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मिडिल क्लास के लिए नवरात्रि से पहले राहत की बरसात, 22 सितंबर से बदलेगा खर्च का गणित

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 21 सित॰
  • 4 मिनट पठन

अपडेट करने की तारीख: 22 सित॰

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नवरात्रि का पावन पर्व जैसे ही दस्तक देगा, देश के मिडिल क्लास परिवारों के लिए खुशियों की नई शुरुआत भी हो जाएगी। दिवाली भले ही एक महीने दूर हो, लेकिन 22 सितंबर से जो बदलाव लागू हो रहे हैं, उनका असर कुछ ऐसा होगा कि लोगों को दिवाली जैसी राहत पहले ही महसूस होने लगेगी।


दरअसल, यही वो तारीख है जब जीएसटी 2.0 के तहत संशोधित दरें लागू होने जा रही हैं- एक ऐसा आर्थिक सुधार जो खासतौर पर आम आदमी की जेब को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है।


सरकार ने जिस तरह से इन बदलावों को एक सालाना "ब्रांड सेल" की तरह पेश किया है, वह अपने आप में नया प्रयोग है। जिस तरह कंपनियाँ साल के खास मौकों पर छूट देकर ग्राहकों को लुभाती हैं, ठीक उसी तरह सरकार ने इस बार जीएसटी रेट्स को कम कर, मिडिल क्लास को सीधा फायदा देने की योजना बनाई है।


तेज़ी से लिया गया बड़ा फैसला, अब हर घर को दिखेगा असर

ये पूरी प्रक्रिया अचानक नहीं हुई। 15 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब लाल किले से उपभोक्ताओं के हितों की बात की, तो ये साफ हो गया था कि सरकार कोई बड़ा कदम उठाने जा रही है। इसके बाद 3 सितंबर को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुई जीएसटी परिषद की बैठक में यह ऐतिहासिक फैसला लिया गया- टैक्स ढांचे को सरल बनाना, दरों को कम करना और उपभोक्ताओं तक इसका सीधा लाभ पहुंचाना।


उसके बाद से लगातार अधिसूचनाएं जारी की जा रही हैं, कंपनियों को निर्देश दिया गया है कि वे जल्द से जल्द नई दरों के अनुरूप कीमतें अपडेट करें, ताकि त्योहारी सीज़न में उपभोक्ताओं को भ्रम या नुकसान न हो।


क्या बदलेगा 22 सितंबर से? आम ज़िंदगी पर क्या पड़ेगा असर?

इस बार बदलाव केवल आंकड़ों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि ये रोज़मर्रा की ज़िंदगी के हर पहलू में राहत लेकर आने वाले हैं। अब बाजार से सब्ज़ी से लेकर स्मार्टफोन तक की खरीदारी में बदलाव महसूस होगा।


सबसे अहम बात ये है कि GST स्लैब्स को घटाकर अब सिर्फ दो प्रमुख दरें (5% और 18%) कर दी गई हैं। इसका सीधा अर्थ है- टैक्स सिस्टम अब न सिर्फ सरल होगा, बल्कि उपभोक्ता को भी ज्यादा पारदर्शिता और कम बोझ महसूस होगा।


ज़रूरी खाने-पीने की चीज़ें- जैसे पराठा, पनीर, पैकेज्ड दूध, बिस्किट, सॉस और ड्राई फ्रूट्स- या तो 5% टैक्स में आ गए हैं या पूरी तरह से मुक्त कर दिए गए हैं।


पर्सनल केयर आइटम्स जैसे हेयर ऑयल और टूथपेस्ट पर अब केवल 5% टैक्स लगेगा। यानी सुबह की दिनचर्या भी अब थोड़ी सस्ती हो जाएगी।


घर के बड़े उपकरण- जैसे एयर कंडीशनर, रेफ्रिजरेटर, बड़े टीवी और वॉशिंग मशीन पर पहले 28% टैक्स लगता था, जिसे अब घटाकर 18% कर दिया गया है।


वाहन और निर्माण से जुड़ी चीज़ें, जैसे 350cc तक की गाड़ियां, ऑटो पार्ट्स और सीमेंट- इन्हें भी 18% स्लैब में लाया गया है, जिससे घर बनाना और वाहन खरीदना थोड़ा और किफायती हो जाएगा।


सबसे बड़ी राहत- बीमा पर टैक्स अब शून्य

हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस जैसी ज़रूरी सेवाओं को भी जीएसटी के बोझ से पूरी तरह मुक्त कर दिया गया है। पहले इन पर 18% टैक्स लगता था, जो मिडिल क्लास के लिए बड़ी चिंता थी। अब बीमा करवाना न सिर्फ ज़रूरी होगा, बल्कि आर्थिक रूप से समझदारी भरा भी लगेगा।


बचत भले छोटी दिखे, पर असर बड़ा होगा

एक सामान्य मध्यमवर्गीय परिवार हर महीने लगभग ₹10,000 किराने का सामान, घरेलू उत्पाद और पैकेज्ड फूड पर खर्च करता है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि नए टैक्स ढांचे के चलते इन परिवारों को हर महीने ₹400 से ₹600 की बचत हो सकती है।


स्वास्थ्य बीमा में भी सालाना ₹7,000 से ₹8,000 तक की बचत संभव है। और जब ये बचत त्योहारों के खर्च से ठीक पहले हो, तो उसका असर केवल बजट पर नहीं, बल्कि पूरे परिवार की खुशियों पर दिखाई देता है।


निर्मला सीतारमण का बयान- "यह आम आदमी के लिए किया गया सुधार है"


वित्त मंत्री ने साफ कहा कि इन बदलावों से सरकार को भले ही कुछ हद तक राजस्व का नुकसान हो, लेकिन उपभोक्ताओं के हाथ में करीब 2 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त बचत आएगी।


यह बयान उन करोड़ों परिवारों के लिए आश्वासन है जो हर महीने बढ़ती महंगाई के बीच अपने बजट को साधने की कोशिश कर रहे हैं।


त्योहारों का मौसम अब थोड़ा सस्ता, थोड़ा सरल और बहुत ज्यादा सुकूनभरा


नवरात्रि की शुरुआत से ठीक पहले सरकार की यह पहल सामान्य उपभोक्ता के लिए तोहफे से कम नहीं। जब बाजारों में मिठाइयों की खुशबू फैलेगी, घरों में सजावट होगी, और शॉपिंग की लिस्ट तैयार होगी- तब जेब पर थोड़ी राहत इस पूरे अनुभव को और खास बना देगी।


अब हर खरीदी के साथ राहत का अहसास भी जुड़ा होगा, और इस बार दिवाली की रौशनी सिर्फ दीयों से नहीं, बल्कि बचत की चमक से भी फैलेगी।


तो 22 सितंबर से नवरात्रि की पूजा के साथ-साथ एक नई आर्थिक शुरुआत भी होगी- जहां हर मिडिल क्लास परिवार कह सकेगा कि सरकार ने इस बार सच में "उनकी" सुनी है।

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