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शहीद सैनिकों के आश्रितों को अब मिलेंगे ₹50 लाख, उत्तराखंड सरकार ने जारी किया शासनादेश

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 3 जून
  • 2 मिनट पठन

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उत्तराखंड सरकार ने एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए शहीद सैनिकों के आश्रितों को मिलने वाली अनुग्रह राशि को ₹10 लाख से बढ़ाकर ₹50 लाख कर दिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा कारगिल विजय दिवस 2024 के अवसर पर की गई इस घोषणा के अनुपालन में आज सैनिक कल्याण अनुभाग की ओर से शासनादेश जारी कर दिया गया है।


अब 26 जुलाई 2024 से मिलेगा नया लाभ

शासनादेश में स्पष्ट किया गया है कि यह बढ़ी हुई अनुग्रह राशि 26 जुलाई 2024 से लागू मानी जाएगी। इसका अर्थ है कि प्रदेश में यदि कोई जवान राष्ट्रसेवा में बलिदान होता है, तो उसके परिवार को अब ₹50 लाख की आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी।


यह निर्णय उत्तराखंड को न केवल 'वीरों की भूमि' की पहचान को और मजबूत करता है, बल्कि शहीदों और उनके परिवारों के प्रति राज्य सरकार की संवेदनशीलता और कृतज्ञता का भी प्रमाण है।


“उत्तराखंड सिर्फ देवभूमि नहीं, वीरभूमि भी है” – मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस निर्णय पर कहा:


“उत्तराखंड के वीर जवानों ने हर युद्ध, हर संकट में देश की सीमाओं की रक्षा में अतुलनीय साहस का परिचय दिया है। उनका बलिदान अमूल्य है, और हमारी यह ज़िम्मेदारी बनती है कि उनके परिवारों के साथ हम हर कदम पर खड़े रहें।”


मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार द्वारा लिए गए सैनिक हितैषी फैसलों का भी उल्लेख किया, जिनमें शामिल हैं:


-वन रैंक, वन पेंशन योजना


-नेशनल वॉर मेमोरियल का निर्माण


-रक्षा बजट में अभूतपूर्व वृद्धि


-सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे को मजबूत करना


अन्य प्रमुख घोषणाएं भी शामिल

मुख्यमंत्री धामी ने बताया कि:


-परमवीर चक्र, अशोक चक्र, वीरता पदक आदि से सम्मानित सैनिकों को मिलने वाली एकमुश्त और वार्षिक राशि में भी वृद्धि की गई है।


-शहीद सैनिक के परिवार के एक सदस्य को राज्य सरकार की नौकरी में समायोजित करने का भी निर्णय लिया गया है।


-सैनिकों के कौशल विकास, स्वास्थ्य, और शिक्षा सुविधाओं को भी राज्य सरकार लगातार सशक्त बना रही है।


बलिदान को नमन, परिजनों को सम्मान

उत्तराखंड सरकार का यह निर्णय सिर्फ एक वित्तीय सहायता नहीं, बल्कि शहीद सैनिकों के बलिदान को सामाजिक, नैतिक और राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान देने की दिशा में बड़ा कदम है। यह उन परिवारों को भी आश्वासन देता है कि राज्य उनके साथ है—आज, कल और हमेशा।

 
 
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