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एम्स ऋषिकेश में संविदाकर्मियों की बहाली पर सहमति

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 17 सित॰
  • 2 मिनट पठन

अपडेट करने की तारीख: 18 सित॰

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ऋषिकेश स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में लंबे समय से सेवा बहाली की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे संविदा कर्मियों को आखिरकार राहत मिल गई है। एम्स प्रशासन ने उन सभी संविदा कर्मियों की पुनः बहाली पर सहमति जता दी है, जिनके पक्ष में न्यायालय द्वारा यथास्थिति बनाए रखने के आदेश पारित किए गए हैं। साथ ही, संस्थान ने आश्वासन दिया है कि धरना दे रहे शेष पूर्व संविदा कर्मचारियों को भी शीघ्र ही आउटसोर्सिंग एजेंसी के माध्यम से कार्य पर वापस लिया जाएगा।


इस पूरे मामले में मंगलवार को एम्स प्रशासन और संविदा कर्मचारियों के प्रतिनिधिमंडल के बीच एक महत्वपूर्ण वार्ता संपन्न हुई। उप निदेशक (प्रशासन) कर्नल राजीव सेन रॉय ने बताया कि वार्ता में सभी प्रमुख बिंदुओं पर विस्तृत चर्चा हुई, और संस्थान ने यह स्पष्ट किया कि वह न्यायालय के आदेशों का सम्मान करते हुए उन सभी कर्मचारियों की सेवाएं बहाल करेगा, जिनके पक्ष में यथास्थिति बनाए रखने के आदेश पारित किए गए हैं। इन कर्मचारियों की बहाली की प्रक्रिया अगले कुछ दिनों में शुरू कर दी जाएगी।


इसके अलावा, जिन पूर्व संविदा कर्मियों के पक्ष में न्यायालय से कोई स्पष्ट आदेश नहीं आया है, उन्हें भी पूरी तरह नजरअंदाज नहीं किया गया है। एम्स प्रशासन ने उनके लिए भी एक समाधान प्रस्तावित किया है। इन कर्मचारियों को आउटसोर्सिंग एजेंसी के माध्यम से दोबारा संस्थान में कार्य पर लिया जाएगा, जिससे वे भी रोजगार से वंचित न रहें।


संस्थान ने यह भी स्पष्ट किया कि संविदा और आउटसोर्स कर्मचारियों के वेतनमान में कोई बड़ा अंतर नहीं है। दोनों श्रेणियों के वेतन लगभग समान हैं, जिससे रोजगार संबंधी असमानताओं को भी काफी हद तक दूर किया जा सकेगा।


वार्ता के दौरान प्रतिनिधिमंडल ने वेतन वृद्धि का मुद्दा भी उठाया, लेकिन इस पर प्रशासन ने स्पष्ट किया कि जब तक संबंधित पदों के लिए नई विज्ञप्तियां जारी नहीं होतीं, तब तक वेतन वृद्धि पर कोई निर्णय लेना नियमों के विपरीत होगा।


इस वार्ता में प्रशासन की ओर से उप निदेशक (प्रशासन) कर्नल राजीव सेन रॉय और वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी डॉ. मुकेश पाल मौजूद रहे, जबकि संविदा कर्मियों का प्रतिनिधित्व प्रजापति डबराल और दीपक बिष्ट ने किया।


संविदा कर्मचारियों के लिए यह फैसला न केवल आर्थिक राहत लेकर आया है, बल्कि उनके सम्मान और स्थायित्व की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

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