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प्यार, धोखा और खून! 22 साल पहले भी प्रेमी-प्रेमिका ने मिलकर रचा था कत्ल का खेल, पुलिस रह गई थी हैरान

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 14 जून
  • 3 मिनट पठन

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इंदौर का राजा रघुवंशी हत्याकांड एक ऐसा मामला है जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इस कहानी में प्यार, धोखा, लालच और हत्या—हर वो तत्व मौजूद हैं जो किसी फिल्मी पटकथा को रोमांचक बनाते हैं। लेकिन ये कहानी किसी फिल्म की नहीं, बल्कि हकीकत की है।


राजा रघुवंशी की शादी सोनम रघुवंशी से हुई थी। समाज के सामने ये रिश्ता परफेक्ट दिखाई देता था, लेकिन इसके पीछे एक भयानक रहस्य छुपा था। सोनम का दिल किसी और के लिए धड़कता था—राज कुशवाहा के लिए। दोनों के बीच गहरा प्रेम था, लेकिन राजा उनके बीच एक दीवार बन गया था।


साजिश की शुरुआत

सोनम ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर राजा को रास्ते से हटाने की खौफनाक योजना बनाई। उसने राजा को मेघालय घूमने और हनीमून मनाने का झांसा दिया। राजा को इस बात का अंदाज़ा भी नहीं था कि यह उसकी ज़िंदगी का आख़िरी सफर बनने वाला है।

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मेघालय की खूबसूरत वादियों में, जब हर जोड़ा अपने रिश्ते को और मजबूत करता है, वहीं सोनम और उसके प्रेमी ने राजा की हत्या को अंजाम दिया।

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इस निर्मम हत्या ने लोगों को 2003 में बेंगलुरु में हुए रिंग रोड मर्डर केस की याद दिला दी—एक ऐसा केस जिसने इंसानी रिश्तों की असलियत को नंगा कर दिया था।


2003 का रिंग रोड मर्डर केस: सगाई के बाद प्रेमी के साथ साजिश

यह मामला बेंगलुरु के उभरते हुए सॉफ्टवेयर इंजीनियर बी. वी. गिरीश का था। उनकी सगाई शुभा शंकरनारायण नाम की लॉ स्टूडेंट से हुई थी। गिरीश उस समय एक प्रतिष्ठित कंपनी में काम करते थे और उनका वेतन 1 लाख रुपये प्रतिमाह था—जो उस समय बहुत बड़ी रकम मानी जाती थी। शुभा के पिता भी एक जाने-माने वकील थे।


गिरीश और शुभा की सगाई 30 नवंबर 2003 को बड़ी धूमधाम से हुई थी। लेकिन किसी को इस बात का अंदाज़ा नहीं था कि शुभा का दिल किसी और के लिए धड़कता है—अरुण वर्मा के लिए, जो उसका कॉलेज का जूनियर था।


घातक योजना

सगाई के कुछ दिन बाद शुभा ने गिरीश से कहा कि वह उसे एक खास जगह ले चलें—एचएएल एयरपोर्ट के पास, जहां से वो फ्लाइट्स को टेक ऑफ और लैंड होते देखना चाहती थी। गिरीश, जो उस समय एक भावी पति के रूप में हर ख्वाहिश पूरी करना चाहता था, उसे वहां ले गया।


लेकिन वहां पहुंचते ही अंधेरे में कुछ अज्ञात हमलावरों ने गिरीश पर जानलेवा हमला कर दिया। शुभा जोर-जोर से चिल्लाती रही, जैसे कि वह खुद को बचाने की कोशिश कर रही हो, लेकिन यह सब एक नाटक था। गिरीश को बुरी तरह घायल अवस्था में अस्पताल पहुंचाया गया, जहां अगले दिन उसकी मौत हो गई।


पुलिस की सूझबूझ और राज़ का खुलासा

शुरुआत में पुलिस को कोई ठोस सुराग नहीं मिला। लेकिन जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी, सच्चाई परत-दर-परत खुलने लगी। सगाई के वीडियो खंगाले गए, तो शुभा उसमें उदास और असहज नजर आई। पुलिस को शक हुआ।


जब कॉल डिटेल्स की जांच की गई, तो पता चला कि शुभा ने हमले वाले दिन अरुण को 73 बार कॉल किया था। अरुण की मोबाइल लोकेशन भी घटनास्थल के आसपास पाई गई।


आखिरकार जब पुलिस ने दोनों को हिरासत में लेकर गहराई से पूछताछ की, तो सच्चाई सामने आ गई। शुभा और अरुण ने गिरीश की हत्या के लिए दो शूटरों को हायर किया था। सारा प्लान एक प्रेम संबंध को बचाने और एक अवांछित शादी को रोकने के लिए रचा गया था।


प्रेम, लालच और छल की खौफनाक मिसालें

चाहे बात इंदौर के राजा रघुवंशी की हो या बेंगलुरु के गिरीश की—इन दोनों मामलों ने यह साबित कर दिया कि जब प्रेम में स्वार्थ और छल मिल जाता है, तो वह एक खूबसूरत भावना न रहकर एक खतरनाक हथियार बन जाता है।


ऐसी घटनाएं समाज को एक आईना दिखाती हैं, जिसमें रिश्तों के पीछे छिपे स्वार्थ, धोखे और हत्यारे इरादे साफ झलकते हैं।

 
 
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