साक्ष्य आधारित चिकित्सा में साक्ष्य संश्लेषण की महत्वपूर्ण भूमिका: प्रो. मीनू सिंह
- ANH News
- 27 जुल॰
- 2 मिनट पठन

एम्स ऋषिकेश में हाल ही में दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें साक्ष्य संश्लेषण को समझने, पढ़ाने और साक्ष्य आधारित चिकित्सा (EBM) के व्यवहारिक कौशलों को विकसित करने पर व्यापक रूप से चर्चा हुई। इस कार्यशाला का आयोजन एम्स के साक्ष्य संश्लेषण विभाग के तत्वाधान में किया गया था।
संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रो. मीनू सिंह ने उद्घाटन अवसर पर कहा कि यह कार्यशाला चिकित्सकों और संकाय सदस्यों के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगी। उन्होंने बताया कि कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य चिकित्सकों को साक्ष्य आधारित चिकित्सा और संश्लेषण के सिद्धांतों एवं तकनीकों से सशक्त बनाना है, जिससे वे अपने चिकित्सीय निर्णयों में बेहतर परिणाम प्राप्त कर सकें।
कार्यशाला के पहले दिन का फोकस साक्ष्य आधारित चिकित्सा की नींव, प्रमुख शिक्षण पद्धतियों, शैक्षिक सत्रों की योजना बनाने तथा व्यवस्थित समीक्षाओं (Systematic Reviews) के मूल्यांकन पर रहा। एम्स मोहाली की डॉ. मानवी सिंह, ग्लासगो विश्वविद्यालय यूके के डॉ. निशांत जयसवाल एवं एम्स ऋषिकेश के डॉ. विवेक सिंह मलिक ने प्रथम दिवस के विभिन्न सत्रों का सफल संचालन किया।
कार्यशाला के दूसरे दिन साक्ष्य आधारित चिकित्सा के अनुप्रयोग, साक्ष्य संश्लेषण में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के एकीकरण, रैंडमाइज़्ड कंट्रोल ट्रायल्स (RCT), नैदानिक परीक्षण सटीकता (DTA) अध्ययनों के मूल्यांकन तथा बीएमजे बेस्ट प्रैक्टिस जैसे महत्वपूर्ण उपकरणों के माध्यम से साक्ष्य के व्यावहारिक क्रियान्वयन पर विस्तृत चर्चाएं हुईं। इस दौरान एम्स ऋषिकेश के डॉ. प्रतीक कुमार पांडा, पीजीआईएमईआर चंडीगढ़ के डॉ. अनिल चौहान एवं बीएमजे ग्रुप यूके के डॉ. कीरन वॉल्श प्रमुख वक्ताओं के रूप में उपस्थित रहे।
कार्यशाला के आयोजन सचिव एवं संस्थान के वरिष्ठ पुस्तकालय एवं सूचना अधिकारी संदीप कुमार सिंह ने बताया कि यह कार्यशाला विशेष रूप से संस्थान के संकाय सदस्यों को ध्यान में रखते हुए आयोजित की गई थी। इसमें इंटरैक्टिव लघु-समूह कार्य, आलोचनात्मक मूल्यांकन अभ्यास और सूक्ष्म-शिक्षण अभ्यास सहित कई शिक्षण विधियां शामिल थीं, जिनसे प्रतिभागियों को वास्तविक समय में ज्ञान और कौशल बढ़ाने का अवसर मिला।
कार्यशाला में प्रो. संजीव कुमार मित्तल, प्रो. सोमप्रकाश बसु, प्रो. श्रीपर्णा बसु, प्रो. आशी चुग, प्रो. बलराम, एसोसिएट प्रो. डॉ. पूनम सिंह, डॉ. भावना गुप्ता, डॉ. इंतजार समेत अन्य विभागीय फेकल्टी सदस्य भी उपस्थित थे।
इस कार्यशाला के माध्यम से एम्स ऋषिकेश ने चिकित्सा शिक्षा में नवीनतम शोध और तकनीकों को अपनाने की अपनी प्रतिबद्धता को एक बार पुनः प्रदर्शित किया है, जो चिकित्सा क्षेत्र में गुणवत्ता और दक्षता को बढ़ावा देने में सहायक होगी।





