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हरिद्वार जमीन घोटाला: धामी सरकार की बड़ी कार्रवाई, दो IAS और एक PCS अफसर समेत 12 लोग सस्पेंड

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 3 जून
  • 2 मिनट पठन

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हरिद्वार में हुए बहुचर्चित भूमि घोटाले को लेकर उत्तराखंड सरकार ने सख्त रुख अपनाते हुए अब तक की सबसे बड़ी प्रशासनिक कार्रवाई की है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर दो आईएएस, एक पीसीएस सहित कुल 12 अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है। मामले की जांच अब विजिलेंस विभाग को सौंप दी गई है।


क्या है हरिद्वार भूमि घोटाला?

यह घोटाला हरिद्वार नगर निगम द्वारा एक अनुपयुक्त और उपयोगहीन भूमि को बाजार मूल्य से तीन गुना अधिक दाम पर खरीदने से जुड़ा है। जांच में सामने आया कि जिसकी असल कीमत लगभग 15 करोड़ रुपये थी, उसे 54 करोड़ रुपये में खरीदा गया।


-न तो इस भूमि की तत्काल कोई आवश्यकता थी न ही इसकी खरीद में किसी प्रकार की पारदर्शिता बरती गई


-शासन के निर्धारित मानकों, प्रक्रिया और नियमों को पूरी तरह दरकिनार कर सौदा किया गया


मुख्य आरोपी और कार्रवाई

जांच के बाद प्रथम चरण में नगर निगम के चार अधिकारियों को निलंबित किया गया था। अब इस घोटाले में सीधे तौर पर शामिल माने जा रहे वरिष्ठ अधिकारियों पर भी गाज गिरी है।


निलंबित अधिकारियों की सूची:


IAS और PCS स्तर के अधिकारी:

कर्मेन्द्र सिंह – जिलाधिकारी, हरिद्वार


वरुण चौधरी – पूर्व नगर आयुक्त, हरिद्वार


अजयवीर सिंह – एसडीएम


प्रशासनिक और तकनीकी अधिकारी:

निकिता बिष्ट – वरिष्ठ वित्त अधिकारी


राजेश कुमार – कानूनगो


कमलदास – तहसील प्रशासनिक अधिकारी


विक्की – वरिष्ठ वैयक्तिक सहायक


रविंद्र कुमार दयाल – प्रभारी सहायक नगर आयुक्त


आनंद सिंह मिश्रवाण – अधिशासी अभियंता


लक्ष्मीकांत भट्ट – कर एवं राजस्व अधीक्षक


दिनेश चंद्र कांडपाल – अवर अभियंता


इसके अलावा, संपत्ति लिपिक वेदवाल का सेवा विस्तार समाप्त कर दिया गया है और उनके खिलाफ अनुशासनिक कार्यवाही के निर्देश जारी किए गए हैं।


राजनीतिक और प्रशासनिक संदेश

यह पहली बार है जब उत्तराखंड में सत्तारूढ़ सरकार ने अपने ही सिस्टम में बैठे शीर्ष स्तर के अधिकारियों पर इतनी बड़ी और सीधी कार्रवाई की है। मुख्यमंत्री धामी की इस पहल को केवल एक घोटाले की जांच नहीं, बल्कि प्रदेश की प्रशासनिक संस्कृति में सुधार और पारदर्शिता की ओर एक निर्णायक कदम के रूप में देखा जा रहा है।


अगला कदम: विजिलेंस जांच

अब इस पूरे प्रकरण की गहराई से जांच राज्य विजिलेंस विभाग द्वारा की जाएगी। भ्रष्टाचार, अनियमितता, मिलीभगत और वित्तीय घोटाले से जुड़े सभी पहलुओं की जांच कर जिम्मेदारों पर आपराधिक कार्रवाई की संभावना जताई जा रही है।

 
 
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