ABVP ने श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय छात्र चुनावों में पांचों प्रमुख पदों पर किया कब्जा
- ANH News
- 9 अक्टू॰
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ऋषिकेश: श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के छात्र महासंघ चुनाव में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने एक बार फिर से अपनी ताकत का प्रदर्शन किया है। इस बार एबीवीपी ने नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) को हराकर अध्यक्ष समेत सभी पांच प्रमुख पदों पर कब्जा कर लिया है। यह चुनाव पं. ललित मोहन शर्मा परिसर में आयोजित किया गया, जिसमें 48 महाविद्यालयों के 200 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
चुनाव का माहौल
छात्र महासंघ चुनाव का माहौल हमेशा से ही उत्साह और प्रतिस्पर्धा से भरा होता है। इस बार भी, छात्रों में चुनाव को लेकर गजब का उत्साह देखने को मिला। एबीवीपी और एनएसयूआई के बीच की प्रतिस्पर्धा ने चुनावी माहौल को और भी रोचक बना दिया। छात्रों द्वारा आयोजित रैलियों और जनसभाओं ने इस चुनाव में ऊर्जा का संचार किया। कई छात्रों ने अपनी-अपनी टीमें बनाकर, चुनावी प्रचार में सक्रियता दिखाई।
प्रमुख पदों के लिए नामांकन
अध्यक्ष पद के लिए एबीवीपी से अमित काला और एनएसयूआई से मोहित कुमार जेठवान ने नामांकन किया। उपाध्यक्ष पद पर एबीवीपी से अनीता भंडारी और एनएसयूआई से रितिक कुमार ने अपनी दावेदारी पेश की। महासचिव पद के लिए एबीवीपी से आदित्य भंडारी, एनएसयूआई से सुनील सिंह और निर्दलीय प्रत्याशी रोहित राम ने नामांकन किया। कोषाध्यक्ष पद पर एबीवीपी से आर्यन और एनएसयूआई से टीषा ने नामांकन किया।
चुनाव परिणाम:
मुख्य चुनाव निर्वाचन अधिकारी प्रो. वीके गुप्ता ने चुनाव परिणामों की घोषणा की।
अध्यक्ष पद: एबीवीपी के अमित काला ने 33 वोट प्राप्त किए, जबकि एनएसयूआई के मोहित कुमार जेठवान को 12 वोट मिले। इस प्रकार, अमित ने अपने प्रतिद्वंदी को 21 वोटों से हराया।
उपाध्यक्ष पद: एबीवीपी की अनीता भंडारी ने 34 वोट प्राप्त किए, एनएसयूआई के रितिक कुमार को 11 वोट मिले। अनीता ने अपने प्रतिद्वंदी को 23 वोटों से हराया।
महासचिव पद: एबीवीपी के आदित्य भंडारी ने 35 वोट प्राप्त किए। एनएसयूआई के सुनील सिंह को 4 वोट और निर्दलीय प्रत्याशी रोहित राम को 8 वोट मिले।
कोषाध्यक्ष पद: एबीवीपी के आर्यन ने 35 वोट प्राप्त किए, जबकि एनएसयूआई के टीषा को 10 वोट मिले।
एबीवीपी की जीत का महत्व:
एबीवीपी की इस जीत का महत्व केवल चुनावी परिणामों तक सीमित नहीं है। यह छात्र राजनीति में उनकी मजबूत उपस्थिति और प्रभाव को दर्शाता है। एबीवीपी ने हमेशा से छात्रों के मुद्दों को उठाने और उनके अधिकारों की रक्षा करने का काम किया है। पिछले वर्ष, एबीवीपी ने विद्यार्थियों के लिए छात्रवृत्ति में 25% की वृद्धि के लिए आंदोलन किया, जो उनकी नीति और दृष्टिकोण को मजबूत बनाता है।
छात्रों की प्रतिक्रिया:
छात्रों की प्रतिक्रिया इस चुनाव के परिणामों पर मिश्रित रही। कुछ छात्रों ने एबीवीपी की जीत का स्वागत किया, जबकि अन्य ने एनएसयूआई के समर्थन में अपनी आवाज उठाई। यह चुनाव केवल एक राजनीतिक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह छात्रों के विचारों और आकांक्षाओं का भी प्रतिनिधित्व करता है। हालिया सर्वे में 60% छात्रों ने कहा कि वे एबीवीपी के कार्यों से संतुष्ट हैं।
भविष्य की चुनौतियाँ:
हालांकि एबीवीपी ने इस बार सभी प्रमुख पदों पर कब्जा कर लिया है, लेकिन भविष्य में उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। छात्रों की अपेक्षाएँ हमेशा बढ़ती रहती हैं, और एबीवीपी को इन अपेक्षाओं पर खरा उतरना होगा। छात्रों को अब अपेक्षा है कि एबीवीपी उनकी समस्याओं का समाधान करेगी, जैसे कि कैम्पस में बेहतर सुविधाएँ और अधिक छात्रवृत्तियाँ।
अंतिम विचार:-
श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के छात्र महासंघ चुनाव में एबीवीपी की जीत ने एक बार फिर से साबित कर दिया है कि वे छात्र राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। यह चुनाव केवल एक प्रतिस्पर्धा नहीं है, बल्कि यह छात्रों के विचारों और आकांक्षाओं का भी प्रतिनिधित्व करता है।
इस चुनाव ने यह स्पष्ट किया है कि छात्र संगठनों के बीच की प्रतिस्पर्धा हमेशा महत्वपूर्ण रही है और यह आगे भी जारी रहेगी। एबीवीपी की जीत ने उन्हें एक नई ऊर्जा दी है, और अब देखना यह है कि वे इस ऊर्जा का उपयोग कैसे करते हैं।





