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क्या सच में प्लेन के इंजन में डाला जाता है मुर्गा? क्या है 'चिकन गन टेस्ट' की पूरी सच्चाई...

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 19 जून
  • 3 मिनट पठन

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जब भी कोई हवाई जहाज उड़ान भरता है, तो वो केवल यात्रियों और ईंधन के सहारे नहीं उड़ता — उसके पीछे होती है एक बेहद सख्त, वैज्ञानिक और खतरों से जूझती टेस्टिंग प्रक्रिया। इन परीक्षणों के बिना कोई भी विमान उड़ान की मंज़ूरी नहीं पा सकता।


हाल ही में एयर इंडिया की फ्लाइट से जुड़ी अहमदाबाद की एक घटना ने फिर से लोगों के मन में यह सवाल खड़ा कर दिया कि विमान सुरक्षा के लिए कितने पुख्ता इंतज़ाम किए जाते हैं। खासकर 'बर्ड हिट' यानी पक्षियों के टकराने की घटनाएं विमानों के लिए कितना बड़ा खतरा बन सकती हैं, यह सबके सामने है।


इसी खतरे से निपटने के लिए किया जाता है एक बेहद दिलचस्प और तकनीकी टेस्ट — ‘चिकन गन टेस्ट’।


क्या होता है 'चिकन गन टेस्ट'?

'चिकन गन टेस्ट' यानी एक ऐसा परीक्षण जिसमें मुर्गे (अक्सर मृत, कभी-कभी ताज़े) को एयर कैनन के ज़रिए प्लेन की टर्बाइन, विंडशील्ड या विंग से टकराया जाता है, ताकि यह देखा जा सके कि यदि वास्तविक उड़ान में कोई पक्षी टकरा जाए तो विमान को कितना नुकसान हो सकता है।


यह टेस्ट केवल एक औपचारिकता नहीं है, बल्कि यह निर्धारित करता है कि विमान बर्ड हिट जैसी वास्तविक और सामान्य घटनाओं से निपटने के लिए सक्षम है या नहीं।


टेस्ट कैसे किया जाता है?

स्पेशल एयर कैनन (Compressed Air Cannon) से एक निश्चित रफ्तार से चिकन (आमतौर पर वज़न में पक्षियों के बराबर) को विमान के उस हिस्से की ओर दागा जाता है, जो उड़ान के दौरान सबसे ज्यादा संवेदनशील होते हैं — जैसे इंजन, विंडशील्ड, या पंख।


चिकन को इस रफ्तार से दागा जाता है, जितनी गति से एक पक्षी हवा में उड़ते हुए किसी तेज़ रफ्तार विमान से टकरा सकता है (कभी-कभी 200–300 किमी प्रति घंटे से भी अधिक)।


टक्कर के बाद इंजीनियर यह जांचते हैं कि क्या इंजन प्रभावित हुआ, विंडशील्ड टूटा या कोई तकनीकी खराबी आई।


क्या जिंदा मुर्गे का इस्तेमाल होता है?

यह एक आम मिथक है कि जिंदा मुर्गे को इंजन में डाला जाता है। वास्तव में, इस टेस्ट में जिंदा पक्षियों का प्रयोग नहीं होता। इसका उपयोग सिर्फ पशु क्रूरता के विरोधियों द्वारा फैलाई गई गलतफहमी के रूप में देखा गया है। आमतौर पर, मांसयुक्त डेड चिकन या जैविक सिमुलेशन पदार्थ (जैसे जेल या नकली ऊतक) का प्रयोग किया जाता है, ताकि वास्तविक बर्ड हिट की नकल की जा सके।


चिकन गन टेस्ट के परिणाम क्या बताते हैं?

अगर प्लेन को गंभीर नुकसान नहीं होता, तो उसे बर्ड हिट के जोखिम से "सुरक्षित" माना जाता है।


अगर इंजन बंद हो जाए, विंडशील्ड टूट जाए या हाइड्रोलिक सिस्टम क्षतिग्रस्त हो, तो प्लेन को दोबारा डिज़ाइन या मजबूत किया जाता है।


कुछ मामलों में विशेष बर्ड इम्पैक्ट रेजिस्टेंट मटेरियल, इंजन प्रोटेक्टर और अलार्म सिस्टम भी लगाए जाते हैं।


बर्ड हिट: एक वास्तविक खतरा


दुनियाभर में हर साल हजारों बर्ड हिट घटनाएं दर्ज की जाती हैं।


कई बार विमान को इमरजेंसी लैंडिंग तक करनी पड़ती है।


बर्ड हिट की वजह से 2009 में US Airways की फ्लाइट 1549 को न्यूयॉर्क के हडसन नदी में लैंड कराना पड़ा था — जो एक ऐतिहासिक घटना मानी जाती है।


आधुनिक सुरक्षा उपाय क्या हैं?

एवियन रडार: एयरपोर्ट के पास पक्षियों की गतिविधि पर नजर रखने वाला रडार सिस्टम


साउंड गन्स: पक्षियों को भगाने के लिए तेज आवाज़ करने वाले उपकरण


फिजिकल नेटिंग और झाड़ियां हटाना: बर्ड नेस्टिंग रोकने के लिए


एयरोडायनामिक डिजाइन में सुधार: विंडशील्ड, इंजन इनटेक, और पंख को बर्ड हिट रेजिस्टेंट बनाना



'चिकन गन टेस्ट' एक ऐसा टेस्ट है जो ये तय करता है कि प्लेन हवा में ना सिर्फ उड़ सकता है, बल्कि संभावित टकरावों को झेल भी सकता है। ये एक जरूरी सुरक्षा कवच है जो हज़ारों लोगों की जान की रक्षा करता है, चाहे वो यात्री हों या चालक दल।

 
 
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