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कफ सिरप से बच्चों की मौत मामले में उत्तराखंड सरकार सख्त, ऑनलाइन दवा बिक्री पर बैन

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 25 अक्टू॰
  • 2 मिनट पठन
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उत्तराखंड में दवाओं की ऑनलाइन बिक्री पर जल्द ही प्रतिबंध लगने की संभावना है। कफ सिरप के सेवन से बच्चों की मौत के मामलों ने राज्य सरकार को गंभीर रूप से चिंतित किया है, जिसके बाद दवाओं की अनियंत्रित ऑनलाइन बिक्री पर रोक लगाने की दिशा में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। इस संबंध में प्रदेश के खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने केंद्र सरकार को औपचारिक सिफारिश भेजी है, जिसमें ऑनलाइन माध्यम से दवाओं की बिक्री को सीमित या प्रतिबंधित करने की मांग की गई है।


हाल ही में कफ सिरप से बच्चों की मौत के कई मामलों के सामने आने के बाद केंद्र सरकार ने दवा निर्माण और बिक्री से संबंधित नियमों की समीक्षा शुरू की है। इस उद्देश्य से ड्रग एंड कॉस्मेटिक ऐक्ट में संशोधन की प्रक्रिया चल रही है। केंद्र ने इस संशोधन पर राज्यों से राय मांगी थी, जिसके जवाब में उत्तराखंड ने दवाओं की ऑनलाइन बिक्री पर सख्त नियंत्रण या पूर्ण प्रतिबंध लगाने की वकालत की है। राज्य सरकार का मानना है कि इस व्यवस्था को नियंत्रित करना बेहद कठिन है और इससे दवाओं की अनियमित बिक्री तथा गलत उपयोग की आशंका बनी रहती है।


एफडीए के अपर आयुक्त ताजबर सिंह जग्गी ने पुष्टि की कि उत्तराखंड सहित कई अन्य राज्यों ने भी केंद्र को ऑनलाइन दवा बिक्री पर रोक लगाने की सिफारिश भेजी है। उन्होंने बताया कि ऑनलाइन दवा बिक्री में पारदर्शिता की कमी सबसे बड़ी चुनौती है — यह जानना मुश्किल होता है कि किस व्यक्ति ने, किस समय, किस स्रोत से और कितनी मात्रा में दवाएं खरीदीं। इस व्यवस्था में रिकॉर्ड-कीपिंग की कमी के कारण नकली या नियंत्रित दवाओं के दुरुपयोग की आशंका बढ़ जाती है। इसी कारण, केंद्र द्वारा तैयार किए जा रहे नए कानून में इस व्यवस्था पर नियंत्रण की संभावना तलाशी जा रही है।


उत्तराखंड में वर्तमान में लगभग 20 हजार से अधिक मेडिकल स्टोर पंजीकृत हैं। इनमें से एक बड़ी संख्या ऑनलाइन माध्यम से दवाओं की बिक्री करती है। कोविड-19 महामारी के दौरान ऑनलाइन दवा डिलीवरी को अत्यधिक प्रोत्साहन मिला, जिसके बाद यह कारोबार तेजी से बढ़ा। आज यह ऑनलाइन फार्मेसी कारोबार राज्य में करोड़ों रुपए के स्तर तक पहुँच चुका है। हालांकि, इस बढ़ते व्यवसाय के साथ दवा सुरक्षा, गुणवत्ता नियंत्रण और ट्रेसबिलिटी से जुड़े गंभीर सवाल भी उठने लगे हैं।


राज्य सरकार का मानना है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा सर्वोपरि है, और यदि आवश्यक हुआ तो ऑनलाइन दवा बिक्री को पूरी तरह प्रतिबंधित करने में कोई हिचक नहीं बरती जाएगी। यह कदम न केवल दवा उपभोक्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, बल्कि अनियंत्रित और अवैध दवा व्यापार पर भी अंकुश लगाने में सहायक सिद्ध होगा।

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