की है। भूस्खलन, बंद रास्ते, बिगड़ता मौसम और मलबे के कारण राहत एवं बचाव कार्यों को तेजी से आगे बढ़ाना कठिन हो रहा है। प्रशासन और बचाव दल हर संभव प्रयास कर रहे हैं ताकि फंसे लोगों को सुरक्षित निकाला जा सके और जल्द से जल्द सामान्य जीवन बहाल किया जा सके।
आसमानी सैलाब ने धराली पहाड़ी गांव को तबाह कर दिया है, जहां अब तक 30 से 50 फीट तक मलबा जमा हो गया है। खराब मौसम के बीच भी राहत एवं बचाव कार्य जारी है, जिसमें अब तक लगभग 400 लोगों को सुरक्षित निकाला जा चुका है। विशेष रूप से सेना के 11 लापता जवानों का भी सफलतापूर्वक रेस्क्यू किया गया है। बचाव दलों को हेलीकॉप्टर के जरिए धराली पहुंचाया गया, लेकिन लगातार बिगड़ते मौसम ने बचाव कार्यों में भारी बाधाएं पैदा कर दी हैं।

धराली गंगोत्री धाम से करीब 20 किलोमीटर पहले पड़ता है और यात्रियों के लिए एक अहम पड़ाव माना जाता है। इस आपदा ने धराली की तस्वीर ही बदल कर रख दी है।
धराली की तबाही: मलबे और बोल्डरों के बीच दबा पूरा गांव
धराली में आई भारी बारिश और अचानक आई सैलाब ने पूरे गांव की रूपरेखा ही बदल दी है। मलबे के इतने बड़े ढेर ने कई मकानों को पूरी तरह दबा दिया है, कई घरों की केवल छतें ही दिखाई दे रही हैं। पूरे इलाके में बिखरे बड़े-बड़े बोल्डर और विशाल पत्थर राहत दलों के लिए बड़ी चुनौती बन गए हैं। इन भारी मलबों को हटाना और रास्ता बनाना बेहद कठिन हो रहा है।
रेस्क्यू टीमों के सामने दोहरी चुनौतियां: तेज बहती खीर गंगा और मलबे का दलदल
धराली पहुंचने वाली रेस्क्यू टीमों को न केवल तेज बहती खीर गंगा नदी के उग्र जल प्रवाह का सामना करना पड़ रहा है, बल्कि मलबे से बने दलदल और कीचड़ ने बचाव कार्यों को और भी कठिन बना दिया है। एसडीआरएफ की टीमें कई किलोमीटर पैदल, खड़ी और फिसलन भरी पहाड़ियों के रास्तों से गुज़रकर यहां तक पहुंच रही हैं। कीचड़ से बचने के लिए टिन की चादरें बिछाकर रास्ता बनाया जा रहा है, ताकि बचाव कर्मी सुरक्षित पहुंच सकें।

पर्यटकों का हाल: केरल और महाराष्ट्र के दल की खोज जारी
धराली की आपदा में कई पर्यटक भी फंसे हुए थे। केरल के 28 सदस्यीय पर्यटक दल के बारे में शुरुआत में चिंता व्यक्त की गई थी, लेकिन बाद में पुष्टि हुई कि वे सुरक्षित हैं। वहीं महाराष्ट्र के जलगांव से आए 16 पर्यटकों के लापता होने की खबरें मिल रही हैं, जिनकी तलाश जारी है।
भूस्खलन से बंद हुए रास्ते, राहत कार्यों में अड़चन
उत्तरकाशी और आसपास के क्षेत्रों में लगातार हो रही भारी बारिश और भूस्खलन के कारण सड़क मार्ग बंद हो गए हैं। धराली पहुंचने के लिए तीन प्रमुख रास्ते—भटवाड़ी, लिंचिगाड और गंगरानी—भूस्खलन के कारण बंद हैं। भटवाड़ी से हर्षिल जाने वाला मार्ग पूरी तरह टूट चुका है। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें इसी मार्ग पर फंसी हुई हैं, जबकि घायलों की मदद के लिए चल रही एंबुलेंस भी लंबी कतारों में फंसी हुई हैं।

उत्तरकाशी के जिला आपातकालीन परिचालन केंद्र के अधिकारी ने बताया कि गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग विभिन्न जगहों पर अवरुद्ध है, और 200 से अधिक बचाव कर्मी भटवाड़ी में मार्ग खुलने का इंतजार कर रहे हैं। गंगनानी से आगे लिमच्छा गाड़ बरसाती नाले पर बना पुल बह जाने से एक बचाव दल रास्ते में फंस गया है।
चट्टान टूटने से बद्रीनाथ हाईवे भी बंद
बद्रीनाथ हाईवे पर जोशीमठ के जोगीधारा क्षेत्र में चट्टान टूटने से मार्ग बाधित हो गया है। सौभाग्य से चट्टान गिरने के समय कोई वाहन उस मार्ग पर नहीं था, जिससे बड़ा हादसा टल गया। मलबा हटाने का कार्य शुरू कर दिया गया है और प्रशासन ने जल्द ही हाईवे खोलने का आश्वासन दिया है।





