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जगदीप धनखड़ की जगह अब सीपी राधाकृष्णन, भाजपा की रणनीति में बड़ा बदलाव

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 19 अग॰
  • 2 मिनट पठन
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भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने देश के अगले उपराष्ट्रपति पद के लिए सी.पी. राधाकृष्णन को अपना आधिकारिक उम्मीदवार घोषित कर दिया है। रविवार को आयोजित भाजपा की संसदीय बोर्ड की बैठक में उनके नाम पर सर्वसम्मति से मुहर लगाई गई। इस घोषणा के साथ ही यह स्पष्ट हो गया है कि भाजपा ने अपनी रणनीति में एक महत्वपूर्ण और प्रतीकात्मक बदलाव किया है।


जहाँ 2022 में उपराष्ट्रपति पद के लिए जगदीप धनखड़ जैसे मुखर और टकराव की राजनीति करने वाले नेता को मैदान में उतारा गया था, वहीं इस बार पार्टी ने सौम्य, समावेशी और संतुलित छवि वाले सी.पी. राधाकृष्णन पर भरोसा जताया है। यह बदलाव केवल व्यक्ति विशेष तक सीमित नहीं है, बल्कि भाजपा की सामाजिक व क्षेत्रीय समीकरणों की नई समझ और राजनीतिक दिशा को भी दर्शाता है।


नखड़ बनाम राधाकृष्णन: दो अलग राजनीतिक शैलियाँ-

जगदीप धनखड़ की पहचान एक तेजतर्रार वकील और आक्रामक राजनेता के रूप में रही है। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहते हुए उन्होंने कई बार ममता बनर्जी सरकार के साथ सीधी भिड़ंत ली थी, और यहीं से उन्हें राष्ट्रीय मंच पर पहचान मिली। केंद्र सरकार ने उनकी इस आक्रामक शैली को सराहा और उन्हें उपराष्ट्रपति पद की जिम्मेदारी दी गई।


इसके विपरीत, सी.पी. राधाकृष्णन की राजनीतिक शैली शांत, विनम्र और संतुलनकारी मानी जाती है। वे किशोरावस्था से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े रहे हैं और भाजपा की वैचारिक प्रतिबद्धता के एक मजबूत स्तंभ हैं। उनकी छवि एक ऐसे नेता की है जो समावेशिता और संवाद में विश्वास रखता है – जो राज्यसभा जैसे उच्च सदन की गरिमा और भूमिका के लिए अत्यंत उपयुक्त माना जा सकता है।


दक्षिण भारत में भाजपा की सामाजिक और क्षेत्रीय रणनीति-

सी.पी. राधाकृष्णन तमिलनाडु से आते हैं और ओबीसी वर्ग से ताल्लुक रखते हैं। यह चयन भाजपा की उस रणनीति का हिस्सा प्रतीत होता है जिसमें पार्टी दक्षिण भारत में अपने जनाधार को विस्तार देना चाहती है। कर्नाटक को छोड़कर भाजपा अभी तक दक्षिण के अन्य राज्यों में विशेष प्रभाव नहीं जमा पाई है। ऐसे में तमिलनाडु में आगामी विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाना एक रणनीतिक निर्णय है।


साथ ही, राधाकृष्णन का ओबीसी समुदाय से आना भाजपा की सामाजिक समीकरणों को साधने की ‘ओबीसी सोशल इंजीनियरिंग’ रणनीति को मजबूती प्रदान करता है, जिससे पार्टी को राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक सामाजिक समर्थन मिल सके।


विपक्ष के लिए मुश्किल होगा विरोध करना-

सी.पी. राधाकृष्णन की छवि इतनी संतुलित और गैर-विवादित रही है कि उनके नाम का खुला विरोध करना विपक्ष के लिए भी कठिन होगा। भाजपा जानती है कि पिछले कुछ समय से उपराष्ट्रपति पद की निष्पक्षता पर सवाल उठाए जा रहे थे, विशेषकर जगदीप धनखड़ के कार्यकाल को लेकर विपक्ष ने कई बार आरोप लगाए कि वे पक्षपातपूर्ण व्यवहार करते हैं। ऐसे में अब पार्टी ने एक ऐसा चेहरा चुना है जो सौम्यता और संविधानिक मर्यादा के अनुरूप भूमिका निभा सके।


सी.पी. राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाकर भाजपा ने स्पष्ट संदेश दिया है कि अब पार्टी केवल टकराव की राजनीति नहीं, बल्कि समावेशी नेतृत्व और संतुलन पर भी भरोसा जता रही है। यह निर्णय केवल एक नाम का चयन नहीं, बल्कि भाजपा की बदलती प्राथमिकताओं, सामाजिक संतुलन की समझ और क्षेत्रीय विस्तार की रणनीति का प्रतीक है।

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