केदारनाथ हेलिकॉप्टर हादसा: जिंदगी की सबसे पवित्र यात्रा बन गई तुष्टि के लिए आखिरी सफर
- ANH News
- 16 जून
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उत्तराखंड की पावन धरा केदारनाथ में 13 जून को हुई एक हृदय विदारक हेलिकॉप्टर दुर्घटना ने कई परिवारों को गहरे शोक में डुबो दिया। इस हादसे में उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के नगीना निवासी वरिष्ठ अधिवक्ता धर्मपाल सिंह का पूरा परिवार लगभग उजड़ गया।
धर्मपाल सिंह अपनी पत्नी विनोदा देवी, नातिन तुष्टि, और दो पोतों ईशान और गोरांश के साथ 13 जून को केदारनाथ यात्रा पर निकले थे। शनिवार को उन्होंने श्रद्धापूर्वक केदारनाथ धाम के दर्शन किए। यात्रा का यह अध्याय श्रद्धा और आस्था से भरा हुआ था, लेकिन रविवार की सुबह एक भयावह मोड़ लेकर आई।
रविवार को जब परिवार वापसी के लिए हेलिपैड पहुंचा, तब वहां मौजूद कर्मचारियों ने बताया कि हेलिकॉप्टर में केवल दो ही यात्रियों की जगह है। धर्मपाल सिंह ने अपनी पत्नी और नातिन को पहले भेजने का निर्णय लिया और स्वयं अपने दोनों पोतों के साथ धाम में ही रुक गए। मगर कुछ ही समय बाद उन्हें वह दर्दनाक सूचना मिली जिसने उनकी दुनिया उजाड़ दी—हेलिकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था और उसमें सवार सभी सात लोगों की मृत्यु हो चुकी थी।
धर्मपाल सिंह ने दुख की उस घड़ी में भी साहस नहीं छोड़ा और अपने दोनों पोतों को साथ लेकर पैदल ही केदारघाटी की ओर रवाना हो गए।
"तुष्टि नहीं आना चाहती थी…"
इस दुर्घटना में एक और करुण पहलू यह था कि नातिन तुष्टि, जो दिल्ली में फैशन डिजाइनिंग की पढ़ाई कर रही थी, इस यात्रा पर नहीं आना चाहती थी। लेकिन उसकी मां के आग्रह पर वह अपनी नानी के साथ केदारनाथ जाने के लिए राजी हुई। किसे पता था कि यह यात्रा उसकी जिंदगी की आखिरी यात्रा साबित होगी।
चश्मदीदों की आंखों से देखी गई तबाही
इस हादसे के चश्मदीद बने गौरीकुंड की निवासी नेपाली मूल की दो बहनें – शर्मिला और संजू, जो स्थानीय महिलाओं के साथ मिलकर घोड़ा-खच्चरों के लिए घास काटने गौरी माई खर्क जा रही थीं। उन्होंने बताया कि रविवार सुबह लगभग 5 बजे वे उस स्थान पर पहुंच गई थीं। आसमान में हल्के बादल थे, लेकिन कोहरा नहीं था।
कुछ ही देर में एक हेलिकॉप्टर उस क्षेत्र में उड़ता हुआ दिखाई दिया। जैसे ही उसने उड़ान भरी, अचानक घना कोहरा छा गया। हेलिकॉप्टर असंतुलित हो गया और एक ऊंचे पेड़ से टकराने के बाद सीधे जमीन से जा टकराया। इसके कुछ ही क्षणों में जोरदार धमाके के साथ हेलिकॉप्टर में भीषण आग लग गई।
शर्मिला ने बताया:
"हम हादसे के पास पहुंचे तो देखा, एक बच्ची नीचे गिरी हुई थी। वह शायद हेलिकॉप्टर से गिरकर पत्थरों पर आ गिरी थी। वो जिंदा नहीं थी। दृश्य इतना भयावह था कि जलते हुए हेलिकॉप्टर से सिर्फ लपटें उठ रही थीं, कोई आवाज भी सुनाई नहीं दे रही थी।"
कोहरा बना मौत का कारण
स्थानीय लोग मानते हैं कि यह हादसा कोहरे के अचानक छा जाने की वजह से हुआ। जो हेलिकॉप्टर पहले सामान्य रूप से उड़ रहा था, वह कोहरे की वजह से रास्ता भटक गया, और ऊंचे पेड़ों के बीच संतुलन खो बैठा।
अब सवाल, संवेदनाएं और सन्नाटा
इस हादसे ने न केवल एक परिवार को तोड़ा, बल्कि सुरक्षा व्यवस्था, मौसम पूर्वानुमान और हेली सेवा प्रबंधन पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। साथ ही यह एक चेतावनी है कि मौसम की अनदेखी किस हद तक जानलेवा हो सकती है।
धर्मपाल सिंह, जिनकी आंखों के सामने उनके प्रियजनों की अंतिम यात्रा हुई, अब अपने दो मासूम पोतों के साथ एक ऐसा जीवन जीने को विवश हैं, जिसकी कल्पना करना भी पीड़ादायक है।





