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यमुनोत्री हाईवे 13 दिन से बंद, अंधेरे में डूबे गांव, भूख और तन्हाई में फंसी ज़िंदगी

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 5 सित॰
  • 2 मिनट पठन

अपडेट करने की तारीख: 6 सित॰

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उत्तरकाशी। लगातार बारिश और भूस्खलन के चलते यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग 13वें दिन भी अवरुद्ध है, जिससे न सिर्फ चारधाम यात्रा पर आए श्रद्धालु परेशान हैं, बल्कि गीठ पट्टी के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले स्थानीय लोगों को भी भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। स्यानाचट्टी से आगे जंगलचट्टी समेत चार स्थानों पर हाईवे बुरी तरह बाधित है। विशेषकर जंगलचट्टी में पहाड़ी से लगातार गिर रहे भारी बोल्डरों ने सड़क खोलने की प्रक्रिया को अत्यंत जोखिमपूर्ण बना दिया है।


सड़क मार्ग बंद होने से यमुनोत्री धाम और आस-पास के गांवों में राशन सामग्री की आपूर्ति पूरी तरह से ठप हो चुकी है। छह दिनों से बिजली और मोबाइल नेटवर्क भी ठप पड़े हैं, जिससे ग्रामीणों की रातें अंधेरे में कट रही हैं और वे बाहरी दुनिया से लगभग कट चुके हैं। न बिजली है, न संचार सुविधा, और न ही आवश्यक वस्तुएं — ऐसे में हालात आपातकाल जैसे बन चुके हैं।


इन परिस्थितियों को देखते हुए स्थानीय जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों ने प्रशासन से अपील की है कि जल्द से जल्द हाईवे बहाल किया जाए और आवश्यक सेवाएं— जैसे बिजली, मोबाइल नेटवर्क, राशन और रसोई गैस— तत्काल प्रभाव से इन प्रभावित क्षेत्रों में पहुंचाई जाएं।


बृहस्पतिवार को अपर जिलाधिकारी मुक्ता मिश्र ने स्यानाचट्टी क्षेत्र का निरीक्षण कर जमीनी हालात का जायजा लिया और मौके पर मौजूद अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे आपसी समन्वय बनाकर प्राथमिकता के आधार पर सड़क खोलने और आवश्यक आपूर्ति बहाल करने का कार्य शीघ्र करें।


प्रशासनिक अधिकारियों के अनुसार, सड़क खोलने का कार्य युद्धस्तर पर जारी है, लेकिन लगातार बारिश और पत्थर गिरने की वजह से काम में बार-बार व्यवधान आ रहा है। कई स्थानों पर मलबा हटाने के लिए अतिरिक्त मशीनरी और श्रमिकों की आवश्यकता महसूस की जा रही है।


यात्रियों के लिए भी यह स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। कई श्रद्धालु स्यानाचट्टी और उसके आस-पास के स्थानों पर रुके हुए हैं और वे आगे की यात्रा शुरू नहीं कर पा रहे। इससे यात्रा व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है।


स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि जल्द ही कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई तो आने वाले दिनों में हालात और गंभीर हो सकते हैं। भोजन, बिजली और संचार जैसी बुनियादी ज़रूरतें पूरी न होना न सिर्फ जनजीवन को प्रभावित कर रहा है बल्कि बीमार और वृद्ध जनों के लिए खतरे की घंटी भी है।


प्रशासन पर अब दबाव बढ़ता जा रहा है कि वह तेज़ी से कार्रवाई करे और चारधाम यात्रा मार्ग को बहाल करने के साथ-साथ प्रभावित ग्रामीणों को भी आवश्यक राहत पहुंचाए।

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