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कोडारना गांव में अजीब मक्खियों का आतंक, वन विभाग व प्रशासन की टीम पहुंची

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 25 जुल॰
  • 3 मिनट पठन
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रानी पोखरी के पास कोडरना गांव के लोग अचानक मक्खियों की बढ़ती तादाद से परेशान थे। जिनकी राहत के लिए मौके पर संयुक्त टीम पहुंची और ग्रामीणों से बातचीत कर मेडिकल प्लांट के नजदीक स्थित पेयजल टैंक के आसपास साफ-सफाई करवाई गई।


ग्रामीणों का कहना है कि गांव के समीप बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट संचालित किया जा रहा है जिसके कारण बड़ी संख्या में मक्खियां पैदा हो गयी। हालांकि मक्खियां किसी को काट नहीं रही है लेकिन लोग इसके चिपकने से परेशान हैं।


प्रशासन का कहना है कि कोडारना गांव में मक्खियों पाई गई है जो आसपास के क्षेत्र में भी हैं। इसकी रिपोर्ट बनाकर एसडीएम को सौंपी गई है। जहां से रिपोर्ट जिलाधिकारी, सीएमओ, कृषि अधिकारी, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी को भेजी जाएगी।


गौरतलब है कि टिहरी गढ़वाल जिले के नरेंद्रनगर तहसील अंतर्गत कोडारना गांव इन दिनों एक गंभीर और विचित्र समस्या से जूझ रहा है। गांव में अजीब तरह की बड़ी-बड़ी मक्खियों का जबरदस्त आतंक फैल गया है, जिससे न केवल ग्रामीणों का जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है, बल्कि बीमारियों के प्रसार का भी गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है।


झुंडों में हमला करती हैं मक्खियां, कपड़ों व खाने पर जमाती हैं डेरा

स्थानीय निवासी नीला देवी और विमला देवी बताती हैं कि इन मक्खियों के कारण घरों में रहना मुश्किल हो गया है। ये मक्खियां आम घरेलू मक्खियों से आकार में बड़ी हैं और लाखों की संख्या में उड़ते हुए झुंडों में लोगों के शरीर, खाने और कपड़ों पर बैठ जाती हैं। लोग जब खेतों में काम करते हैं या कपड़े धूप में सुखाते हैं, तो उन पर भी सैकड़ों मक्खियां बैठ जाती हैं, जिससे कपड़े पहनने लायक भी नहीं रहते।


स्वच्छता और स्वास्थ्य पर मंडरा रहा खतरा

ग्रामीणों का कहना है कि मक्खियों की भारी मौजूदगी के चलते हवा, पानी और मिट्टी तक प्रदूषित हो रही है। रानीपोखरी न्याय पंचायत के अन्य गांवों — जैसे बडोगल और कौडसी — पर भी इसके प्रभाव की आशंका जताई जा रही है। लोग अब कोडारना गांव जाना भी टाल रहे हैं। समाजसेवी नरेंद्र चौहान ने बताया कि वह अपने एक परिचित से मिलने गांव गए थे, लेकिन मक्खियों के डर से कुछ देर भी ठहरना मुश्किल हो गया, जिसके चलते उन्हें बीच में ही लौटना पड़ा।


बॉयोमेडिकल वेस्ट प्लांट पर उठे सवाल, ग्रामीणों का फूटा गुस्सा

कोडारना गांव के पास ही पिछले छह माह से बॉयोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट संचालित हो रहा है। ग्रामीणों — हिमांशु भट्ट, राजेश नेगी समेत अन्य — का मानना है कि इसी प्लांट से मक्खियों की उत्पत्ति हो रही है। उनका कहना है कि यहां अस्पतालों से लाए गए जैव चिकित्सा कचरे और मानव अंगों का निस्तारण होता है, जिससे संक्रमण फैलने और मक्खियों के पनपने की पूरी संभावना है।


हालांकि, प्लांट के संचालक अभिषेक शर्मा ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि,


"हमारे प्लांट में मेडिकल वेस्ट को 1800 डिग्री सेल्सियस तापमान पर जलाया जाता है, जिससे संक्रमण या मक्खियों के पनपने की कोई संभावना नहीं रहती।"


उन्होंने गांव के पास मौजूद जंगल की ओर इशारा करते हुए आशंका जताई कि शायद वहां मरे जानवरों के कारण मक्खियां आ रही हों।


प्रशासन ने दिए कार्रवाई के संकेत

इस मामले पर तहसीलदार अयोध्या प्रसाद उनियाल ने स्थिति की गंभीरता को स्वीकार करते हुए कहा:


"कोडारना में मक्खियों का अत्यधिक फैलाव चिंता का विषय है। संबंधित विभागों को जल्द निर्देश देकर दवा छिड़काव और अन्य उपाय किए जाएंगे।"


वहीं, सीएचसी डोईवाला के चिकित्साधीक्षक डॉ. केएस भंडारी ने आगाह किया कि:


"यदि बॉयोमेडिकल कचरे का सही निस्तारण नहीं हुआ, तो इससे गंभीर बीमारियां फैल सकती हैं। इसके लिए सरकार ने स्पष्ट और कठोर नियम तय किए हैं, जिनका पालन अनिवार्य है।"


गांव में स्वास्थ्य संकट की आशंका गहराई

स्थानीय निवासी राकेश थपलियाल ने बताया कि गांव में पहले ही लोग बॉयोमेडिकल वेस्ट प्लांट का विरोध कर रहे थे, और अब मक्खियों की बाढ़ ने इस विरोध को और तेज कर दिया है। उनका कहना है कि यदि प्रशासन और सरकार ने समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए, तो कोडारना और आसपास के गांवों में गंभीर स्वास्थ्य संकट उत्पन्न हो सकता है।

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