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तीर्थ यात्रा के समापन की ओर बढ़े बदरी-केदार, कपाट बंद होने की तारीख तय

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 3 अक्टू॰
  • 3 मिनट पठन
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उत्तराखंड के विश्वप्रसिद्ध बदरीनाथ और केदारनाथ धामों के कपाट शीतकाल के लिए बंद होने की तिथियों की आधिकारिक घोषणा हो गई है। अब से कुछ ही सप्ताह बाद, श्रद्धालुओं को भगवान बदरी विशाल और बाबा केदार के दर्शन के लिए अगले वर्ष तक प्रतीक्षा करनी पड़ेगी। बदरीनाथ धाम के कपाट इस वर्ष 25 नवंबर को दोपहर 2 बजकर 56 मिनट पर विधि-विधान के साथ बंद कर दिए जाएंगे, जबकि केदारनाथ धाम के कपाट 23 अक्टूबर को शीतकाल हेतु बंद होंगे।


बदरीनाथ धाम में कपाट बंद होने की प्रक्रिया 21 नवंबर से आरंभ होगी, जब पंच पूजाओं का शुभारंभ होगा। यह परंपरा मंदिर की आध्यात्मिक गरिमा को संजोए रखने और विधिपूर्वक कपाट बंद करने के उद्देश्य से निभाई जाती है। पहले दिन भगवान गणेश की पूजा होगी, और शाम को उनके कपाट बंद किए जाएंगे। अगले दिन आदि केदारेश्वर और शंकराचार्य मंदिरों के कपाट बंद होंगे। 23 नवंबर को खड्ग और पुस्तक पूजन के साथ वेद ऋचाओं का वाचन भी स्थगित कर दिया जाएगा। 24 नवंबर को मां लक्ष्मी को कढ़ाई भोग अर्पित किया जाएगा। अंततः, 25 नवंबर को, शीतकाल के लिए मुख्य मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाएंगे।


कपाट बंद होने के अगले दिन, 26 नवंबर को रावल जी, कुबेर जी, उद्धव जी तथा आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी शीतकालीन प्रवास हेतु पांडुकेश्वर और जोशीमठ स्थित श्री नृसिंह मंदिर को प्रस्थान करेगी। इस समूची प्रक्रिया का संचालन रावल अमरनाथ नंबूदरी, धर्माधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल और वेदपाठी रविंद्र भट्ट के मार्गदर्शन में संपन्न होगा।


इस अवसर पर बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) के अध्यक्ष हेमंत द्विवेदी ने 2026 के लिए हक-हकूकधारी धारियों को पारंपरिक पगड़ी भेंट कर सम्मानित किया। विभिन्न थोंकों के प्रमुखों जैसे मनीष भंडारी (भंडारी थोक), महेंद्र सिंह मेहता व दिनेश भट्ट (मेहता थोक), तथा कुलभूषण पंवार (कमदी थोक) को भी सम्मानित किया गया।


केवल बदरीनाथ ही नहीं, बल्कि गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ धामों के कपाट बंद करने की तिथियां भी पहले घोषित की जा चुकी हैं। गंगोत्री धाम के कपाट 22 अक्टूबर को अन्नकूट गोवर्धन पूजा के दिन अभिजीत मुहूर्त में बंद होंगे, यमुनोत्री और केदारनाथ के कपाट 23 अक्टूबर को बंद होंगे। इसके अलावा, द्वितीय केदार मद्महेश्वर के कपाट 18 नवंबर तथा तृतीय केदार तुंगनाथ के कपाट 6 नवंबर को बंद होंगे।


उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में पड़ने वाली भीषण ठंड और भारी बर्फबारी को देखते हुए हर वर्ष अक्टूबर-नवंबर माह में इन पवित्र धामों के कपाट श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए जाते हैं, जो अगले वर्ष अप्रैल-मई में पुनः खोले जाते हैं।


इस बीच, यात्रा सीजन के दूसरे चरण में भी तीर्थयात्रियों का उत्साह कम नहीं हुआ है। मानसून आपदा के बावजूद, बदरीनाथ धाम में अब तक 14,20,357 श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं, वहीं केदारनाथ में यह संख्या 16,02,420 पार कर चुकी है। दोनों धामों में अब तक कुल 30,22,777 से अधिक तीर्थयात्री दर्शन कर चुके हैं, जो इस वर्ष की यात्रा को ऐतिहासिक बना देता है।


बीकेटीसी अध्यक्ष हेमंत द्विवेदी ने इस मौके पर सभी तीर्थयात्रियों, हक-हकूकधारियों और बदरी-केदार परंपरा से जुड़े अनुयायियों को शुभकामनाएं दीं। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि यह गर्व का विषय है कि जब बदरी-केदार यात्रा ऐतिहासिक ऊंचाई पर पहुंच रही है, उसी समय राष्ट्र सेवा को समर्पित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी अपने 100 वर्ष पूरे कर रहा है।


श्रद्धालु यदि कपाट बंद होने से पहले दर्शन करना चाहते हैं तो उनके पास अब सीमित समय शेष है। ऐसे में चारधाम यात्रा के शेष चरणों में और तीव्रता की संभावना बनी हुई है। सरकार और मंदिर समिति द्वारा इस चरण की यात्रा को व्यवस्थित और सुरक्षित बनाने के लिए सभी तैयारियाँ पूर्ण कर ली गई हैं।

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