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दिवाली पर पटाखों से आग लगने की 66 घटनाएं, समय रहते आग पर पाया काबू

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 23 अक्टू॰
  • 3 मिनट पठन
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दीवाली की रात्रि जहां एक ओर देहरादून शहर दीपों और रोशनी की जगमगाहट में सराबोर था, वहीं दूसरी ओर यह रात शहर के अग्निशमन दस्ते के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण और सांस रोक देने वाली साबित हुई। सोमवार देर शाम से लेकर मंगलवार तड़के तक, महज साढ़े छह घंटे के भीतर आग लगने की एक-दो नहीं, बल्कि 12 घटनाएं सामने आईं। इन घटनाओं में जहां एक ओर प्लास्टिक के गोदाम में भीषण अग्निकांड हुआ, वहीं दूसरी ओर भीड़भाड़ वाले बाज़ारों और रिहायशी इलाकों में छोटी-बड़ी आग ने लोगों को भयभीत कर दिया।


मेहूंवाला में जहरीले धुएं ने रोकीं सांसें-

सबसे विकट स्थिति मेहूंवाला क्षेत्र में देखने को मिली, जहां एक बड़े प्लास्टिक गोदाम में आग भड़क उठी। प्लास्टिक की अत्यधिक ज्वलनशीलता के कारण आग इतनी तेजी से फैली कि दमकल विभाग के पसीने छूट गए। इस भयावह आग को पूरी तरह से काबू में करने में करीब डेढ़ घंटे का समय लगा। जलते प्लास्टिक से उठने वाले जहरीले धुएं और तेज़ दुर्गंध ने इलाके में रह रहे लोगों और मौके पर मौजूद दमकलकर्मियों के लिए हालात और कठिन बना दिए। दमकल विभाग को विशेष एग्जॉस्ट सिस्टम लगाकर धुएं को बाहर निकालने का प्रयास करना पड़ा, जिससे किसी बड़े हादसे को रोका जा सका।


निरंजनपुर मंडी में आग, लेकिन टला बड़ा हादसा-

दूसरी बड़ी घटना निरंजनपुर मंडी की एक बहुमंजिला इमारत की छत पर लगी आग थी, जहां फल, लकड़ी और प्लास्टिक की तिरपाल के नीचे ढके सामान ने आग को तुरंत पकड़ लिया। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि यह आग भी आसमान में छोड़े गए पटाखों – विशेषकर स्काई शॉट्स और रॉकेट्स – की वजह से लगी हो सकती है। सौभाग्य से समय रहते लोग बाहर निकल गए और कोई जनहानि नहीं हुई।


शहर के कई इलाकों में आग की छोटी-बड़ी घटनाएं-

वहीं, दीवाली की रात और उसके बाद के कुछ घंटों में देहरादून के कई अन्य क्षेत्रों में भी आगजनी की घटनाएं सामने आईं। धर्मावाला में एक दुकान, जीएमएस रोड पर चलती कार, नेहरू ग्राम में पोली हाउस, ओल्ड राजपुर रोड पर एक पेड़, सरस्वती बिहार में घर और कार, राजीव नगर में इलेक्ट्रिक शॉर्ट सर्किट जैसी घटनाओं ने दमकल विभाग को एक क्षण के लिए भी चैन नहीं लेने दिया।


इन सभी घटनाओं में राहत की बात यह रही कि फायर स्टेशन की तत्परता और लोगों की सतर्कता के चलते कोई बड़ी जनहानि नहीं हुई। दमकल विभाग की टीमें हर कॉल पर तुरंत सक्रिय हुईं और जान-माल के बड़े नुकसान को टालने में कामयाब रहीं।


पटाखे बने अधिकांश आग की घटनाओं की वजह-

फायर सेफ्टी ऑफिसर किशोर उपाध्याय ने जानकारी दी कि इस बार की दीवाली में, भले ही एक रात में 12 घटनाएं दर्ज की गई हों, लेकिन पिछले साल के मुकाबले इसमें उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई है। वर्ष 2022 में दीवाली पर आग लगने की कुल 39 घटनाएं रिपोर्ट की गई थीं। इस वर्ष संख्या घटकर 12 रह जाना, कहीं न कहीं फायर विभाग की जन जागरूकता मुहिम का सकारात्मक परिणाम है।


उन्होंने बताया कि इस बार आम लोगों ने छतों पर कचरा, कबाड़, और ज्वलनशील सामग्री रखने से परहेज़ किया। इसके अलावा कई कॉल पहले से ही झाड़ियों, खाली प्लॉट या बाहर खड़ी गाड़ियों में आग लगने को लेकर थीं, जो आमतौर पर पटाखों से निकलने वाली चिंगारी के कारण हुईं।


एक रात, कई संकट — लेकिन नियंत्रित हालात-

दीवाली की रात जैसे-जैसे पटाखों की गूंज तेज़ होती गई, वैसे-वैसे आग लगने की खबरें भी आती गईं। फायर स्टेशन को रात 7:32 बजे से लेकर तड़के करीब 2 बजे तक एक के बाद एक कुल 12 फायर कॉल्स मिलीं। इनमें अधिकांश घटनाओं की जड़ में रॉकेट्स और स्काई शॉट पटाखे पाए गए, जिनकी चिंगारी छतों पर रखे ज्वलनशील सामान में जाकर आग का कारण बनी।


इस पूरी स्थिति के दौरान, देहरादून फायर स्टेशन की हर यूनिट अलर्ट पर रही। दमकलकर्मियों ने बिना थके, बिना रुके, शहर को किसी बड़ी त्रासदी से बचाने के लिए जमीनी स्तर पर उत्कृष्ट कार्य किया।


दीवाली रोशनी का पर्व है, लेकिन हर साल की तरह इस बार भी पटाखों की वजह से कई घरों की दीपावली डर और चिंता में बदल गई। हालांकि फायर विभाग की सतर्कता, आमजन की जागरूकता और कुछ हद तक भाग्य के चलते कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ, लेकिन यह सवाल ज़रूर छोड़ गया कि क्या अगले साल दीवाली सिर्फ दीयों और प्रेम से नहीं मनाई जा सकती?


देहरादून की यह रात भले ही चकाचौंध में डूबी हो, लेकिन दमकल विभाग के लिए यह कड़ी परीक्षा की घड़ी थी — जिसमें वे साहस, तत्परता और समर्पण के साथ खरे उतरे।

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