बसंत पंचमी 2025: जानें पूजा विधि और इस दिन क्या करें, क्या न करें
- ANH News
- 27 जन॰
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बसंत पंचमी, जिसे सरस्वती पूजा के रूप में भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन ज्ञान, कला और संगीत की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। यह पर्व वसंत ऋतु के आगमन का संकेत देता है और इसे नई ऊर्जा और सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है। 2025 में बसंत पंचमी 3 फरवरी को मनाई जाएगी। आइए जानते हैं इस दिन की पूजा विधि और कुछ जरूरी नियम।
बसंत पंचमी पर पूजा विधि
1. स्नान और संकल्प: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और पीले वस्त्र धारण करें। देवी सरस्वती की पूजा का संकल्प लें।
2. पूजन सामग्री: सरस्वती देवी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। पूजा के लिए पीले फूल, पीला वस्त्र, हल्दी, अक्षत, दीपक, धूप और नैवेद्य का उपयोग करें।
3. मंत्रोच्चार: देवी सरस्वती के मंत्रों का जाप करें। "ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः" मंत्र का 108 बार जाप विशेष लाभकारी माना जाता है।
4. भोग: देवी को पीले रंग के मीठे पकवान, जैसे खीर या मालपुए का भोग लगाएं।
5. वीणा पूजा: अगर घर में कोई वाद्य यंत्र है, तो उसकी भी पूजा करें, क्योंकि यह देवी सरस्वती का प्रतीक है।
6. विद्या आरंभ: इस दिन बच्चों को पढ़ाई शुरू करवाना शुभ माना जाता है। इसे ‘विद्यारंभ’ संस्कार कहा जाता है।
बसंत पंचमी पर क्या करें?
पीले रंग के वस्त्र पहनें, क्योंकि यह रंग बसंत ऋतु और शुभता का प्रतीक है।
नए कार्यों की शुरुआत करें, जैसे शिक्षा, कला, या कोई नया प्रोजेक्ट।
गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन और वस्त्र दान करें।
घर में साफ-सफाई रखें और सकारात्मक ऊर्जा के लिए घर को फूलों से सजाएं।
धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियों में भाग लें।
बसंत पंचमी पर क्या न करें?
काले या गहरे रंग के वस्त्र पहनने से बचें, क्योंकि इसे अशुभ माना जाता है।
इस दिन मांसाहार और शराब का सेवन न करें।
क्रोध और नकारात्मक विचारों से दूर रहें।
झूठ बोलने या किसी का दिल दुखाने से बचें।
बसंत पंचमी का महत्व
बसंत पंचमी सिर्फ एक पर्व नहीं है, बल्कि यह जीवन में नई शुरुआत और सकारात्मक ऊर्जा का संदेश देता है। इसे शुभ कार्यों की शुरुआत के लिए बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन की गई पूजा से विद्या, बुद्धि और कला में निपुणता प्राप्त होती है।





