उत्तराखंड: DDA ऑफिस में छापा, 26 साल से अधूरे पड़े केस और गायब दस्तावेजों का IAS दीपक रावत ने किया भंडाफोड़
- ANH News
- 7 जून
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नैनीताल – कुमाऊं मंडल के आयुक्त आईएएस दीपक रावत ने सोमवार को जिला विकास प्राधिकरण (DDA) कार्यालय का अकस्मात निरीक्षण कर प्रशासनिक व्यवस्था की जमीनी हकीकत जानी। निरीक्षण के दौरान उन्होंने कार्यालय के रिकॉर्ड रूम और लंबित मामलों की फाइलों का गहन अवलोकन किया।
जैसे ही उन्होंने अधिकारियों से लंबित प्रकरणों की सूची और फाइलें प्रस्तुत करने को कहा, कार्यालय की लापरवाही और दशकों से लंबित मामलों को देखकर कमिश्नर भी स्तब्ध रह गए।
1999 से लंबित फाइलें, कई केसों का अब तक नहीं हुआ निस्तारण
निरीक्षण में सामने आया कि प्राधिकरण कार्यालय में वर्ष 1999 से लेकर अब तक की कई फाइलें अभी तक लंबित हैं और जिनका कोई स्पष्ट समाधान नहीं हुआ है।
इस पर आयुक्त दीपक रावत ने अधिकारियों को फटकार लगाते हुए, तुरंत सभी पुराने प्रकरणों को प्राथमिकता के आधार पर निस्तारित करने के निर्देश दिए।
इतना ही नहीं, निरीक्षण के दौरान यह भी सामने आया कि कई फाइलें रिकॉर्ड से गायब हैं। इस पर कमिश्नर ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि गायब फाइलों को 3 दिन के भीतर खोजकर उन्हें उनके समक्ष प्रस्तुत किया जाए, अन्यथा सख्त कार्रवाई की जाएगी।
भवन स्वीकृति, अवैध निर्माण और दस्तावेज़ प्रबंधन पर भी सख्ती
कमिश्नर ने भवन मानचित्रों की स्वीकृति, अवैध निर्माण पर की गई कार्रवाई, अभिलेखों के डिजिटलीकरण, कंपाउडिंग मामलों और लंबित वादों की सुनवाई की स्थिति की भी विस्तार से समीक्षा की।
उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि:
-वर्षों से लंबित सभी प्रकरणों को वर्षवार और श्रेणीवार सूचीबद्ध किया जाए।
-सबसे पुराने मामलों का प्राथमिकता से समाधान किया जाए।
-प्रत्येक प्रकरण के लिए स्पष्ट कारण सहित रिपोर्ट सप्ताह भर के भीतर प्रस्तुत की जाए।
-कार्यालय में दस्तावेजों का वैज्ञानिक तरीके से रख-रखाव और डिजिटलीकरण किया जाए।
-अवैध निर्माणों पर तत्काल प्रभाव से विधिक कार्यवाही की जाए।
-तिथि टालने की आदत पर जताई नाराज़गी, 10 दिन में कार्रवाई के निर्देश
आयुक्त ने कहा कि "किसी भी प्रकरण की सुनवाई की तिथि को लंबा खींचना अपने आप में प्रशासनिक लापरवाही है। यह प्रक्रिया अतिक्रमण और अनियमितताओं को बढ़ावा देती है।"
आयुक्त ने आदेश दिया कि:
-एक सप्ताह के भीतर सभी ऐसे मामलों की सूची प्रस्तुत की जाए, जिन्हें लंबे समय से सुनवाई के लिए तिथि नहीं दी गई है।
-यदि रिपोर्ट समय पर प्रस्तुत नहीं की जाती है, तो संबंधित अधिकारियों को प्रतिकूल प्रविष्टि (adverse entry) दी जाएगी।
-ऐसे सभी मामलों की अगली तिथियाँ 10 दिनों के भीतर तय कर, संबंधित पक्षकारों को घर जाकर सूचना तामील कराई जाए।
प्रशासनिक सुधारों की दिशा में एक और कदम
आईएएस दीपक रावत का यह निरीक्षण केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि प्रशासनिक जवाबदेही सुनिश्चित करने की एक ठोस पहल है। यह कदम वर्षों से लंबित मामलों के शीघ्र समाधान और प्राधिकरण कार्यालय की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता लाने की दिशा में अहम माना जा रहा है।





