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पहली बार अंतरिक्ष की उड़ान भरेंगे अनिल मेनन, जानिए कौन हैं ये भारतीय मूल के नासा वैज्ञानिक

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 2 जुल॰
  • 2 मिनट पठन

अपडेट करने की तारीख: 3 जुल॰

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भारतीय मूल के अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री डॉ. अनिल मेनन का चयन नासा के 'एक्सपीडिशन 75 मिशन' के लिए किया गया है। वे जून 2026 में रोस्कोमोस सोयूज एमएस-29 अंतरिक्षयान के जरिए अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के लिए रवाना होंगे। नासा ने एक आधिकारिक बयान जारी कर यह जानकारी दी है।


मिशन में वे फ्लाइट इंजीनियर की भूमिका निभाएंगे और उनके साथ इस यात्रा में रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोमोस के अंतरिक्ष यात्री योत्र डुबरोव और एना किकिना भी शामिल होंगी। यह ऐतिहासिक उड़ान कजाखस्तान के बाइकोनूर कॉस्मोड्रोम से लॉन्च होगी और इसका समयकाल लगभग आठ महीनों का होगा।


मिशन की खास बातें:

अनिल मेनन अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर विभिन्न वैज्ञानिक और जैव चिकित्सा प्रयोगों का संचालन करेंगे। इन शोधों का उद्देश्य है – भविष्य के दीर्घकालिक अंतरिक्ष अभियानों को बेहतर बनाना और धरती पर मानव जीवन की गुणवत्ता को वैज्ञानिक दृष्टि से समृद्ध करना।


यह मिशन नासा के चंद्र मिशन 'आर्टेमिस' और भविष्य के मार्स मिशन के लिए भी डेटा और अनुभव जुटाने की दृष्टि से अहम माना जा रहा है।


कौन हैं अनिल मेनन?

अनिल मेनन का जन्म मिनेसोटा के मिनियापोलिस में हुआ था।


वे पेशे से एक आपातकालीन मेडिसिन विशेषज्ञ (Emergency Physician) और मैकेनिकल इंजीनियर हैं।


वे यूएस स्पेस फोर्स में कर्नल के पद पर भी कार्यरत हैं।


उनके माता-पिता में से पिता भारतीय और मां यूक्रेनी मूल की हैं, जिससे उनकी संस्कृति और शिक्षा का वैश्विक परिप्रेक्ष्य विकसित हुआ।


अनिल मेनन की शिक्षा और करियर यात्रा:

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से न्यूरोबायोलॉजी में स्नातक।


स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग और मेडिसिन में डिग्री।


एयरोस्पेस मेडिसिन और आपातकालीन चिकित्सा में विशेषज्ञता प्राप्त।


टेक्सास मेडिकल सेंटर, मेमोरियल हर्मन हॉस्पिटल में डॉक्टर के रूप में कार्य किया।


वर्तमान में वे यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास में मेडिकल छात्रों को शिक्षण भी दे रहे हैं।


स्पेसएक्स से नासा तक का सफर:

अनिल मेनन स्पेसएक्स में पहले फ्लाइट सर्जन रह चुके हैं। उन्होंने ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट के पहले क्रू मिशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। स्पेसएक्स के मेडिकल ऑर्गेनाइजेशन में भी उन्होंने कार्य किया है, जो भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए क्रू की सेहत और सुरक्षा से संबंधित दिशा में काम करता है।


भविष्य के लिए महत्वपूर्ण कदम

नासा पिछले दो दशकों से अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर विज्ञान, स्वास्थ्य और तकनीक से जुड़े शोध कर रहा है ताकि अंतरिक्ष में मानव जीवन की संभावना को साकार किया जा सके और धरती पर भी वैज्ञानिक लाभ पहुंचाया जा सके। अनिल मेनन का यह मिशन इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।


डॉ. अनिल मेनन का अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर जाना भारतवंशियों के लिए गौरव की बात है। विज्ञान, चिकित्सा, अंतरिक्ष अन्वेषण और तकनीकी विशेषज्ञता का यह अद्भुत संगम उनके व्यक्तित्व में दिखाई देता है। आने वाला मिशन सिर्फ वैज्ञानिक महत्व नहीं रखता, बल्कि यह वैश्विक सहयोग, मानवता की उन्नति और प्रेरणा का प्रतीक भी बन रहा है।

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