9 साल बाद फिर बना अद्भुत संयोग, नवरात्रि 10 दिन की, मां दुर्गा हाथी पर शुभ आगमन
- ANH News
- 19 सित॰
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अपडेट करने की तारीख: 20 सित॰

इस वर्ष शारदीय नवरात्रि का पर्व 22 सितंबर से आरंभ होकर 1 अक्टूबर तक मनाया जाएगा। विशेष बात यह है कि इस बार नवरात्रि नौ नहीं, बल्कि पूरे दस दिनों की होगी। ऐसा शुभ संयोग करीब नौ वर्षों के बाद बन रहा है- पिछली बार यह स्थिति वर्ष 2016 में बनी थी। तिथियों में यह बढ़ोतरी शास्त्रों के अनुसार अत्यंत मंगलकारी मानी जाती है, जो इसे और भी विशेष और फलदायी बनाती है।
नवरात्रि की शुरुआत अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है और यह दुर्गा नवमी तक चलती है। इस दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इस बार तृतीया तिथि दो दिन- 24 और 25 सितंबर को पड़ रही है, जिससे नवरात्रि का एक दिन बढ़कर कुल अवधि 10 दिन की हो गई है। यह ज्योतिषीय दृष्टि से अत्यंत शुभ संयोग है और पूजा-पाठ व साधना के लिए विशेष फलदायक माना गया है।
इस बार नवरात्रि की शुरुआत उत्तरा फाल्गुनी और हस्त नक्षत्र के शुभ संयोग में हो रही है। धार्मिक मान्यता है कि ऐसे योग में देवी दुर्गा की आराधना करने से साधक को विशेष कृपा और मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। मंदिरों में विशेष अनुष्ठान होंगे और भक्त नौ दिनों तक देवी के विभिन्न स्वरूपों की पूजा-अर्चना करके आत्मिक और सांसारिक लाभ की कामना करेंगे।
इस वर्ष एक और विशेष संयोग बन रहा है- देवी दुर्गा हाथी पर सवार होकर पृथ्वीलोक पर आगमन करेंगी। यह अत्यंत शुभ संकेत माना गया है। शास्त्रों के अनुसार, देवी का वाहन यदि हाथी हो तो यह सुख-समृद्धि, शांति, उन्नति और शुभ फल का द्योतक होता है। वहीं, जब देवी घोड़े पर आती हैं- जो मंगलवार या शनिवार को नवरात्रि आरंभ होने पर होता है- तो इसे सत्ता परिवर्तन और संघर्ष का संकेत माना जाता है। गुरुवार या शुक्रवार को नवरात्रि का प्रारंभ हो तो देवी पालकी पर आती हैं, जो शास्त्रों में अशुभ माना गया है। और जब नवरात्र बुधवार को शुरू हो, तब देवी नाव पर सवार होकर आती हैं, जिसका अर्थ है कि प्राकृतिक आपदाओं या जल से जुड़ी घटनाओं की संभावना बढ़ सकती है।
इस बार नवरात्र बुधवार से शुरू हो रही है, अतः देवी का आगमन नाव पर होगा। लेकिन पर्व का समापन शुभ तिथि और योगों के साथ होगा, जो संतुलन बनाए रखने वाला संकेत है। कुल मिलाकर, यह शारदीय नवरात्रि न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि ज्योतिषीय और सामाजिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण रहने वाली है।
भक्तजन इस अवसर पर देवी की उपासना के साथ-साथ कलश स्थापना, घट स्थापना, व्रत, दुर्गा सप्तशती का पाठ, कन्या पूजन, हवन और भजन-कीर्तन जैसे विविध धार्मिक आयोजनों में भाग लेकर शक्ति की उपासना करेंगे। देवी का यह दस दिवसीय आगमन पूरे वातावरण में आस्था, भक्ति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करेगा।





