top of page

धामी जी प्रस्ताव भेजें तो देहरादून में शुरू करवा दूंगा फ्लाइंग डबल डेकर बस: नितिन गडकरी

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 5 जून
  • 2 मिनट पठन

ree

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने राजधानी देहरादून में ट्रैफिक जाम की समस्या को गंभीर बताते हुए इसका अभिनव समाधान सुझाया है। उन्होंने कहा कि यदि राज्य सरकार प्रस्ताव भेजती है तो वे हवा में चलने वाली डबल डेकर बस देहरादून में शुरू करवा सकते हैं। यह बात उन्होंने मंगलवार को ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के 12वें दीक्षांत समारोह के मंच से कही।


गडकरी ने कहा, "मैं जब भी उत्तराखंड या देहरादून आता हूं तो हेलिकॉप्टर या विमान से आता हूं। लेकिन इस बार सड़क मार्ग से आने पर जाम की गंभीरता का वास्तविक अनुभव हुआ। ग्राफिक एरा ग्रुप के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. कमल घनशाला ने भी इस समस्या की ओर ध्यान दिलाया।"


हवा में दौड़ती बस – भविष्य की सोच

उन्होंने कहा, "मेरा एक सपना है – देहरादून में हवा में चलने वाली डबल डेकर बस सेवा शुरू हो। इसमें 125 से 150 लोग ऊपर ही ऊपर एक स्थान से दूसरे स्थान तक यात्रा कर सकते हैं। यह कोई असंभव सपना नहीं है। अगर समस्या को समझा जाए, तो समाधान भी संभव है।"


गडकरी का यह बयान शहर में पर्यावरण-अनुकूल और भीड़ रहित यातायात के समाधान की दिशा में एक नई सोच को दर्शाता है।


सरकार में हैं योग्य लोग, लेकिन निर्णय न लेना सबसे बड़ी कमजोरी

दीक्षांत समारोह में गडकरी ने सिस्टम में निर्णय क्षमता की कमी पर भी तीखा प्रहार किया। उन्होंने कहा,

"कुछ लोग आपदा को अवसर में बदलते हैं, लेकिन कुछ लोग अवसर को भी आपदा में बदल देते हैं। ज्ञान अत्यंत आवश्यक है, लेकिन केवल ज्ञानी होना पर्याप्त नहीं। सरकार में कई अच्छे अधिकारी हैं, लेकिन वे निर्णय नहीं लेते। ऐसे 'अच्छे' होने का क्या लाभ?"


उन्होंने प्रदर्शन आधारित मूल्यांकन की वकालत करते हुए कहा कि जैसे वित्तीय ऑडिट होता है, वैसे ही प्रशासनिक परफॉर्मेंस ऑडिट भी अनिवार्य होना चाहिए।

"जो अधिकारी या कर्मचारी अपने दायित्व का सही ढंग से निर्वहन नहीं करते, उनकी छुट्टी कर देनी चाहिए।"


ज्ञान में मानवता का होना आवश्यक

अपने संबोधन में केंद्रीय मंत्री ने छात्रों को जीवन मूल्य और मानवीयता का पाठ भी पढ़ाया। उन्होंने कहा,

"अगर आपकी सफलता से आपके परिवार, समाज और मित्रों को खुशी होती है तो वह असली सफलता है। लेकिन यदि दूसरों के दुख-दर्द से हमारे मन में करुणा या प्रेम नहीं उत्पन्न होता, तो हमारा ज्ञान अधूरा है।"


गडकरी ने टीम भावना, सहानुभूति और सामाजिक उत्तरदायित्व को सफलता की नींव बताते हुए कहा कि "ज्ञान को केवल औपचारिक डिग्री तक सीमित न रखें, उसे मानव सेवा का माध्यम बनाएं।"

 
 
bottom of page