उत्तराखंड में भाषा और साहित्य को नया आयाम, स्कूलों से लेकर शोध तक सीएम धामी की बड़ी घोषणाएं
- ANH News
- 10 जून
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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड की भाषाई और साहित्यिक विरासत को संरक्षित व समृद्ध करने के उद्देश्य से कई महत्वपूर्ण घोषणाएं की हैं। ये निर्णय उत्तराखंड भाषा संस्थान की सचिवालय में आयोजित साधारण सभा एवं प्रबंध कार्यकारिणी समिति की बैठक में लिए गए, जिसमें संस्थान के अधिकारी, वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद उपस्थित थे।
स्थानीय भाषाओं में प्रतियोगिताएं होंगी अनिवार्य
राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि अब प्रदेश के सभी स्कूलों में सप्ताह में एक दिन स्थानीय बोली-भाषाओं में भाषण और निबंध प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी। इसका उद्देश्य बच्चों में क्षेत्रीय भाषाओं के प्रति रुचि व गर्व उत्पन्न करना है। यह पहल राज्य की भाषाई विविधता को जमीनी स्तर पर संरक्षित करने की दिशा में एक सशक्त कदम मानी जा रही है।
साहित्य भूषण पुरस्कार और दीर्घकालीन साहित्य सेवी सम्मान में बढ़ोतरी
मुख्यमंत्री ने यह भी घोषणा की कि प्रतिष्ठित ‘उत्तराखंड साहित्य भूषण पुरस्कार’ की पुरस्कार राशि को ₹5 लाख से बढ़ाकर ₹5,51,000 किया जाएगा। इसके साथ ही ‘दीर्घकालीन साहित्य सेवी सम्मान’ के अंतर्गत ₹5 लाख की पुरस्कार राशि देने का निर्णय लिया गया है।
बोलियों का डिजिटल दस्तावेजीकरण और ई-लाइब्रेरी की स्थापना
राज्य की बोलियों, लोक कथाओं, लोक गीतों और साहित्य को डिजिटल रूप में संरक्षित करने के लिए एक व्यापक परियोजना की शुरुआत की जाएगी। इसके अंतर्गत ई-लाइब्रेरी का निर्माण, लोककथाओं पर आधारित संकलन एवं ऑडियो-विजुअल सामग्री का निर्माण, तथा उत्तराखंड की भाषाओं का भाषाई मानचित्र (Language Map) तैयार किया जाएगा।
बुके नहीं, बुक दें – मुख्यमंत्री की अभिनव अपील
मुख्यमंत्री धामी ने एक सांस्कृतिक बदलाव की पहल करते हुए कहा कि प्रदेशवासी सामाजिक, शैक्षणिक व सरकारी आयोजनों में बुके के स्थान पर पुस्तक उपहार में दें। इससे न केवल ज्ञान का प्रसार होगा, बल्कि साहित्य के प्रति लोगों की रुचि भी बढ़ेगी।
युवा कलमकार प्रतियोगिता और सचल पुस्तकालय
युवाओं को हिंदी साहित्य की ओर प्रेरित करने के लिए ‘युवा कलमकार प्रतियोगिता’ आयोजित की जाएगी, जिसमें 18–24 और 25–35 आयु वर्ग के रचनाकार भाग लेंगे। इसके अतिरिक्त, राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों तक सचल पुस्तकालयों (Mobile Libraries) की व्यवस्था की जाएगी। इसमें बड़ी प्रकाशन संस्थाओं के सहयोग से विविध विषयों की पुस्तकें पाठकों तक पहुंचाई जाएंगी।
लोकगीत ‘बाकणा’ का अभिलेखीकरण और भाषाई अनुसंधान
जौनसार-बावर क्षेत्र में प्रचलित पौराणिक पंडवाणी गायन परंपरा ‘बाकणा’ के अभिलेखीकरण (Documentation) की घोषणा की गई है। साथ ही, उत्तराखंड भाषा संस्थान द्वारा:
-प्रख्यात नाटककार गोविंद बल्लभ पंत का समग्र साहित्य संकलन,
-पिछली सदी में पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित उत्तराखंडी साहित्य का संकलन,
-हिमालयी और जनजातीय भाषाओं के संरक्षण हेतु शोध परियोजनाएं चलाई जाएंगी।
प्राकृतिक वातावरण में बनेंगे दो 'साहित्य ग्राम'
मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि प्रदेश में ऐसे दो साहित्य ग्राम स्थापित किए जाएंगे, जहाँ साहित्यकार प्राकृतिक वातावरण में लेखन, चिंतन, गोष्ठी और संवाद कर सकेंगे। यह स्थान साहित्यिक रचनाशीलता और विमर्श के केंद्र के रूप में विकसित किए जाएंगे।
उपस्थित गणमान्य
इस महत्वपूर्ण बैठक में भाषा मंत्री सुबोध उनियाल, प्रमुख सचिव आर. के. सुधांशु, सचिव वी. शणमुगम, निदेशक भाषा संस्थान स्वाति भदौरिया, दून विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. सुरेखा डंगवाल, संस्कृत विश्वविद्यालय हरिद्वार के कुलपति प्रो. दिनेश चंद्र शास्त्री, एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।





